काम की खबर : आप प्लाट खरीदने की सोच रहे हैं तो सावधान ! पहले जान लें सरकार के ये आदेश
सरकार की ओर से राज्य के विभिन्न हिस्सों औऱ खासतौर पर एनसीआर के गुरुग्राम और फरीदाबाद में खास ध्यान रखने के लिए संबंधित अफसरों को कहा गया है। इतना ही नहीं अवैध कालोनियों में तुरंत प्रभाव से प्लाटों की रजिस्ट्री बंद करने के आदेश जारी किए हैं।;
चंडीगढ़। हरियाणा में अब अवैध कालोनियों में रजिस्ट्री नहीं हो सकेगी। हरियाणा सरकार की ओऱ से साफ कर दिया गया है कि भू माफियाओं को पनपने नहीं दिया जाएगा, क्योंकि लोगों से झूठ बोलकर गुमराह कर उनको तकलीफ भुगतने के लिए छोड़ जाते हैं। इस तरह की कालोनियों में प्लाटों की रजिस्ट्री नहीं होगी।
सरकार की ओर से राज्य के विभिन्न हिस्सों औऱ खासतौर पर एनसीआर के गुरुग्राम और फरीदाबाद में खास ध्यान रखने के लिए संबंधित अफसरों को कहा गया है। इतना ही नहीं अवैध कालोनियों में तुरंत प्रभाव से प्लाटों की रजिस्ट्री बंद करने के आदेश जारी किए हैं। लोगों को ऐसी कालोनियों में प्लाट नहीं खरीदने की एडवाइजरी जारी कर अपील की गई है। खुद सीएम और शहरी निकाय मंत्री अनिल विज भी लोगों से इस तरह के भूमाफियाओं से बचने की अपील कर चुके हैं। सरकार का कहना है कि सूबे में अवैध कालोनियां नहीं पनपने दी जाएगी और स्थानीय स्तर पर अफसरों की जवाबदेही तय की जा रही है।
यहां पर उल्लेखनीय है कि प्रदेश के हर शहर और कस्बों के बाहरी इलाकों में तेजी से अवैध काॅलोनियां काटी जा रही हैं। इनमें बुनियादी सुविधाओं के नाम पर लोगों को परेशानी ही परेशानी मिलती है। बाद में लोग सरकार से इन्हें नियमित करने और सुविधाएं देने की मांग करते हैं। प्रदेश में फिलहाल करीब 12 सौ अवैध कालोनियां हैं, इनको सरकार ने मंजूरी देने की तैयारी कर ली है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने पहले 31 मार्च 2015 से पहले विकसित उन अवैध कालोनियों को नियमित करने की घोषणा की थी जिनमें 50 फीसद से ज्यादा मकान बन चुके हैं। बाद में सरकार ने दो कदम और बढ़ाते हुए विधानसभा के मानसून सत्र में हरियाणा नगरपालिका क्षेत्रों में अपूर्ण सुख-सुविधाओं तथा अवसंरचना का प्रबंधन संशोधन विधेयक में बदलाव कर दिया। अब तक की सभी अवैध कालोनियों को नियमित किया जाएगा।
इस संबंध में सीएम खुद दो दिन पहले भी राजधानी में प्रक्रिया जल्द ही पूरी कर लिए जाने की बात बोल चुके हैं। साफ कर दिया गया है कि इनका सर्वे आदि का काम चल रहा है, साथ ही इनको लेकर एक नीति तैयार की जा रही है। जिसमें यह भी तय किया जा रहा है कि इनको रेगुलर करने के लिए कुछ ना कुछ कर आदि लेने पर विचार चल रहा है ताकि बिल्डरों औऱ इनको काटने वालों से भी सरकार के खजाने में कुछ मिल सके।