ऑस्ट्रेलिया में हरियाणवियों ने ऐसे मनाया गणतंत्र दिवस समारोह
एएचए स्वयंसेवकों ने गणतंत्र दिवस रक्तदान अभियान को शानदार सफलता दिलाने के लिए अथक प्रयास किया। ऑस्ट्रेलिया में हरियाणवी संघ द्वारा अपनी मातृभूमि को श्रद्धांजलि देने का यही हरियाणवी तरीका है।;
73वां गणतंत्र दिवस न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी बहुत धूमधाम से मनाया गया। एसोसीएशन ओफ़ हरियाणविज इन ऑस्ट्रेलिया (एएचए) एक बहुत ही जीवंत संगठन है जो नए प्रवासियों में ऑस्ट्रेलियाई मूल्यों को विकसित करता है और समुदाय के मुद्दों के बारे में समुदाय को संवेदनशील बनाता है। तीन वर्षों की अवधि में, इस संगठन ने ऑस्ट्रेलिया और भारत के बीच द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा दिया है। विशेष रूप से, जब भारत कोविड महामारी के संकट से गुजर रहा था तब इस संगठन ने 210,000 डॉलर (1.2 करोड़ रुपए) मूल्य के 110 ऑक्सीजन कॉन्सेन्ट्रेटर और ऑक्सीमीटर दान करके एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस नेक कार्य की हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री ने सराहना करते हुए इसे दान और परोपकार के मानवीय मूल्यों को प्रदर्शित करने वाला कार्य बताया।
COVID-19 महामारी ने ऑस्ट्रेलिया में रक्त और प्लाज्मा की भारी कमी ला दी है। इस गंभीर स्थिति को महसूस करते हुए, ए॰एच॰ए॰ टीम ने लोगों को रक्तदान करने के लिए जागरूक और प्रेरित करके रक्तदान अभियान शुरू किया। COVID-19 की शुरुआत से ही ए॰एच॰ए॰ वर्ष में दो बार रक्तदान अभियान आयोजित कर रहा है। 26 जनवरी और 15 अगस्त को दोनों दिन भारतीयों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। ऑस्ट्रेलिया में हरियाणवी संघ द्वारा अपनी मातृभूमि को श्रद्धांजलि देने का यही हरियाणवी तरीका है।
राष्ट्रीय रक्तदान समन्वयक सतीश खत्री ने ब्यूरो को सूचना दी कि अब तक एएचए ने 600 यूनिट से अधिक रक्त और प्लाज्मा दान किया है, जिससे 1800 से अधिक लोगों को जीवनदान मिला है। कोविड महामारी की ओमाइक्रोन लहर के कारण लोग अपने घरों से बाहर आने से डर रहे हैं लेकिन ए॰एच॰ए॰ की टीम ने समुदाय के सदस्यों को रक्तदान के बारे में जागरूक किया। इसके लिए ए॰एच॰ए॰ ने वेबिनार और ऑनलाइन बैठकें कीं।
एएचए स्वयंसेवकों अशोक कुंडू, सतपाल चहल, रविंदर घनगस, मंजीत साहू, नरेंद्र मलिक, विभोर शर्मा, सचिन दुहन व अन्य ने गणतंत्र दिवस रक्तदान अभियान को शानदार सफलता दिलाने के लिए अथक प्रयास किया। एएचए के प्रमुख उद्देश्य ऑस्ट्रेलिया में रहने वाले सभी हरियाणवियों को एक साथ लाना, भाईचारे के बंधन को संजोए रखना, बुज़र्गों के लिए मनोरंजन केंद्रों की स्थापना करना, उन्हें घर से दूर घर जैसा महसूस कराना, हरियाणवी संस्कृति और त्योहारों को प्रदर्शित करने के लिए कार्यक्रम आयोजित करना और खेल का आयोजन करना है।