नांगल चौधरी तहसीलदार को विजिलेंस ने किया गिरफ्तार, 20 हजार की रिश्वत का पुराना मामला, छानबीन के बाद गाड़ी सहित दबोचा
हरियाणा के नांगल चौधरी के तहसीलदार को गुरुग्राम की विजिलेंस टीम 20 हजार की रिश्वत के पुराने मामले की छानबीन करते हुए गिरफ्तार कर लिया गया। पढ़ें पूरा मामला...;
हरिभूमि न्यूज, नांगल चौधरी: गुरुग्राम की विजिलेंस टीम 20 हजार की रिश्वत के पुराने मामले की छानबीन करने के लिए बुधवार सुबह तहसील कार्यालय में पहुंची। यहां कुछ कर्मचारियों से पूछताछ करके वापस नारनौल रवाना हो गई। इसके करीब एक घंटे बाद ही आरोपित तहसीलदार को गिरफ्तार कर लिया गया। गुरुवार सुबह आरोपी को कोर्ट में पेश किया जाएगा। कार्रवाई के बाद तहसील कार्यालय में हड़कंप की स्थिति बनी हुई है।
जानकारी के मुताबिक नांगल चौधरी निवासी संजय सैनी ने नगर पालिका की सीमा में प्लाट खरीदा था। जिसका बंटवारा करवाने के लिए तहसीलदार कार्यालय में दावा किया था। दावा फाइल पर बीते कई महीनों से तारीख पर तारीख लग रही थी, जिससे परेशान पीड़ित ने तहसीलदार के रीडर से संपर्क किया। उन्हें जमीन का बंटवारा नहीं होने के कारण मकान निर्माण अटकने की समस्या से अवगत करवाया। इसके बाद रीडर ने तहसीलदार को पूरी स्थिति से अवगत करवाया और 20 हजार बतौर रिश्वत देने को कहा था। इसके बाद परेशान शिकायतकर्ता ने भ्रष्टाचार का पूरा मामला विजिलेंस इंचार्ज नवल किशोर को बताया। उन्होंने लिखित शिकायत लेकर उच्चाधिकारियों को रिपोर्ट दी। उनके निर्देश मिलने पर उन्होंने 28 नवंबर की सुबह जिला शिक्षा अधिकारी सुनील दत्त को ड्यूटी मजिस्ट्रेट बनाया। दोपहर करीब 1:30 टीम निजी वाहन से नांगल चौधरी पहुंची।
टीम के सभी सदस्य कार्यालय से दूर भीड़ में खड़े हो गए। साथ ही उन्होंने शिकायतकर्ता को कार्यालय में रिश्वत देकर संकेत करने की हिदायत दी। संकेत मिलने पर विजिलेंस ने रीडर को रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ के दौरान टीम को तहसीलदार की भूमिका पर संदेह हुआ, क्योंकि उन्होंने इस मामले पर रीडर रामसिंह से संपर्क किया था, लेकिन पुख्ता सबूत नहीं मिलने के कारण तहसीलदार को पूछताछ के बाद छोड़ दिया गया, लेकिन शिकायतकर्ता की शिकायत के आधार पर तहसीलदार के खिलाफ केस दर्ज कर लिया गया। जिस की पूछताछ पूरी होने के बाद तहसीलदार को बुधवार की दोपहर गिरफ्तार कर लिया।
तहसीलदार की कार्यशैली का विरोध कर चुके लोग
नांगल चौधरी तहसीलदार की कार्यशैली बीते कई महीनों से विवादों में बनी हुई है। लोगों का कहना है कि 10-15 दिन में एक बार कार्यालय आते हैं, जिस कारण जमीन की रजिस्ट्री व अन्य जरूरी काम अटके रहते हैं। ड्यूटी पर आते हैं तो अधिकतर फाइलों को विभिन्न तर्क देकर अस्वीकार कर देते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि सुविधा शुल्क मिलने पर उन्हीं फाइलों पर हस्ताक्षर कर देते हैं।