सफाई कर्मियों की हड़ताल : पूर्व केंद्रीय मंत्री सैलजा बोलीं पुलिसिया दमन नहीं, बातचीत करे सरकार
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कर्मियों ने अपनी हड़ताल को लेकर पहले से ही नोटिस दिए हुए थे, तब भी सरकार ने हड़ताल को टालने की कोई रणनीति नहीं बनाई। अगर समय रहते कर्मियों की बात को सुन लिया जाता तो आज प्रदेश में चारों ओर कूड़े के विशाल ढेर नहीं लगते।;
कांग्रेस स्टीयरिंग कमिटी की सदस्य और पूर्व केंद्रीय मंत्री सैलजा ने कहा कि सफाई कर्मियों की हड़ताल लंबी होने से प्रदेश में हालात बिगड़ने लगे हैं। कर्मचारी बातचीत के मार्फत अपनी मांगों का समाधान चाहते हैं, लेकिन प्रदेश सरकार उनका पुलिसिया दमन करने पर उतारू है। भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार को चाहिए कि वह कर्मियों के संरक्षक की भूमिका निभाते हुए बड़प्पन दिखाए और बातचीत के साथ ही उनकी मांगों को मान ले।
कुमारी सैलजा ने कहा कि 11 दिन से प्रदेश के सफाई कर्मी व फायरकर्मी हड़ताल पर हैं। इससे इनके हजारों परिवारों की चिंता के बीच दिवाली भी इस बार सही से नहीं मनी। ये शांतिपूर्वक तरीके से अपनी मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन प्रदेश सरकार ने इन पर पुलिसिया बल प्रयोग करना शुरू कर दिया है। कर्मचारियों की मांगों का समाधान सिर्फ और सिर्फ बातचीत के जरिए हो सकता है, जिससे गठबंधन सरकार किनारा किए हुए है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कर्मियों ने अपनी हड़ताल को लेकर पहले से ही नोटिस दिए हुए थे, तब भी सरकार ने हड़ताल को टालने की कोई रणनीति नहीं बनाई। अगर समय रहते कर्मियों की बात को सुन लिया जाता तो आज प्रदेश में चारों ओर कूड़े के विशाल ढेर नहीं लगते। कूड़े का उठान न होने से कई शहरों में हालात काफी बिगड़ गए हैं और महामारी फैलने का अंदेशा बना हुआ है।
कुमारी सैलजा ने कहा कि गठबंधन सरकार कर्मचारी वर्ग में पूरी तरह से अपना विश्वास खाे चुकी है। पेंशन बहाली से लेकर वेतन आयोग की विसंगतियों के मुद्दे आज भी पेंडिंग हैं। रोडवेज, आंगनवाड़ी, बिजली, अध्यापक, लेक्चरर, कॉलेज प्राध्यापक, एनएचएम, स्वास्थ्य कर्मी, शहरी निकायों में सेवाएं देने वाले कर्मी, मिनिस्ट्रियल स्टाफ, जनस्वास्थ्य कर्मी समेत प्रदेश के हजारों कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर लगातार आवाज बुलंद कर रहे हैं। इनके प्रतिनिधिमंडल कितनी ही बार सरकार के साथ वार्ता कर चुके हैं और सरकार से आश्वासन के अलावा इन्हें आज तक कुछ नहीं मिला। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कर्मचारी संगठनों की प्रमुख मांगों में हरियाणा कौशल रोजगार निगम को भंग करना शामिल है। इस निगम के जरिए प्रदेश सरकार निजीकरण व ठेका प्रथा को बढ़ावा देना चाहती है। कर्मचारियों की मांग है कि इसे भंग करते हुए कर्मचारियों की नियमित भर्ती की जाएं। प्रदेश के भी कच्चे कर्मचारियों को पक्का करने, पुरानी पेंशन को बहाल करने, विभागों में खाली पड़े लाखों पदों को तुरंत भरने, अनुबंध व ठेके पर लगे कर्मियों को स्वीकृत पदों पर समायोजित करने जैसी मांगों पर प्रदेश सरकार को तुरंत विचार करना चाहिए।