संकट काल में इलाज को तरसती स्वतंत्रता सेनानी की विधवा
ईसीएचएस (ECHS) से लेकर प्रशासनिक अधिकारियों से गुहार लगाने के बाद भी उसे पैनल के अस्पताल में जगह नहीं मिली। जिले के पूर्व सैनिक सरकार की प्रशासनिक और चिकित्सा व्यवस्था पर सवाल उठा रहे हैं कि देश को आजाद करवाने वालों के परिजन ही मुसीबत में इलाज से महरूम हैं।;
हरिभूमि न्यूज. बहादुरगढ़
कभी देश की आजादी के लिए अंगे्रजों से लड़ने वाले छारा के स्वतंत्रता सेनानी रघुबीर सिंह जयहिंद की विधवा इकबाल कौर आज कोरोना के संकट काल में उपचार के लिए तरस रही है। इस मामले में ईसीएचएस से लेकर प्रशासनिक अधिकारियों से गुहार लगाने के बाद भी उसे पैनल के अस्पताल में जगह नहीं मिली। जिले के पूर्व सैनिक सरकार की प्रशासनिक और चिकित्सा व्यवस्था पर सवाल उठा रहे हैं कि देश को आजाद करवाने वालों के परिजन ही मुसीबत में इलाज से महरूम हैं।
बता दें कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिंद फौज में रहकर नेताजी के मार्गदर्शन में आजादी के लिए लड़ाई लड़ने वाले गांव छारा निवासी 90 वर्षीय स्वतंत्रता सेनानी रघुवीर सिंह का 11 नवंबर 2016 को निधन हो गया था। वर्ष-2015 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के हाथों वरिष्ठ नागरिक व स्वतंत्रता सेनानी के तौर पर उन्हें सम्मानित भी किया गया था। उनकी विधवा इकबाल कौर तीन पहले बीमार हो गईं। अस्पताल में उपचार के लिए उन्हें भर्ती करवाने के लिए परिजनों के पसीने छूट गए। भूतपूर्व सैनिक अंशदाई स्वास्थ्य योजना (ईसीएचएस) से लेकर जिले के प्रशासनिक अधिकारियों से संपर्क करवाने के बाद भी किसी पैनल के अस्पताल में उन्हें जगह नहीं मिली।
हिसार से लेकर दिल्ली तक संपर्क साधा गया, मगर उन्हें बैड नहीं मिला। जैसे-तैसे उन्हें दिल्ली के एक्शन बालाजी अस्पताल में लेकर गए तो वहां उन्हें कोविड पॉजिटिव बताकर भर्ती करने से इंकार कर दिया गया। इसके बाद बहादुरगढ़ में बिना पैनल के एक निजी अस्पताल में भर्ती करवाया गया। स्वतंत्रता सैनानी के परिजन इस असहाय व्यवस्था में केवल सरकारी तंत्र को कोस रहे हैं। पूर्व सैनिक बलवान दलाल ने भी स्वतंत्रता सैनानी रघुबीर सिंह जयहिंद की विधवा इकबाल कौर को किसी भी ईसीएचएस के पैनल अस्पताल में बैड और उपचार नहीं मिलने पर अफसोस जाहिर करते हुए अफसरशाही की आलोचना की।