राहुल गांधी के करीबी रहे अशोक तंवर ने थामा TMC का दामन, मिल सकती है बड़ी जिम्मेदारी
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की मौजूदगी में वह दिल्ली में तृणमूल कांग्रेस (TMC) में शामिल हुए।;
कांग्रेस के पूर्व सांसद और हरियाणा के पूर्व अध्यक्ष अशोक तंवर तृणमूल कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए हैं। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) की मौजूदगी में वे दिल्ली में तृणमूल कांग्रेस (TMC) में शामिल हुए। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अशोक तंवर को पटका पहनाकर TMC में शामिल किया। इस दौरान अशोक तंवर के पिता दिलबाग सिंह तंवर, पत्नी अवंतिका माकन तंवर भी परिवार और समर्थक मौजूद रहे। बता दें कि उनके मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ मतभेद जगजाहिर हैं। वे राहुल गांधी,के बहुत करीब थे। तंवर सिरसा से सांसद भी रहे हैं और इंडियन यूथ कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे थे। लेकिन 2019 के आम चुनाव से ठीक पहले वह नाराज कांग्रेस से अलग हो गए थे कांग्रेस से अलग होने के बाद तंवर ने अपना भारत मोर्चा बनाया है।
हरियाणा में 2024 में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव होने हैं। पश्चिम बंगाल में बड़ी जीत के बाद टीएमसी अब पूरे उत्तर भारत में फोकस कर रही है और उत्तर भारत में टीएमसी के लिए पंजाब, हरियाणा विशेष राज्य हैं। पंजाब में अगले साल के शुरूआत में चुनाव होने हैं। तंवर करीब 20 वर्ष तक कांग्रेस में रहे। 2009 में सिरसा से लोकसभा के सदस्य चुने गए। 2014 से लेकर 2019 तक हरियाणा प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष रहे। युवा कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे। तंवर को संगठन का लम्बा अनुभव है। सियासी पंडितों का मानना है कि हरियाणा में विधानसभा चुनाव से तीन साल पहले तंवर को टीएमसी में शामिल होना आने वाले समय में हरियाणा के राजनीतिक समीकरणों में बदलाव लाएगा। तीन साल का वक्त काफी लम्बा है और इस दौरान हरियाणा में टीएमसी का संगठन खड़ा करने में तंवर को मदद मिलेगी। हालांकि टीएमसी इससे पहले भी हरियाणा में राजनीति जोर-आजमाइश कर चुकी है। पूर्व सांसद केडी सिंह हरियाणा में टीएमसी के मुखिया रहे, पर कोई खास असर वो दिखा नहीं सके थे। खैर अब 90 विधानसभा सीटों वाले हरियाणा में टीएमसी एक बार फिर से दांव खेलने की तैयारी में है। इस समय हरियाणा में भाजपा और जजपा की सरकार है। इसके अलावा कांग्रेस मुख्य विपक्षी दल है तो इनेलो क्षेत्रीय दल है। वहीं बसपा प्रत्येक चुनाव में करीब 3 से चार फीसदी वोट बटोरती रही है। टीएमसी का चेहरा हरियाणा में अब अशोक तंवर होंगे। चूंकि तंवर कांग्रेस से किनारा करके आए थे और वे हमेशा दावा करते रहे हैं कि वे गैर कांग्रेस और गैर भाजपाई राजनीतिक विचारधारा वाले लोगों को एकजुट करेंगे। ऐसे में तंवर के पास भी टीएमसी से मजबूत विकल्प बचता नहीं था।
विद्यार्थी राजनीति में सक्रिय हो गए थे तंवर
तंवर ने देश के प्रतिष्ठित संस्थान जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय से इतिहास में एमए किया। बाद में उन्होंने एमफिल और पीएचडी की डिग्री ली। जेएनयू में अध्ययन करते वक्त ही डा. तंवर विद्यार्थी राजनीति में सक्रिय हो गए। वे कांग्रेस के विद्यार्थी संगठन नैशनल स्टूडैंट यूनियन ऑफ इंडिया के साथ जुड़ गए। साल 1999 में वे एनएसयूआई के सचिव बने और साल 2003 में वे अध्यक्ष बन गए। 29 बरस की आयु में वे युवा कांग्रेस के अध्यक्ष बने। साल 2009 के संसदीय चुनाव में राहुल गांधी ने उन्हें सिरसा के चुनावी मैदान में उतार दिया और उन्होंने इनैलो के डा. सीताराम को 35001 वोटों से हरा दिया। कांग्रेस हाईकमान ने फरवरी 2014 में डा. तंवर को हरियाणा प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया। इस पद पर वे सितम्बर 2019 तक रहे। करीब दो दशक तक कांग्रेस की सियासत में सक्रिय रहने के बाद 5 अक्तूबर 2019 को उन्होंने कांग्रेस को अलविदा कह दिया। 17 माह तक उन्होंने हरियाणा से लेकर देश के तमाम राज्यों में सियासत की नब्ज टटोली और 25 फरवरी 2021 को अपना भारत मोर्चा का गठन कर लिया।