चिंताजनक : हरियाणा-पंजाब में खतरनाक स्तर तक गिरा भू-जलस्तर
आईआईटी कानपुर के अध्ययन में दावा, उत्तर-पश्चिम भारत के चार हजार से अधिक भूजल वाले कुंओं के आंकड़े लिए गए।;
उत्तर-पश्चिम भारत विशेषकर पंजाब और हरियाणा में भूजल चिंताजनक स्तर तक गिर गया है। आईआईटी कानपुर द्वारा प्रकाशित शोध पत्र में यह खुलासा हुआ है। इसमें उत्तर पश्चिम भारत के 4,000 से अधिक भूजल वाले कुओं के आंकड़ों का उपयोग किया है। पंजाब और हरियाणा राज्यों में भूजल स्तर चार-पांच दशकों में खतरनाक स्तर तक गिर गया है। भारत सिंचाई, घरेलू और औद्योगिक जरूरतों के लिए दुनियाभर में भूजल का सबसे बड़ा उपयोगकर्ता है। भारत में वार्षिक भूजल अपव्यय लगभग 245 किमी है, जिसमें से 90 प्रतिशत की खपत सिंचाई में होती है।
हरियाणा में ये हाल
हरियाणा में चावल की खेती का क्षेत्र 1966-67 के 1,92,000 हेक्टेयर से बढ़कर 2017-18 में 14,22,000 हेक्टेयर हो गया।
पंजाब में 1960-61 के 2,27,000 के मुकाबले 2017-18 में बढ़कर 30,64,000 हेक्टेयर तक पहुंच गया है। नतीजतन भूजल अवशोषण बढ़ गया।
यह गिरावट
ऊपरी भूजल 1974 के दौरान जमीनी स्तर से 2 मीटर नीचे था। जो 2010 में गिरकर 30 मीटर नीचे हो गया। भूजल में विशेष रूप से 2002 के बाद अहम गिरावट को दर्शाता है।
यहां अहम गिरावट
सबसे अहम गिरावट घग्गर-हकरा पैलियोचैनल (कुरुक्षेत्र, पटियाला और फतेहाबाद) और यमुना नदी घाटी (पानीपत और करनाल के कुछ हिस्सों) में दर्ज की गई है।