मछली पालकों को दी जा रही वित्तीय सहायता और तकनीकी मदद , ऐसे उठाएं लाभ
प्रदेश में मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं। इसके लिए हरियाणा मत्स्य पालन विभाग द्वारा तमाम मछली पालकों को अनेक प्रकार की वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है।;
हरियाणा मत्स्य पालन विभाग द्वारा प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत मत्स्य पालकों को अनेक प्रकार की वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है। इसके अलावा मत्स्य पालकों को तकनीकी सहायता भी उपलब्ध करवाई जा रही है। मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा अनेक योजनाएं क्रियान्वित की जा रही हैं।
एक सरकारी प्रवक्ता ने इस संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना का उद्देश्य उत्पादन और उत्पादकता में वृद्धि, मत्स्य प्रबंधन और नियामक ढांचा, टेक्रोलॉजी इंफ्यूजन तथा पोस्ट हार्वेस्ट प्रबंधन के लिए ढांचागत सहायता प्रदान करना है। योजना के तहत तकनीकी सहायता भी उपलब्ध करवाई जाती है। इनमें मछली पालन के लिए पट्टे पर गांव के तालाबों को प्राप्त करना, मछली संस्कृति इकाई के निर्माण के लिए ऋण, प्रशिक्षण आदि की व्यवस्था, तालाब स्थलों की मिट्टी एवं पानी की जांच, योजना और तालाबों के अनुमान की तैयारी, गुणवत्ता वाले बीज और फीड की आपूर्ति, मछली के विकास की जांच, मछली के रोगों की जांच आदि शामिल है।
उन्होंने बताया कि योजना के तहत मत्स्य पालन विभाग द्वारा इस क्षेत्र में विभिन्न गतिविधियों के लिए किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। सघन मत्स्य विकास कार्यक्रम की योजना का उद्देश्य नए तालाबों की खुदाई, मछली संस्कृति के लिए सामुदायिक भूमि का नवीनीकरण करके अतिरिक्त जल क्षेत्र का निर्माण करना, मौजूदा तालाबों और सूक्ष्म जल क्षेत्रों में मछली संस्कृति को बनाए रखने के लिए मछली किसानों को तकनीकी सहायता प्रदान करना है।
प्रवक्ता ने बताया कि इंटेंसिव फिशरीज स्कीम के तहत भी वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। इसके अंतर्गत एरियटर की स्थापना पर अनुदान के तहत वास्तविक लागत सीमा 40,000 रुपए प्रति हेक्टेयर पर 50 प्रतिशत तक लाभार्थियों को अनुदान प्रदान किए जाने का प्रावधान है।