हरियाणा : नौनिहालों पर अपने ही ढा रहे सितम, हर दिन 16 बच्चे हो रहे जुर्म का शिकार

Monday Special : नौनिहालों पर हो रहे अपराध पर नजर दौड़ाए तो साफ हो जाता है कि बच्चों पर जुल्म और सितम ढ़ाने वालों में 95 फीसदी से ज्यादा अपने ही होते हैं। परिवार, रिश्तेदार, दोस्त, केयर टेकर अथवा नौकर ही उनके खिलाफ अपराध कर रहे हैं।;

Update: 2022-09-12 09:46 GMT

Monday Special

हिन्दी फिल्म आखिर क्यों में गीतकार इंदीवर की पंक्तियां 'अपने ही गिराते हैं नशेमन पे बिजलियां' हरियाण् के बच्चों पर फिट बैठती हैं। नौनिहालों पर हो रहे अपराध पर नजर दौड़ाए तो साफ हो जाता है कि बच्चों पर जुल्म और सितम ढ़ाने वालों में 95 फीसदी से ज्यादा अपने ही होते हैं। परिवार, रिश्तेदार, दोस्त, केयर टेकर अथवा नौकर ही उनके खिलाफ अपराध कर रहे हैं। यहां तक कि बच्चों को मोहरा बनाकर दुश्मनों के खिलाफ रंजिशन के झूठे केस दर्ज कराने के भी मामले सामने आए हैं। प्रदेश में बच्चों के खिलाफ अपराधों की आई बाढ़ की बात की जाए तो साल 2020 के 4338 मामलों की तुलना में साल 2021 में 1362 यानी 31.4 फीसदी ज्यादा 5700 मामले दर्ज हुए हैं यानी हर दिन 16 से ज्यादा बच्चे जुल्म का शिकार हो रहे हैं, जिनमें सबसे ज्यादा नाबालिग लड़कियां शामिल हैं। प्रदेश में यह आंकड़ा भी बेहद चौंकाने वाला है कि एक हजार से ज्यादा लड़कियों का अपहरण केवल पैसा कमाने यानी खरीद फरोख्त के लिए किया गया है।

राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो ने पिछले महीने ही साल 2021 के अपराधों का आंकड़ा जारी किया है। इस आंकड़े में 16वें स्थान पर हरियाणा राज्य में वर्ष 2020 की तुलना में 2021 में भारतीय दंड संहिता में 8047 केसों में वृद्धि हुई है। वर्ष 2020 में 1,03,276 और वर्ष 2021 में 1,12,677 अपराध के केस दर्ज किए गए। वहीं स्थानीय और विशेष केस भी वर्ष 2020 में 89,119 थे, परंतु 2021 में इनकी संख्या 93,744 हो गई। यदि हरियाणा में बच्चों के प्रति अपराध के आंकड़े पर गौर करें तो बेहद चौंकाने वाले हैं। पिछले तीन सालों में इस बार सबसे ज्यादा छह हजार बच्चों को किसी न किसी गलत काम के लिए अपराध का शिकार बनाया गया है। यह आंकड़ा बच्चों के प्रति अभिभावकों के लिए सतर्क रहने और संभलकर रहने का संकेत करता है। बच्चों के यौन शोषण करने में नाबालिग भी कम नहीं है। मसलन पॉस्को एक्ट के तहत भी ऐसे अरोपियों के खिलाफ दो हजार से ज्यादा मामले दर्ज है, जिनके तहत 2268 बच्चों को जुल्म का शिकार बनाया गया है, जिनमें 1235 बच्चियों दुष्कर्म और 61 बच्चों को कुकर्म का शिकार बनाया गया। पिछले एक साल में चाइल्ड लाइन के पास आए मामलों में मारपीट, शारीरिक शोषण और घरेलू हिंसा के मामलों में इजाफा हुआ है, तो वहीं आर्थिक संकट और बेरोजगारी के चलते बच्चों की तस्करी के मामलों में इजाफा हुआ है।

तीन साल में 16013 बच्चों पर जुल्म

प्रदेश में बच्चों के खिलाफ अपराधों के बढ़ते ग्राफ के पिछले तीन साल के आंकड़ों पर गौर करें तो बच्चों के प्रति अपराण्ध के 15157 मामले दर्ज किये गये, जिनके तहत 16013 बच्चे अपराध का शिकार बने। इनमें 6562 बच्चे ऐसे थे जो पॉस्को एक्ट यानी नाबालिग दरिंदों का शिकार हुए। एनसीआरबी के ताजा आंकड़ों पर गौर की जाए तो इस साल पीड़ित सर्वाधिक छह हजार बच्चों में 2268 बच्चों को नाबालिग शातिरों ने अपराध का शिकार बनाया। ये हालात तब हैं जब बच्चों की सुरक्षा को मजबूत करने के लिए वर्ष 2018 में केंद्र सरकार दंड विधि अधिनियम में संशोधन करके 12 साल से कम आयु बालिका के साथ बलात्कार करने के आरोपी को मृत्यु दंड और कड़े जुर्माने का प्रावाधन किया था। इस अधिनियम में के संशोधन के अनुसार यौन संबन्धी मामलों में जांच की निगरानी और उसे ट्रैक करने के लिए यौन अपराध जांच ट्रैकिंग प्रणाली नामक एक ऑनलाइन विश्लेषणात्मक टूल शुरू किया गया है। हरियाणा में पुलिस की 22 मानव तस्करी रोधी इकाई भी सक्रीय है।

