हरियाणा सरकार को इंस्पेक्टर से डीएसपी पदोन्नति का रिकॉर्ड हाईकोर्ट में पेश करने के आदेश

हाई कोर्ट के जस्टिस बी एस वालिया ने यह आदेश हरियाणा पुलिस में इंस्पेक्टर के पद पर तैनात गुलाब सिंह व अन्य द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया। याचिका में आरोप लगाया गया कि योग्य होने के बावजूद भी उनको सरकार द्वारा प्रमोशन नहीं दी जा रही।;

Update: 2022-03-07 12:14 GMT

पुलिस उपाधीक्षक ( डीएसपी ) के पद पर सरकार के पसंदीदा इंस्पेक्टर व आउट आफ टर्न पदोन्नति देने के खिलाफ एक याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने सरकार को इंस्पेक्टर से डीएसपी पदोन्नति का रिकॉर्ड हाईकोर्ट में पेश करने का आदेश दिया है। इसी के साथ हाईकोर्ट ने इस केस को एक अन्य केस जो इसी विषय से जुड़ा है के साथ अर्जेंट लिस्ट में सुचिबध करने का भी आदेश दिया है।

हाई कोर्ट के जस्टिस बी एस वालिया ने यह आदेश हरियाणा पुलिस में इंस्पेक्टर के पद पर तैनात गुलाब सिंह व अन्य द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया। याचिका में आरोप लगाया गया कि योग्य होने के बावजूद भी उनको सरकार द्वारा प्रमोशन नहीं दी जा रही। याचिकाकर्ताओं ने अपने वकील अर्जुन श्योराण द्वारा दायर याचिका में कोर्ट को बताया कि पिछले 8-10 वर्षों में ऐसे कई उदाहरण हैं जो पुलिस उपाधीक्षक ( डीएसपी ) के रूप में पदोन्नत होने के योग्य नहीं हैं, उन्हें केवल असाधारण साहस के आधार पर पदोन्नत कर दिया क्योंकि यह लोग सत्ता के नजदीक है। याचिका में बताया गया कि पिछले सात वर्षों में आउट आफ टर्न पदोन्नत लोगों में कृष्ण कुमार, 2010 में राजेश फोगाट, 2013 में कृष्ण कुमार, 2017 में जीत सिंह और एक गुरदयाल सिंह शामिल हैं।

कोर्ट को बताया गया कि उन्होने पहले भी हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की थी, कोर्ट ने उनकी याचिका का निपटारा कर उनकी प्रमोशन करने के आदेश दिए थे। सरकार ने फरवरी माह में उसके 2010 बेंच के सभी बेंचमेट इंस्पेक्टर को डीएसपी पद पर प्रमोशन दी लेकिन उनको इसमें शामिल नहीं किया गया जबकि वो नियमों के तहत सभी योग्यता पूरी करते र्है। कोर्ट को यह भी बताया गया कि तीन ऐसे इंस्पेक्टर को भी डीएसपी बना दिया गया जो उनसे जूनियर थे।

याचिकाकर्ताओं ने डीएसपी के पद पर पदोन्नति के लिए उनकी वरिष्ठता और पात्रता के आधार पर पदोन्नति करने के आदेश देने का कोर्ट से आग्रह किया है। याचिका के अनुसार सरकार ने वरिष्ठता के आधार पर उनकी प्रमोशन करने के लिए जून व जुलाई 2021 प्रक्रिया शुरू की थी और डीपीसी की 11 नवंबर को होने वाली बैठक में निर्णय लेना था। लेकिन सरकार की तरफ से जानबूझकर और मनमाने ढंग से रोक लगा दी गई थी। हाईकोर्ट से मांग की गई कि वो सरकार को आदेश दे कि उनको डीएसपी पद पर पदोन्नत करे।

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