हिसार के तिरुपति बालाजी मंदिर में लगाया सोने का स्तंभ, 42 फुट लंबाई, और भी हैं कई खासियत, जानिये

आंध्रप्रदेश के तिरुपति बालाजी मंदिर जैसा हू-ब-हू मंदिर हिसार में अग्राेहा शहर के समीप बनाया गया है। कई राज्यों से अभी लोग भगवान के दर्शन करने के लिए पहुंच रहे हैं।;

Update: 2022-01-31 18:15 GMT

हिसार के तिरुपति बालाजी धाम में सोने का स्तंभ लगाया गया है। श्री गरुड़ स्तंभ के रूप में स्थापित गए इस स्तंभ की वजह से हिसार के तिरुपति बालाजी धाम मंदिर को सोने के खंभे वाले मंदिर के रूप में एक नई पहचान मिलेगी। आंध्रप्रदेश के तिरुपति बालाजी मंदिर जैसा हू-ब-हू मंदिर हिसार में अग्राेहा शहर के समीप बनाया गया है। कई राज्यों से अभी लोग भगवान के दर्शन करने के लिए पहुंच रहे हैं।

यह स्तंभ 42 फुट लंबा है। इस पर सोने की परत चढा़ई गई है। इस स्तंभ को बनाने के लिए पहले सागवान के दो बड़े पेड़ लिए गए, फिर उनको सूखाया गया। इसके बाद इन लकड़ियाें को तराशकर जोड़ा गया, जिसमें काफी समय लगा है। फिर इस लकड़ी पर जयपूर के कारीगरों ने तांबे के कड़े चढ़ाए। फिर इनके ऊपर सोने की परत चढ़ाई गई। इसके बाद 42 फूट ऊंची पैड़ बांधकर इस स्तंभ को खड़ा किया गया। स्तंभ को बनाने में लगभग एक साल का समय लगा है और इस पर करीब 30 लाख रुपये का खर्चा आया है। इस स्तंभ के ‍ऊपर भगवान गरूड़ जी की प्रतिमा भी लगाई गई है। स्तंभ के ‍पीछे भी भगवान गरूड़ का मंदिर है। 

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जल्द की जाएगी प्राण प्रतिष्ठा

इस मंदिर में वृंदावन से पहुंचे पुजारी संदीप ने बताया कि यह मंदिर आंध्रप्रदेश के तिरुपति बालाजी मंदिर जैसा ही है। मुख्य मंदिर विष्णु जी के स्वरूप भगवान वेंकटेश्वर का बनाया गया है। इनके साथ ही मां पदमावती का मंदिर बनाया गया है। साथ ही गाेदांमा मां का मंदिर बनाया गया है। मंदिर में लगाया गया सारा ग्रेनाइट तिरुपति से ही मंगवाया गया है। वहां के कारीगरों ने ही इस मंदिर का निर्माण लगभग पांच साल में किया है। मंदिर की विशेषता यह है कि इसमें ना तो काेई पाइप लगाई गई है, ना ही सरिये का प्रयोग हुआ है और ना ही वायरिंग की गई है। यह मंदिर करीब ढाई एकड़ जमीन में बनाया गया है। मंदिर की आयु दस हजार वर्ष है और कई फुट नीचे से इसकी नींव भरी गई है। मंदिर में तिरुपति बालाजी की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा जल्द ही की जाएगी। यह प्रतिमा भी तिरुपति से ही लाई गई है। 

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