बाल विवाह के मामलों पर हाई कोर्ट सख्त, हरियाणा में स्थिति पंजाब से भी ज्यादा खराब
इस साल 31 अक्टूबर तक पंजाब में जहां बाल विवाह के खिलाफ 17 शिकायत आई, वहीं हरियाणा में 104 शिकायतें दर्ज हुई हैं। हाई कोर्ट के जस्टिस एके त्यागी ने सभी जवाब को रिकार्ड पर लेते हुए मामले में सुनवाई 21 दिसंबर तक स्थगित कर दी।;
सरकारों की तमाम सख्ती के बावजूद बाल विवाह थमने का नाम नहीं ले रहे। हरियाणा में स्थिति पंजाब से भी ज्यादा खराब है। इस साल 31 अक्टूबर तक पंजाब में जहां बाल विवाह के खिलाफ 17 शिकायत आई, वहीं हरियाणा में 104 शिकायतें दर्ज हुई हैं। एक मामले की सुनवाई के दौरान बढ़ते बाल विवाह के मामलों पर चिंता जताते हुए हाई कोर्ट ने हरियाणा, पंजाब व चंडीगढ़ प्रशासन से जवाब तलब किया है।
हाईकोर्ट के कड़े रुख के बाद सरकारों ने जो रिपोर्ट भेजी, उसमें यह तथ्य उजागर हुए हैं। मंगलवार को मामले की सुनवाई के दौरान पंजाब सरकार के ब्यूरो आफ इनवेस्टिगेशन के एआइजी सर्वजीत सिंह ने हाई कोर्ट में हलफनामा दायर कर बताया कि इस साल 31 अक्टूबर तक राज्य में बाल विवाह की कुल 17 शिकायत आई, जिसमें 16 एफआइआर दर्ज की गई।
इसके अलावा निदेशक ब्यूरो आफ इनवेस्टिगेशन की तरफ से सभी पुलिस अधिकारियों व जिला पुलिस प्रमुखों को बाल-विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 की पालना के बारे में दिशा निर्देश दिए गए हैंं। हरियाणा के एडीजीपी, क्राइम अंगेस्ट वूमेन कला रामचंद्रन ने हाई कोर्ट को बताया कि राज्य में इस साल अभी तक बाल-विवाह की 104 शिकायत आई, जिसमें कुल 39 एफआइआर दर्ज की गई।कोर्ट को बताया गया कि जिन शिकायतों में शादी नहीं हुई या उम्र शादी के योग्य थी, मामला दर्ज नहीं किया। कोर्ट को बताया गया कि बाल-विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 को पुलिस अधिकारियों की ट्रेनिंग में शामिल किया गया है। चंडीगढ़ प्रशासन की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि चंडीगढ़ में बाल विवाह का केवल एक मामला दर्ज किया गया है।
हाई कोर्ट के जस्टिस एके त्यागी ने सभी जवाब को रिकार्ड पर लेते हुए मामले में सुनवाई 21 दिसंबर तक स्थगित कर दी। इस मामले में एक प्रेमी जोड़े ने अपने वकील सुरमीत सिंह संधू के माध्यम से सुरक्षा की गुहार लगाई थी। युवक 22 वर्ष का था और युवती 18 वर्ष से कम की। इस दौरान लड़की के परिजनों ने उसके नाबालिग होते हुए उसे अपने साथ ले जाने की मांग की थी।
इस तरह के मामलों की बढ़ती संख्या पर, जिसमें लड़की की आयु विवाह योग्य न हो, चिंता जताते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि कठोर कानून के बावजूद बाल विवाह पर रोक नहींं लग पा रही है। हाई कोर्ट ने कहा कि लगातार ऐसे मामले सामने आने के बावजूद पुलिस ठोस कदम नहीं उठाती है। इस पर हाई कोर्ट ने बाल विवाह मामलों की जानकारी तलब की थी।