बॉक्सिंग में इसलिए आते हैं हरियाणा के मेडल, देखें क्या है इसका राज
रोहतक के साहब सिंह नरवाल सीमित संसाधनों में देश की झोली में बॉक्सिंग के हीरे तराशने के नायाब उदाहरण हैं। इनके सिखाए बच्चे केंद्र सरकार की टॉप स्कीम में भी शामिल हैं और 2024 के ओलंपिक को लेकर अपनी तैयारियों में जुटे हैं।;
हरिभूमि न्यूज : रोहतक
रोहतक के लाढौत रोड पर शास्त्री नगर के खाली प्लॉटों में सुबह से शाम तक चहल पहल रहती है। ये रोनक होती हैं बॉक्सिंग में मैडल जीतने की हसरत से कोच साहब सिंह नरवाल के पास आए युवा बॉक्सरों की मेहनत की। इन बॉक्सरों में आठ साल के बच्चों से लेकर इंटरनेशनल लेवल तक के बॉक्सर शामिल हैं।
साहब सिंह नरवाल सीमित संसाधनों में देश की झोली में बॉक्सिंग के हीरे तराशने के नायाब उदाहरण हैं। इनके सिखाए बच्चे केंद्र सरकार की टॉप स्कीम में भी शामिल हैं और 2024 के ओलंपिक को लेकर अपनी तैयारियों में जुटे हैं। बॉक्सर मंजू कौशिक, अंकित नरवाल, गीतिका जैसे बॉक्सर तराशने का काम साहब सिंह ने किया है। पोलेंड में हुए जूनियर बॉक्सिंग कप में भी साहब सिंह के सिखाए बॉक्सरों ने गोल्ड और ब्रांच जीते हैं।
कबड्डी छोड़कर बॉक्सिंग से जुड़े
कोच साहब सिंह नरवाल रिठाल गांव के हैं। 2010 में स्पैट की तैयारियों को लेकर बच्चों की फिटनेस बना रहे थे, एक दिन इनका ध्यान बॉक्सिंग की तरफ गया। एक के बाद एक कई दिन तक ये बॉक्सिंग के मैच देखते रहे और फिर खुद को कबड्डी से अलग कर बॉक्सिंग से जोड़ लिया। गांव में ही जुगाड़ से रिंग बना लिया और तब से लेकर अब तक कई इंटनेशनल बॉक्सर देश को दे चुके हैं। साहब सिंह कहते हैं कि उनके पास कोई बॉक्सिंग का अनुभव नहीं था, ना कोई एनआईएस की है लेकिन देखकर सीखने की ललक ने उन्हें बॉक्सिंग की नब्ज पकड़ा दी। इंटरनेट की सुविधा ने उन्हें दुनिया के बॉक्सरों की तकनीक सीखने और फिर बच्चों को सिखाने में मदद की है। खुद वो ढाई एकड़ जमीन के जमींदार हैं लेकिन हिम्मत और जुनून के चलते वो ये सब कर पा रहे हैं। बॉक्सिंग सिखाने के लिए उन्होंने एक भी पैसा नहीं लिया है, बच्चे मैडल जीतते रहे इसी में संतोष है। फिलहाल ये एक अच्छे बॉक्सिंग रिंग की कोशिश में हैं ताकि बच्चों को और ज्यादा सुविधाएं दे सकें।
साहब सिंह ने अब तक ये हीरे तराशे
कोच साहब सिंह नरवाल की कोचिंग में अब तक इंटरनेशनल लेवल पर मंजू कौशिक, अंकित नरवाल, जॉनी, मनीषा, निशा, गीतिका, शिक्षा और प्रदीप ने मैडल जीते हैं। नेशनल लेवल अंशु, प्रियंका, पारूल, कीर्ति, दीक्षा, अन्नू, सुजाता, कीर्ति और स्वीटी ने मैडल जीते हैं। बॉक्सिंग में मैडल जीतकर अभी तक उनके बॉक्सर अंकित नरवाल, मंजू कौशिक, जॉनी, प्रियंका, शिक्षा, निशा, निशा सिंह और देव आईटीबीपी और रेलवे आदि में नौकरी भी लग चुके हैं। अभी फिलहाल साहब सिंह नरवाल बीस बच्चों को बॉक्सिंग की कोचिंग दे रहे हैं।
गजब के कोच हैं साहब सिंह: मेजर सत्यपाल सिंधु
साहब सिंह नरवाल जैसे कोच और पैरेंट्स की मेहनत की वजह से हरियाणा के खिलाडी नाम कमा रहे हैं। बेसिक कोच का योगदान अहम होता है और साहब सिंह नरवाल इसकी मिसाल हैं। हरियाणा बॉक्सिंग संघ ऐसे कोच की मदद के लिए हमेशा तैयार रहता है और मैं खुद साहब सिंह नरवाल जी से लगातार संपर्क में रहता हूं। उन्हें जो भी मदद चाहिए होती हैं, कोशिश रहती है कि तुरंत उसको पूरा किया किया। 2024 ओलंपिक की टॉप स्कीम में साहब सिंह नरवाल के सिखाए बॉक्सर भी शामिल हैं। बेशक, हरियाणा का बॉक्सिंग में भविष्य उज्ज्वल है।
मेजर सत्यपाल सिंधु, अध्यक्ष, हरियाणा बॉक्सिंग संघ।