हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग को कानूनी दर्जा ही प्राप्त नहीं
आज तक इसका संचालन 51 वर्षों पूर्व जनवरी, 1970 में प्रदेश सरकार द्वारा जारी एक गजट नोटिफिकेशन और उसमें समय समय पर राज्य सरकारों द्वारा किये गये संशोधनों/बदलावों से ही हो रहा है।;
Haryana : मुख्यमंत्री मनोहर लाल द्वारा हाल ही में दावा किया गया कि उनकी सरकार ने सरकारी नौकरियों में पर्ची और खर्ची सिस्टम को समाप्त किया है जो पिछली सरकारों में प्रचलित था एवं अब तक विभिन्न विभागों में योग्यता के आधार पर 80,000 नौकरियां प्रदान की गई हैं. सरकारी विभागों में ग्रुप सी व डी श्रेणी तथा गैर-राजपत्रित शिक्षण पदों के लिए 'वन टाइम रजिस्ट्रेशन पोर्टल' एवं इन वर्गों के पदों को भरने के लिए हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग (एचएसएससी) द्वारा कॉमन पात्रता परीक्षा (सीईटी) आयोजित करने का भी निर्णय लिया गया है।
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने बताया कि यह अत्यंत आश्चर्यजनक है कि आज तक एचएसएससी को वैधानिक (कानूनी) दर्जा ही प्राप्त नहीं है एवं आज तक इसका संचालन 51 वर्षों पूर्व जनवरी, 1970 में प्रदेश सरकार द्वारा जारी एक गजट नोटिफिकेशन और उसमें समय समय पर राज्य सरकारों द्वारा किये गये संशोधनों/बदलावों से ही हो रहा है।
वर्तमान खट्टर सरकार भी द्वारा गत छ: वर्षों में इसे कानूनी दर्जा देने सम्बन्धी प्रदेश विधानसभा द्वारा कोई अधिनियम नहीं बनवाया गया है। अढ़ाई वर्षों पूर्व जुलाई,2018 में हेमंत ने मुख्यमंत्री और तत्कालीन मुख्य सचिव दीपेन्दर सिंह ढेसी (वर्तमान में मुख्यमंत्री के मुख्य प्रधान सचिव ) आदि को अलग अलग प्रतिवेदन भेजकर 28 जनवरी 1970 को अधीनस्थ सेवाएं चयन बोर्ड (एस.एस.एस.बी ), जिसका नाम दिसंबर 1997 में बदलकर हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग (एच.एस.एस.सी) किया गया, का गठन भारत के संविधान के अनुच्छेद 309 के परंतुक के अंतर्गत किये जाने एवं आज तक इसी अनुच्छेद में मूल नोटिफिकेशन में राज्य सरकार द्वारा संशोधन किए जाने पर कानूनी प्रश्न चिन्ह उठाया था परन्तु यह अत्यंत खेदजनक है आज तक राज्य सरकार की ओर से उन्हें कोई जवाब प्राप्त नहीं हुआ हालाकि उन्हें मौखिक तौर पर यह बताया गया कि इस सम्बन्ध में देश की राज्य सरकारों से जानकारी प्राप्त की जा रही है।
हेमंत ने बताया कि संविधान के उक्त अनुच्छेद 309 में केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार के सरकारी कर्मचारियों की भर्ती एवं सेवा सम्बन्धी अधिनियम एवं नियम बनाने का प्रावधान है एवं किसी भी प्रकार से भी इस अनुच्छेद के तहत सरकारी कर्मचारियों के लिए कोई चयन एजेंसी अर्थात बोर्ड या आयोग गठित नहीं किया जा सकता है। उन्होंने आगे बताया कि केंद्र सरकार द्वारा भी अपने कर्मचारी चयन आयोग जिसे पहले अधीनस्थ सेवाएं आयोग कहा जाता था का सर्वप्रथम गठन नवंबर 1975 में भारत सरकार के कार्मिक विभाग के रेसोलुशन (संकल्प ) द्वारा किया गया था।
इसके बाद मई, 1999 में कर्मचारी चयन आयोग का पुर्नगठन भी कार्मिक मंत्रालय के नए रेसोलुशन द्वारा किया गया अर्थात दोनों बार इसके गठन में संविधान के अनुच्छेद 309 के परन्तुक का प्रयोग एवं उल्लेख कहीं नहीं किया गया जिससे स्पष्ट होता है की हरियाणा द्वारा उक्त प्रावधान में हरियाणा कर्मचारी आयोग का गठन कानूनी तौर एवं संवैधानिक दृष्टि से उचित नहीं है। वहीं मार्च,2018 में खट्टर सरकार द्वारा विधानसभा द्वारा बनवाया गया हरियाणा ग्रुप डी कर्मचारी (सेवा की शर्तें ) अधिनियम, 2018 जिसमे आज तक तीन बार संशोधन भी किया गया है वह हालांकि संविधान के अनुच्छेद 309 के अंतर्गत आता है चूंकि वह ग्रुप डी कर्मचारियों के सेवा-नियमों आदि से सम्बंधित है।