हरियाणा-यूपी सीमा : यमुना भूमि विवाद का नया मामला फिर आया सामने...

मामला यूपी के गांव निनाना फैजपुर की जमीन से जुड़ा हुआ है, जोकि यमुना के कारण हरियाणा की तरफ आ गई थी। बड़ौली गांव के साथ लगती इस जमीन को कुछ लोग कब्जाने की कोशिश में हैं।;

Update: 2023-09-26 11:55 GMT

हरिभूमि न्यूज. सोनीपत

यूपी और हरियाणा का सीमा विवाद कई सालों से चला आ रहा है। हर साल इसी विवाद में यमुना नदी आग में घी का काम करती है। पानी ज्यादा होने के बाद बहाव कभी इधर तो कभी उधर ज्यादा हो जाता है। इसी विवाद में नया मामला सामने आया है।

मामला यूपी के गांव निनाना फैजपुर की जमीन से जुड़ा हुआ है, जोकि यमुना के कारण हरियाणा की तरफ आ गई थी। बड़ौली गांव के साथ लगती इस जमीन को कुछ लोग कब्जाने की कोशिश में हैं। दीक्षित अवार्ड के बाद यूपी की जमीन हरियाणा की तरफ आई थी, इसी में से 153 एकड़ भूमि निनाना गांव की भी है। इस जमीन पर कब्जा करने के लिये सालों से प्रयास किए जा रहे हैं। इन्हीं प्रयासों के बीच यूपी के राजस्व विभाग के अधीन सर्वे विभाग ने 27 लोगों की सूची सत्यापित की है। सूची के अनुसार इन लोगों को इस 153 एकड़ भूमि का मालिक बताया गया है। इस पर निनाना के वर्तमान प्रधान व कुछ ग्रामीणों ने सोनीपत प्रशासन के पास जांच की गुहार लगाई है। इनका कहना है कि यह 153 एकड़ भूमि शामलात भूमि है और पंचायत के नाम ही है। ऐसे में 27 लोगों के नाम जमीन चढ़ाकर कब्जा करने का प्रयास किया जा रहा है। गत दिवस भी निनाना के ग्रामीण सोनीपत के राजस्व विभाग कार्यालय से रिकॉर्ड मांगने पहुंचें थे। दूसरी ओर अधिकारियों की मानें तो यूपी प्रशासन चाहे किसे भी सत्यापित करें, लेकिन जमीन की चकबंदी हो चुकी है। इसीलिए इस में फेरबदल संभव नहीं है।

ये है मामला

1974 में सीमा विवाद को लेकर जो समझौता हुआ था उसे दीक्षित अवार्ड का नाम दिया गया था। इसके अनुसार यमुना नदी को दोनों प्रदेशों की सीमा मान लिया गया था। दीक्षित अवार्ड के तहत गांव निनाना की 700 बीघा से ज्यादा यानी करीब 153 एकड़ शामलात भूमि सोनीपत के गांव बडौली की तरफ आ गई थी। इस भूमि को हरियाणा में शामलात भूमि के तहत ही रिकार्ड में अंकित किया गया था। वर्ष 2015 के बाद अचानक एक सूची तैयार की गई, जिसमें निनाना गांव के 27 ग्रामीणों के नाम दिए गए थे और कहा गया था कि बडौली क्षेत्र में गई 153 एकड़ भूमि इन्हीं 27 ग्रामीणों की है। यह सूची हरियाणा में सोनीपत प्रशासन के पास भेजी गई। यहां से चंडीगढ़ मुख्यालय में भेज दी गई। रिकार्ड खंगाला तो हरियाणा के रिकार्ड में कोई साक्ष्य नहीं मिले। ऐसे में सूची को सत्यापित करने के लिए सोनीपत प्रशासन की ओर से बागपत प्रशासन के पास भेजा गया। वहां से सर्वे विभाग ने सूची को सत्यापित कर वापस भेज दिया। अब सवाल उठाया गया है कि जब रिकार्ड में यह भूमि शामलात है तो 27 ग्रामीणों के नाम कैसे चढ़ा दी गई।

ग्रामीणों ने लिखी चिट्ठी सूची है फर्जी, जांच करें

निनाना के ग्रामीणों ने सोनीपत प्रशासन को चिट्ठी लिखी है। चिट्ठी में यूपी के सर्वे विभाग द्वारा सत्यापित सूची के बारे में जानकारी मांगी है। ग्रामीणों ने पूछा है कि आखिर किस रिकॉर्ड के तहत यह जमीन उन 27 ग्रामीणों के नाम दर्शायी गई है, जिनके नाम सूची में शामिल किए गए हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि यह सूची पूरी तरह से फर्जी है और इसकी जांच कर कार्रवाई की जानी चाहिए। इधर, सोनीपत प्रशासन ने सूची को सिरे से नकारते हुए कहा है कि यह जमीन पहले से हुई चकबंदी के अनुसार ही रहेगी। शामलात जमीन में अब कोई फेरबदल नहीं किया जाएगा।

1974 में हुआ था दीक्षित अवार्ड

1974 में केंद्र सरकार ने दोनों प्रदेशों के किसानों की सीमा विवाद को समाप्त करने के लिए दीक्षित अवार्ड घोषित किया था। सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज दीक्षित के नाम पर इसे दीक्षित अवार्ड का नाम दिया। इस अवार्ड के तहत यमुना नदी को ही दोनों प्रदेशों की सीमा मान लिया था। चूंकि कुछ क्षेत्रों में यमुना के बहाव के कारण यमुना का दायरा हरियाणा की ओर कम होकर यूपी की ओर बढ़ गई था तो यू.पी. के कुछ गांवों की जमीन हरियाणा क्षेत्र में आ गई थी। ऐसे ही कुछ अन्य जगहों पर हरियाणा की जमीन यूपी की ओर चली गई थी।

दीक्षित अवार्ड के बाद माननीय अदालत के आदेश पर जो चकबंदी हुई थी, उसमें कोई बदलाव नहीं होगा। उस दौरान हुई चकबंदी के अनुसार उक्त जमीन शामलात में आती है तो अब उसे शामलात की श्रेणी में ही रखा जाएगा - हरिओम अत्री, डीआरओ, सोनीपत

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