बच्चों पर हिंसा के आंकड़े डराने वाले

एनसीआरबी के रिकार्ड के अनुसार हरियाणा में साल 2021 में बच्चों पर जुल्म ढाने के दर्ज मामलों में 2761 मामलें झूठे पाये गये, जिनमें पुलिस ने अंतिम रिपोर्ट लगाकर निरस्त कर दिया। बाकी मामलों में बच्चों के खिलाफ अपराध करने वालों में 1293 जानकार निकले। इसमें 101 परिवार और 895 रिश्तेदार, दोस्त, नौकर और केयर टेकर सामने आए। जबकि ऑनलाइन सोशल मीडिया के जरिए भी शादी का झांसा देकर बालिकाओं पर जुल्म ढ़ाने वाले 261 आरोपियों का खुलासा किया गया।

हत्या करने से भी नहीं हिचक रहे

प्रदेश में अपहरण के अलावा पांच नवजात शिशओं समेत 47 बच्चों की हत्या की गई, जिनमें आठ हत्या बलात्कार के जुर्म को छुपाने के लिए हुई। इसके अलावा 12 बच्चों को आत्महत्या करने के लिए मजबूर होना पड़ा। प्रदेश में 14 मामले भ्रूण हत्या के भी सामने आए हैं। जबकि 32 बच्चों का परिवार ने परित्याग करने का भी अपराध किया।

लड़कियों की खरीद फरोख्त का बढ़ा ग्राफ

पिछले चार साल में अपहरण के शिकार बच्चों में सबसे ज्यादा 3581 नाबालिगों लड़कियों की खरीद फरोख्त हुई, जिसमें सबसे ज्यादा 1099 लड़कियों का अपहरण पैसा कमाने के लिए किया गया। जबकि साल 2020 में उठाई गई 787 लड़कियों का अपरहण इस मकसद से हुआ था। साल 2021 में बच्चों के अपहरण के 2050 मामले दर्ज किये गये, जिनमें 1956 नाबालिग लड़कियों समेत 2239 बच्चों को अगुवा किया गया। इनमें 226 नाबालिग लड़कियों को बाल विवाह और तीन को वैश्यावृत्ति के लिए अपहरण किया गया। पाचं मामले फिरौती, 12 बालश्रम और बाकी अपहरण के मामले यौन शोषण तथा अन्य अपराध को अंजाम देने के लिए किये गये हैं। जबकि प्रदेश में साल 2020 में 545 बच्चों का अपहरण केवल यौन अपराध के मकसद से किया गया, जिनमें 11 बालक भी शामिल हैं। प्रदेश में बच्चों के साथ अपराध के बढ़ते मामलों में 50 फिसदी से ज्यादा अपहरण के मामले सामने आ रहे हैं। 

22 मानव तस्करी रोधी इकाई काम कर रही : ओपी सिंह

बच्चों को सुरक्षा देने के मकसद से हरियाणा पुलिस की स्टेट क्राइम ब्रांच के अधीन 22 मानव तस्करी रोधी इकाई कार्य कर रही है। सभी एएचटीयु को निर्देश दिए गए है, कि जैसे ही कोई बच्चा, महिला, पुरुष मिलता है, तो सबसे पहले उसका उसे सुरक्षित होने का एहसास दिलवाना है। एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट्स न सिर्फ भूले भटकों को उनके परिवार से मिलवाने का काम कर रही है, बल्कि भीख व बालमजदूरी में फंसे बच्चों को भी रेस्क्यू करके उनके परिजनों तक पहुंचाने का काम कर रही है। इस साल पिछले आठ महीने में अगस्त तक 173 लड़कियों समेत 378 नाबालिग को तलाशकर उनके परिजनों से मिलाया है। वहीं लापता 256 महिलाओं समेत 482 वयस्कों को भी खोजकर उनके परिजन तक पहुंचाया है। बच्चों को लेकर उनका कहना कि राज्य क्राइम ब्रांच की एएचटीयू द्वारा करीब 1114 बाल मजदूरों और 646 बाल भिखारियों को रेस्क्यू किया गया। - ओपी सिंह, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कानून व्यवस्था) हरियाणा 

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