क्रिकेटर युवराज सिंह को हाई कोर्ट ने दी राहत, हांसी के एसपी को हलफनामा देने का आदेश

। शुक्रवार को मामले की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट के जस्टिस अमोल रतन सिंह ने जांच जारी रखने व दो सप्ताह के भीतर हाई कोर्ट में जांच रिपोर्ट पेश करने का भी आदेश दिया है।;

Update: 2021-03-26 11:46 GMT

Haryana : क्रिकेटर युवराज सिंह जिनके खिलाफ हांसी में एससी/एसटी एक्ट के तहत एफआइआर दर्ज की गई है उस एफआइआर पर हाई कोर्ट ने अगले आदेशों तक किसी भी किस्म की कार्रवाई किए जाने पर रोक लगाते हुए हाई कोर्ट ने एसपी हांसी को हलफनामा देने का आदेश दिया है। शुक्रवार को मामले की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट के जस्टिस अमोल रतन सिंह ने जांच जारी रखने व दो सप्ताह के भीतर हाई कोर्ट में जांच रिपोर्ट पेश करने का भी आदेश दिया है।

बहस के दौरान इस मामले में शिकायतकर्ता के वकील अर्जुन श्यारेण की तरफ से हांसी पुलिस पर आरोप लगाया कि इस मामले में पुलिस ने अभी तक कोई जांच नहीं की है जबकि जांच पर रोक के बारे में हाई कोर्ट ने कोई आदेश नहीं किया है। इस पर हरियाणा सरकार के वकील ने कहा कि इस मामले में युवराज सिंह की विवादित वीडियो जांच के लिए सीएफएसएल चंडीगढ़ व गुरूग्राम को भेजी गई थी, इस पर बेंच ने कहा कि जब युवराज सिंह खुद मान रहे हैं कि यह वीडियो उन की है तब इस वीडियो की लैब में जांच कराने की क्या जरूरत है ।

जस्टिस अमोल रतन सिंह ने साफ किया कि उन्होंने जांच पर किसी तरह की कोई रोक नहीं लगाई है उन्होंने केवल पुलिस द्वारा याचिकाकर्ता युवराज सिंह के खिलाफ कार्रवाई पर रोक लगाई है । बेंच ने हरियाणा सरकार को आदेश दिए कि युवराज सिंह द्वारा अपनी टिप्पणी में अपमानजनक शब्द के इस्तेमाल के बारे में शिकायतकर्ता की मंशा के बारे में अगली तारीख पेशी पर हांसी पुलिस अधीक्षक का शपथ पत्र पेश किया जाए तथा शिकायतकर्ता के वकील को भी निर्देश दिए कि वे इस बारे में अपना जवाब पेश करें।

ज्ञात रहे कि क्रिकेटर युवराज सिंह ने पिछले साल इंस्टाग्राम पर यजुवेंद्र चहल से वीडियो चैटिंग करते हुए दलित समाज के लिए अपमानजनक टिप्पणी की थी जिस पर हांसी थाना शहर में उसके खिलाफ अनुसूचित जाति व जनजाति अत्याचार अधिनियम के खिलाफ दर्ज मुकदमा दर्ज हुआ था इस मुकदमे को खारिज कराने के लिए युवराज सिंह ने पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की थी जिस पर पिछली सुनवाई पर हाई कोर्ट ने हरियाणा पुलिस को युवराज सिंह के खिलाफ कोई कार्रवाई न करने का आदेश दिया था।

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