हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ने तैयार की स्वदेशी मशीन, मशीन पर्यावरण से प्रदूषण को करेगी अलग
हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय के रसायन विज्ञान विभाग के प्रो. हरीश कुमार ने एक ऐसी स्वदेशी मशीन बनाई है जो प्रदूषण के कणों को सोखकर शुद्ध ऑक्सीजन बनाने का काम करती हैं। उनके इस शोध को केन्द्र सरकार की तरफ से पेटेंट भी मिल चुका हैं।;
महेंद्रगढ़। भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व के लिए बढ़ता प्रदूषण चिंता का विषय बना हुआ हैं। बढ़ते प्रदूषण के कारण कई बीमारियां भी पैदा हो रही हैं। सरकार की ओर प्रदूषण को रोकने के प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं, लेकिन हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय के रसायन विज्ञान विभाग के प्रो. हरीश कुमार ने एक ऐसी स्वदेशी मशीन बनाई है जो प्रदूषण के कणों को सोखकर शुद्ध ऑक्सीजन बनाने का काम करती हैं। उनके इस शोध को केन्द्र सरकार की तरफ से पेटेंट भी मिल चुका हैं। यह मशीन वातावरण से दूषित हवा को सोखकर चार प्रक्रिया से गुजरने के बाद शुद्ध हवा देती है। फिल्टर होने के बाद जो सोडियम काबार्ेनेट बचता है, उसका इस्तेमाल साबुन व डिटर्जेंट तैयार करने में हो सकता है। यह मशीन पूर्ण रूप से सौर ऊर्जा पर आधारित हैं। यह मशीन दिन में सौर ऊर्जा व रात के समय बैटरी से चलेगी। इस मशीन से प्रदूषण को रोकने में काफी मदद मिलेगी। अगर पीक हॉवर में इस यंत्र को सड़कों आदि पर घूमा दिया जाए तो फिर वहां पर भी प्रदूषण से मुक्ति मिलेगी।
इस तरह से काम करेगी मशीन
बढ़ता प्रदूषण देश के लिए एक बड़ी समस्या बन चुका हैं। प्रदूषण के कारण सांस लेने में तकलीफ, दमा सहित अनेक प्रकार के रोग होते है। आंखों का मचलना या उनका लाल होना आम बात होती है। हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय के रसायन विज्ञान विभाग के सीनियर प्रो. हरीश कुमार ने बताया कि उनके द्वारा तैयार की गई मशीन के माध्यम से पर्यावरण से धुएं तथा कार्बन के कणों को आसमान से अलग निकाल लिया जा सकेगा। इस प्रक्रिया में सोडियम काबार्ेनेट बनेगा उसे बाजार में भी उचित कीमत पर बेचा जा सकता है। इस सोडियम काबार्ेनेट का चुन्ना बनाने, वाशिंग पाउडर तथा साबुन बनाने व पेपर बनाने में बड़े पैमाने पर प्रयोग किया जा सकेगा। इसके साथ ही यह तरीका बिल्कुल साधारण है। इसको कोई भी व्यक्ति कर आसानी से कर सकता है।
पांच पेंटेट हो चुके है प्रकाशित
प्रोफेसर हरीश कुमार को केन्द्र सरकार की तरफ से पेंटेट भी मिला है। प्रोफेसर हरीश के इससे पहले भी पांच पेंटेट प्रकाशित हो चुके है। उन्होंने बताया कि उनका लक्ष्य एक ही है कि किस तरह से पर्यावरण को आने वाली पीढ़ी के लिए सही, साफ व स्वच्छ बनाया जाए। उन्होंने कहा कि यह उनका पर्यावरण स्वच्छ रखने में एक छोटा सा प्रयास है। इस तरह से न केवल आसमान में जो कोहरा छाया रहता है वह दूर होगा, बल्कि पर्यावरण भी साफ रहेगा। इस यंत्र की कीमत एक लाख रुपये हैं। इस यंत्र को अगर बड़े पैमाने पर बनाया जाए तो इसकी कीमत आधी से भी कम भी हो सकती है। प्रोफेसर हरीश कुमार ने कहा कि वो इस प्रोजेक्ट को केन्द्र सरकार के साथ मिलकर बड़े पैमाने पर करने के बातचीत चल रही हैं।
कुलपति ने दी प्रो. हरीश कुमार को बधाई
हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार ने कहा कि यह शोध समाजहित में है तथा आमजन को पर्यावरण की समस्याओं से मुक्ति दिलाने वाला है। उन्होंने कहा कि इस शोध की सबसे बड़ी बात यह है कि इससे हम पराली रूपी जो खतरनाक धुआं है, उससे भी मुक्ति मिलेगी, क्योंकि यह यंत्र आसमान से दूषित हवा को सोखने का कार्य करेगा। इससे न केवल पर्यावरण साफ होगा साथ ही सोडियम काबार्ेनेट का बड़े पैमाने पर उत्पादन करके हम इसको जिंदगी में साबुन, कागज आदि में भी प्रयोग करके आम आदमी की जिंदगी को सफल बना सकते है तथा आत्मनिर्भर भारत का सपना साकार कर सकते है।