गुरु-शिष्य की जोड़ी ने जीते पदक : पैरा एशियन गेम्स में छाए अमित सरोहा व धर्मबीर नैन
चीन के हांगझोऊ में शुरू हुए पैरा एशियन गेम्स में पहले ही दिन सोनीपत के अमित सरोहा व धर्मबीर नैन ने कांस्य व रजत पदक जीता। अमित के कांस्य और धर्मबीर के रजत पदक जीतने पर परिजनों ने खुशी जाहिर की।;
Sonipat : चीन के हांगझोऊ में शुरू हुए पैरा एशियन गेम्स में पहले ही दिन सोनीपत के अमित सरोहा व धर्मबीर नैन ने कांस्य व रजत पदक जीता। गुरु-शिष्य ने देशवासियों को खुशी मनाने का मौका दिया। गांव बैंयापुर निवासी अंतरराष्ट्रीय क्लब थ्रोअर अमित सरोहा व उनके शिष्य गांव भदाना निवासी धर्मबीर नैन ने 26.93 और 28.76 मीटर थ्रो किया था। अमित के कांस्य और धर्मबीर के रजत पदक जीतने पर परिजनों ने खुशी जाहिर की। वहीं, स्पर्धा का स्वर्ण पदक भी हरियाणा के फरीदाबाद के लाडले प्रणव सूरमा ने 30.01 मीटर थ्रो फेंककर जीता है।
पैरा एशियन गेम्स में अमित सरोहा और उनके शिष्य धर्मबीर नैन की जोड़ी ने क्लब थ्रो एफ-51 स्पर्धा में भाग लेकर पहले ही दिन देश की झोली में दो पदक डाले। अमित सरोहा ने प्रतियोगिता में कांस्य पदक जीता। अमित सरोहा इससे पहले 2010, 2014 व 2018 एशियन गेम्स में दो स्वर्ण व दो रजत पदक जीत चुके हैं। उन्होंने अब पांचवा पदक जीतकर देश का मान बढ़ाया है। इससे पहले अमित ने 2017 में लंदन में आयोजित विश्व चैंपियनशिप में 30.27 मीटर थ्रो लगाकर रजत पदक देश को दिलाया था। वह देश के लिए करीब 50 राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय पदक जीत चुके हैं। सड़क दुर्घटना में दिव्यांग होने के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी और कड़ी मेहनत व जुनून से नई बुलंदियां हासिल की। अमित सरोहा ने अपनी प्रतिभा को खुद तक सीमित नहीं रखा। उन्होंने दिव्यांग होने के बावजूद काफी खिलाड़ी तैयार किए। युवाओं की उभरती पीढ़ी के यूथ आइकन बने अमित सरोहा काफी खिलाड़ियों को तराश चुके हैं।
वहीं उनके शिष्य धर्मबीर नैन ने गुरु से आगे बढ़ते हुए देश को इस स्पर्धा का रजत पदक दिलाया है। धर्मबीर नैन को भी बचपन से ही खेलने का शौक रहा है। तीन बहनों का इकलौता भाई होने के कारण परिवार ने घर से बाहर जाकर खेलने की अनुमति नहीं दी। जून 2012 में एमए प्रथम वर्ष की पढ़ाई के दौरान दोस्तों के साथ नहर में नहाते हुए छलांग लगाने पर जलस्तर कम होने से उनकी गर्दन सीधा जमीन से जा टकराई थी। इस हादसे में रीढ़ की हड्डी टूट गई और आधे से ज्यादा शरीर ने काम करना बंद कर दिया। दिल्ली में इलाज कराने के बाद 6 महीने गुरुग्राम में आत्मनिर्भर बनने का प्रशिक्षण लिया। जिस खेल से परिवार दूर रखना चाहते थे, इत्तेफाक से खेल का मोह दुर्घटना के बाद भी नहीं छूटा और खुद को ऐसा तैयार किया कि हर कोई उनकी काबिलियत का लोहा मान रहा है। 2013 से वह अमित के सानिध्य में रहकर आगे बढ़ते चले गए। 2018 एशियन गेम्स में अमित ने स्वर्ण व धर्मबीर ने रजत पदक जीता था।