पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा बोले, खराब हुई सरसों की फसल का जल्द मुआवजा दे सरकार

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने याद दिलाया कि साल 2020 की खरीफ फसल के मुआवजे की मांग को लेकर किसान आज तक कई जगह धरनारत हैं। पिछले कई सीजन से या तो किसानों को मुआवजे की नाम मात्र की राशि थमा दी जाती है या मुआवजा बिलकुल ही नहीं मिलता। इस तरह सरकार और बीमा कंपनियां किसानों का सैंकड़ों करोड़ रुपया डकार चुकी है।;

Update: 2023-01-28 13:14 GMT

चंडीगढ़। पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने सरसों के किसानों को मुआवजा देने की मांग उठाई है। उनका कहना है कि पाले की मार से पूरे प्रदेश में 70-90 प्रतिशत तक फसल खराब हो चुकी है। लेकिन अभी तक भाजपा-जजपा सरकार ने न तो गिरदावरी करवाई और न ही मुआवजे का ऐलान किया। उन्होंने कहा कि सरकार बिना देरी किए किसानों की मदद के लिए आगे आए।

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने याद दिलाया कि साल 2020 की खरीफ फसल के मुआवजे की मांग को लेकर किसान आज तक कई जगह धरनारत हैं। पिछले कई सीजन से या तो किसानों को मुआवजे की नाम मात्र की राशि थमा दी जाती है या मुआवजा बिलकुल ही नहीं मिलता। इस तरह सरकार और बीमा कंपनियां किसानों का सैंकड़ों करोड़ रुपया डकार चुकी है। हर सीजन में बीमा कंपनियों को प्रीमियम देने के बाद भी किसानों के हाथ खाली रहते हैं। जबकि बीमा कंपनियां हरियाणा से 40 हजार करोड़ से ज्यादा का भारी-भरकम मुनाफा कमा चुकी हैं। सरकार के संरक्षण में किसानों के पैसों पर बीमा कंपनियां चांदी कूट रही हैं।

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सरकार ने बाजरे को भावांतर भरपाई योजना के तहत खरीदने का ऐलान किया था, लेकिन न तो किसानों को फसल की एमएसपी मिली और न ही अभी तक भावांतर के तहत उनके नुकसान की भरपाई की गई। उनके सरकार की तरफ 120 करोड़ रुपये आज भी बकाया है। सरकार की ओऱ से फसल विविधीकरण के तहत धान छोड़कर मक्का उगाने पर किसानों को 7 हजार रुपए प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि देने का ऐलान किया गया था। वह भी किसानों को आज तक नहीं मिला। धान से लेकर गेहूं घोटाले में आज तक किसी तरह की कार्रवाई नहीं हुई। 4 जिलों में 42 हजार मीट्रिक टन गेहूं सड़ने का मामला आज भी पेंडिंग हैं। जांच के लिए बनाई गई कमेटी को 30 दिनों में रिपोर्ट पेश कर कार्रवाई करनी थी, लेकिन आज 80 दिन बीत जाने के बावजूद नतीजा शून्य है।

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि बीजेपी-जेजेपी सरकार की इन्हीं नीतियों व भ्रष्टाचार के चलते प्रदेश का किसान बर्बादी की कगार पर है। केंद्र सरकार की रिपोर्ट अनुसार आज देश के हर किसान परिवार पर औसतन 74 हजार 121 रुपये का कर्ज है। जबकि हरियाणा के किसान पर उससे लगभग ढ़ाई गुणा ज्यादा 1 लाख 82 हजार रुपये का कर्ज है।

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