हाईकोर्ट के आदेश : अपह़्रत लड़की को यहां लेकर आओ, नहीं तो एसपी और एसएचओ खुद पेश हों

एक व्यक्ति ने अपनी याचिका में आरोप लगाया था कि उसकी लड़की 14 साल की लड़की को एक लड़के ने अपने पास रखा हुआ है। कोर्ट के आदेश पर जब लड़की को पेश किया तो उसने कहा कि वह 19 साल की है और अपनी मर्जी से लड़के के साथ रह रही है। बाद में उसके उम्र संबंधी दस्तावेत फर्जी निकले।;

Update: 2021-08-12 14:09 GMT

चंडीगढ़। एक नाबालिग लड़की के अपहरण होने व पुलिस द्वारा उसे खोज न पाने पर हाईकोर्ट ने कड़ा रूख अपनाया है। हाई कोर्ट ने एसपी नूंह व एसएचओ पुन्हाना को आदेश दिया है कि अगर 13 अगस्त को मामले की सुनवाई के दौरान लड़की पेश नहीं की गई तो एसपी व एसएचओ खुद पेश हों।

हाई कोर्ट ने यह आदेश मेवात निवासी अर्शद खान की याचिका पर जारी किया। खान ने अपनी याचिका में आरोप लगाया था कि उसकी लड़की 14 साल की है जो एक लड़के ने बहला फुसला कर अपने पास रखी हुई है। कोर्ट के आदेश पर जब लड़की को पेश किया गया तो उसने कहा कि वह 19 साल की है और अपनी मर्जी से लड़के के साथ रह रही है। लड़की के पिता ने कोर्ट को बताया कि लड़की 14 साल की है। लडके व लड़की ने नवम्बर में हाई कोर्ट में याचिका दायर कर सुरक्षा की मांग की थी जिसमें लड़की के फर्जी उम्र के दस्तावेज व आधार कार्ड लगे थे। पिता की इस जानकारी के बाद कोर्ट ने लड़की के आधार कार्ड व अन्य दस्तावेज जांच करवाए तो वो फर्जी निकले।

इस पर सरकार ने कहा कि लड़की नाबालिग है और बाल विवाह निरोधक कानून के तहत यह दंडनीय है। लड़के के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। सरकार ने बताया कि बाल विवाह कानून के तहत नाबालिग लड़की को उसके कथित पति की हिरासत में नहीं दिया जा सकता। केवल मां बाप को ही इसकी हिरासत दी जा सकती है। लड़की के रवैये के चलते हाई कोर्ट ने एसपी नूंह को आदेश दिया कि वो तुरंत लड़की को अपनी कस्टडी में लेकर मेवात के चाइल्ड होम में सरकारी खर्च पर रखें। कुछ दिन बाद कोर्ट को जानकारी दी गई कि लड़का-लडकी को चाइल्ड होम से भगा कर ले गया। इस पर पलिस ने लड़के के खिलाफ अपहरण का मामला दर्ज किया था। इस पर हाईकोर्ट ने पुलिस को लड़की का पता लगा कर उसे कोर्ट में पेश करने का आदेश् दिया था। लेकिन कोर्ट के आदेश के बाद भी पुलिस लड़की का पता लगाने में असफल रही।

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