Mausam : तापमान बढ़ने से किसान चिंतित, गेहूं की पैदावार में आ सकती है कमी
फसल को सही पकाई के लिए इस समय जितना तापमान चाहिए, उससे पांच से सात डिग्री सेल्सियस अधिक है। एकदम बढ़े तापमान के कारण गेहूं का दाना पूरी तरह से विकसित नहीं हो पाएगा। मौसम का यही हाल बना रहा तो गेहूं उत्पादन में 5-7 प्रतिशत कमी आ सकती है।;
अमरजीत एस गिल : रोहतक
हरियाणा में कई दिन से सामान्य से अधिक तापमान बना हुआ है। जिससे समय से पहले ही गर्मी का एहसास होने लगा है। एकदम चढ़े पारे का असर रबी फसलों पर साफ-साफ दिखाई देने लगा है। सबसे ज्यादा प्रतिकूल प्रभाव गेहूं पर पड़ा है। पारा बढ़ने का सिलसिला ऐसे ही जारी रहा तो गेहूं की पैदावार कम होने की आशंका बन गई है। फसल को सही पकाई के लिए इस समय जितना तापमान चाहिए, उससे पांच से सात डिग्री सेल्सियस अधिक है। एकदम बढ़े तापमान के कारण गेहूं का दाना पूरी तरह से विकसित नहीं हो पाएगा। मौसम का यही हाल बना रहा तो गेहूं उत्पादन में 5-7 प्रतिशत कमी आ सकती है। एक एकड़ में 20-22 क्विंटल गेहूं का उत्पादन हो जाता है। हालांकि औसत उत्पादन 19.5 क्विंटल है। कृषि विभाग के मुताबिक जिले में लगभग अढ़ाई लाख एकड़ में इस समय गेहूं फसल खड़ी है।
मार्च में ही अप्रैल जैसी गर्मी का अहसास होना शुरू हो गया है। पिछले दिनों प्रदेश में तापमान 39 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था। जबकि फसल की सही पकाई के लिए 30-34 डिग्री सेल्सियस के बीच तापमान होना चाहिए। जबकि इस समय 34-36 डिग्री सेल्सियस के बीच पारा है। इस समय जो मौसम बना हुआ है, यह मध्य अप्रैल के बाद ही बनता है। लगातार बढ़ रहे तापमान को कृषि की दृष्टि से ठीक नहीं माना जा रहा है। कृषि एवं कल्याण विभाग के उप निदेशक डॉ. वजीर सिंह कहते हैं कि ज्यादातर गेहूं की फसल मिल्किंग स्टेज से निकल चुकी है, हालांकि कुछ पिछेती किस्में अभी भी बची हुई हैं। तापमान में बढ़ोतरी जारी रही ओर हवा का संचालन तेज हुआ तो निश्चित तौर पर गेहूं की फसल के लिए यह नुकसानदायक साबित हो सकता है।
उत्पादन पर भी इसका असर देखने को मिल सकता है। हीट वेव आमतौर पर मार्च के अंत और अप्रैल की शुरुआत में होती है, लेकिन इस बार, यह देश के कई हिस्सों में शुरू हो चुकी है। पिछले 4 से 5 दिनों में तापमान में अचानक 5 से 6 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी ने गर्मी की लहर शुरू कर दी है। यदि यह उच्च तापमान एक या दो सप्ताह तक बना रहता है तो पूरे प्रदेश में रबी फसल की उपज पर प्रतिकूल प्रभाव डालेंगे। इसके अलावा, तीव्र गर्मी से तीव्र मानसून पूर्व गतिविधियां जैसे गरज, ओलावृष्टि या धूल भरी आंधी हो सकती है। ये गतिविधियां उन फसलों को भी नुकसान पहुंचा सकती हैं, जो कटाई के लिए तैयार हैं। हालांकि मौसम विभाग फिलहाल प्रदेश में किसी प्रकार के बदलाव की आशंका से इंकार कर रहा है।
मौसम प्रतिकूल होने से उत्पादन पर असर
गेहूं फसल को पूरी तरह से पकने के लिए 110-120 दिन की आवश्यकता होती है। यानि के बिजाई से लेकर पकाई तक लगभग चार महीने तक फसल के अनुकूल मौसम होना चाहिए। ऐसा होता है तो ही पूरी पैदावार होती है। अगर इस दौरान फसल के प्रतिकूल माैसम हो जाता है तो उसके उत्पादन पर असर पड़ता है। जैसे की फिलहाल ज्यादा तापमान होने का असर पकाई पर पड़ रहा है। रोहतक जिले में करीब अढ़ाई लाख एकड़ में इस समय गेहूं फसल खड़ी है। जो धीरे-धीरे पकाई की अवस्था में जा रही है।
पछेती किस्मों को ज्यादा नुकसान होने की संभावना
कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि तापमान बढ़ने से उत्पादन ज्यादा असर पछेती किस्मों में रहेगा। क्योंकि फसल को पकाई के लिए एक तो समय पूरा नहीं मिल पाया है और दूसरे अब फसल के प्रतिकूल मौसम बन गया। जिले में गेहूं के अढ़ाई लाख एकड़ में से 70-80 हजार में पछेती किस्में खड़ी हैं। तापमान बढ़ने का अधिक प्रभाव इन पर ही ज्यादा पड़ेगा। विशेषज्ञों ने किसानों से आह्वान किया कि वे खेत में इस समय नमी की मात्रा में कमी न आने दें। अब हर सप्ताह भी फसल में पानी लगाया जा सकता है।