कृषि कानून वापसी के बाद भी रोष, शादी के कार्ड में लिखवाया- BJP, JJP और संगठन के लोग आने से बनाएं दूरी
शादी के निमंत्रण का एक कार्ड साेशल मीडिया पर वायरल हो गया है जिसमें लिखा है कि भाजपा, जजपा और आरएसएस से जुड़े लोग इस शादी समारोह से दूर रहें। तीन कृषि कानून बनाने के बाद से ही भाजपा और जजपा पार्टियों के विधायकों, मंत्रियों और नेताओं का विराेध शुरू हुआ था।;
हरिभूमि न्यूज : बावल ( रेवाड़ी )
कृषि कानूनों ( Farm Laws ) को लेकर प्रदेश में शुरू हुआ भाजपा, जजपा व आरएसएस ( Bjp-jjp leader ) नेताओं का विरोध कृषि कानून वापस ( Farm laws Repealed ) होने के बाद भी थमता नहीं दिख रहा। तीन कृषि कानून बनाने के बाद से ही प्रदेश में भाजपा और जजपा पार्टियों के विधायकों, मंत्रियों और नेताओं का विराेध शुरू हुआ था। सरकार का कोई कार्यक्रम हो या नेताओं का निजी कार्यक्रम, हर जगह आंदोलनकारी किसान काले झंडे लेकर पहुंच जाते हैं। कई बार नेताओं को कार्यक्रम रद भी करना पड़ा है। अभी शादियों का सीजन चल रहा है तो लोगों ने नेताओं का विरोध करने का एक और अनोखा तरीका निकाला है। अब शादियों के निमंत्रण कार्ड पर भी लिखा जाने लगा है कि भाजपा और जजपा का कोई नेता इस शादी में ना आएं। ऐसा ही एक कार्ड साेशल मीडिया पर वायरल हो गया है।
झज्जर के गांव मातनहेल निवासी विश्व जाट महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष तथा जय जवान-जय किसान मजदूर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष एवं पूर्व ब्लॉक समिति चेयरमैन राजेश धनखड़ ने एक दिसंबर को होने वाली अपनी बेटी की शादी के कार्ड पर ही संदेश लिखवा दिया कि भाजपा, जजपा और आरएसएस से जुड़े लोग इस शादी समारोह से दूर रहें। बुधवार को बावल के अंबेडकर पार्क में पहुंचे किसान नेता युद्धवीर सिंह ने अपने नाम से आए इसी कार्ड को मंच पर प्रदर्शित किया और भाजपा, जजपा व आरएसए से जुड़े नेताओं और कार्यकर्ताओं के विरोध में लोगों से एकजुट रहने का आह्वान किया।
कृषि कानून वापसी के बाद भी विरोध
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 नवंबर को गुरु नानक देव जयंती के अवसर पर घोषणा की थी कि सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस ले रही है और आगामी संसद सत्र के दौरान तीनों कानूनों को वापस लेने का विधेयक पारित किया जाएगा। 29 नवंबर को संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने जा रहा है, जिसमें इस बिल की वापसी का प्रस्ताव दोनों सदनों में रखा जाएगा। और फिर राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद ये वर्तमान बिल रद्द हो जाएगा। ऐसे में कृषि कानून वापसी के बाद भी नेताओं का विरोध जारी है। अब किसान एमएसपी पर लिखित गांरटी का कानून बनाने की मांग कर रहे हैं।