बिल भरने में सबसे बड़े डिफॉल्टर हैं सरकारी विभाग, 2.80 करोड़ का लेनदार है बिजली निगम
डिफॉल्टर उपभोक्ताओं द्वारा बिजली बिल की राशि ना जमा करवाने के कारण निगम को नुकसान पहुंच रहा है। इसी वजह से निगम घाटे में भी हो रही है। इसको लेकर अब विभाग ने कमर कसते हुए जल्द ही ऐसे उपभोक्ताओं का कनेक्शन काटने की तैयारी शुरू कर दी है।;
हरिभूमि न्यूज. सोनीपत
बिजली आज के समय में जरूरत बन गई है। लगभग हर तरह के काम में बिजली की आवश्यकता रहती है। इतनी जरूरी होने के बावजूद कई सरकारी विभाग और प्राइवेट कंपनियां ऐसी हैं, जोकि बिजली निगम का करोड़ों रूपया दबा कर बैठी हैं। उत्तर हरियाणा बिजली निगम के सोनीपत सर्कल के तहत जिले में तकरीबन 80 करोड़ रूपये राशि के डिफॉल्टर है। जोकि बिजली बिलों को चुकाने में आनाकानी कर रहे हैं। इन डिफॉल्टरों में सबसे अधिक राशि तो कई सरकारी विभागों की है।
डिफॉल्टर उपभोक्ताओं द्वारा बिजली बिल की राशि ना जमा करवाने के कारण निगम को नुकसान पहुंच रहा है। इसी वजह से निगम घाटे में भी हो रही है। इसको लेकर अब विभाग ने कमर कसते हुए जल्द ही ऐसे उपभोक्ताओं का कनेक्शन काटने की तैयारी शुरू कर दी है। डिफॉल्टर उपभोक्ताओं को निगम की ओर से 28 फरवरी तक का समय दिया गया है। इस समय के बाद निगम डिफॉल्टर उपभोक्ता चाहे वो सरकारी कार्यालय हो या फिर कोई प्राइवेट कंपनी सभी के कनेक्शन काटने शुरू कर देगी। हालांकि इस संदर्भ में निगम की ओर से कई बार डिफॉल्टर उपभोक्ताओं को नोटिस भी भेजे जा चुके हैं। लेकिन फरवरी माह की शुरूआत में ऐसे उपभोक्ताओं को कनेक्शन काटने के नोटिस भेजे गए थे। जिसके बाद से निगम को लगभग 10 करोड़ रूपये की रिकवरी भी मिली है।
लॉकडाउन के बाद बढ़ी डिफॉल्टरों की संख्या
कोरोना कॉल में लॉकडाउन के चलते जिले के कई बड़े व्यापारी और प्राइवेट कंपनियां बंद रही थी। जिसके चलते इनका बिजली का बिल भी बकाया रहा। लॉकडाउन के बाद भी आर्थिक मंदी से अधिकतर कंपनियां और बड़े व्यापारी उभर नहीं पाए। इसी वजह से इन पर बिजली बिल बकाया है। ऐसे में उन कंपनियों पर करोड़ों रुपये का बिजली बिल बकाया होता चला गया। वहीं शहर के बड़े व्यापारियों पर भी बिजली बिल बकाया है। इसके लिए बिजली निगम की ओर से नोटिस जारी किए जा चुके है। बकाया बिजली बिल जमा नहीं कराने वालों को मार्च से कनेक्शन काटने की चेतावनी दी जा चुकी है।
बिजली निगम की सूची में सरकारी कार्यालय डिफाल्टर
जिले भर में बिजली निगम ने डिफॉल्टर उपभोक्ताओं से तकरीबन 80 करोड़़ रूपये लेने हैं। इनमें सबसे बड़े डिफॉल्टर उपभोक्ता तो सरकारी कार्यालय ही बने हुए हैं। बड़े बकाया वाले विभागों में जनस्वास्थ्य विभाग पर 17 करोड़, सिंचाई विभाग पर 4.50 करोड़, औद्योगिक एवं प्रशिक्षण विभाग से 6.30 करोड़, नगर निगम सोनीपत, नपा खरखौदा, गन्नौर व नप गोहाना पर 6 करोड़ रुपये बिजली बिल बकाया है। इसके तरह कई अन्य विभागों, प्राइवेट कंपनियों और बड़े व्यापारियों को मिलकर 40 करोड़ रुपये बिजली बिल बकाया है। ऐसे में विभागों व अन्य लोगों को 28 फरवरी तक का समय दिया गया है। बिजली बिल जमा कराने के लिए बिजली निगम के अधिकारी सरकारी विभागों में जाकर अधिकारियों से मीटिंग कर रहे हैं।
इसी माह आई तकरीबन 10 करोड़ की रिकवरी
विभागीय अधिकारियों की मानें तो फरवरी माह की शुरूआत में ही बिजली निगम ने डिफॉल्टरों के प्रति सख्त रवैया अपनाना शुरू किया था। इसके तहत नोटिस देने के अलावा कनेक्शन काटने की चेतावनी भी दी गई थी। इसी का असर है कि इस माह तकरीबन 10 करोड़ की रिकवरी हो चुकी है। मुख्य रूप से जनस्वास्थ्य विभाग और सिंचाई विभाग से 5-6 करोड़ रुपये की रिकवरी हो गई है। उम्मीद जताई जा रही है कि बचे हुए 4 दिनों में भी अच्छी खासी रिकवरी हो सकती है।
नोटिस जारी किए थे
कई सरकारी विभाग और प्राइवेट कंपनियों के साथ-साथ बड़े व्यापारी भी डिफॉल्टर हैं। इसके लिये बकायदा सभी को नोटिस जारी किए गए थे और चेतावनी भी दी गई थी। इस माह में रिकवरी आई है। 80 करोड़ के करीब रिकवरी होनी है, इसमें से अभी तक 10 करोड़ के करीब रिकवरी हाल ही में हुई है। माह के अंत तक कुल रिकवरी का पता चल पाएगा। इसके बाद पूर्व निर्धारित योजना के तहत 1 मार्च से डिफाल्टरों के कैनेक्शन काटने शुरू किए जाएंगें। -मुकेश चौहान, एसई, बिजली निगम।