चार दशक बाद भी HIV एड्स लाइलाज बीमारी, हर साल हो रही मौतों का आंकड़ा चौंकाने वाला
एचआईवी/एड्स यानि ह्यूमन इम्युनोडेफिशिएंसी वॉयरस से होता है। यह वायरस इम्युनिटी सिस्टम को कमजोर बनाता है, जिससे शरीर की बीमारियों से लड़ने की क्षमता कमजोर अथवा खत्म हो जाती है ।;
राजकुमार : नारनौल
लगभग चार दशक गुजर जाने के बाद भी एचआईवी/एड्स लाइलाज बीमारी है। आज भी इस बीमारी का पुख्ता इलाज नहीं मिल सका है और इस बीमारी से ग्रस्ति लोग अब भी कारगर उपचार के अभाव में अकाल ही दम तोड़ रहे हैं। हरियाणा के जिला महेंद्रगढ़ में भी एचआईवी/एड्स मरीजों की स्थिति ज्यादा अच्छी नहीं है। इस समय जिले में 338 केस एचआईवी/एड्स रि-एक्टिव हैं और सालाना लगभग 25-30 लोग इस बीमारी के कारण अकाल दम तोड़ देते हैं। यह आंकड़ा अकेले महेंद्रगढ़ जिले का है। इसको लेकर स्वास्थ्य विभाग भी चिंतित है और लगातार इसके विरुद्ध जागरूकता अभियान चला रहा है। गत एक दिसंबर से यह अभियान इस माह निरंतर स्कूलों एवं कॉलेजों के साथ-साथ आमजन में भी चलाया जा रहा है, जिससे लोग खासकर युवा पीढ़ी इस बीमारी के प्रति सचेत रहे। सुरक्षा अपनाना ही सबसे बड़ा हथियार माना गया है। जिले के लिए राहत की बात यह है कि यहां कोई हाई रिस्क एरिया नहीं है।
बता दें कि दुनियाभर में एक दिसंबर को एचआईवी/एड्स डे मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का मकसद लोगों में एड्स को लेकर जागरूकता फैलाना है। एचआईवी/एड्स यानि ह्यूमन इम्युनोडेफिशिएंसी वॉयरस से होता है। यह वायरस इम्युनिटी सिस्टम को कमजोर बनाता है, जिससे शरीर की बीमारियों से लड़ने की क्षमता कमजोर अथवा खत्म हो जाती है और ग्रस्ति व्यक्ति गंभीर बीमारियों के साथ-साथ समय से पहले अकाल मौत का शिकार हो जाता है।
जिला महेंद्रगढ़ की स्थिति
महेंद्रगढ़ जिले में इस समय 338 केस एचआईवी/एड्स रि-एक्टिव केस हैं। इनमें से 170 पुरुष तथा 163 महिलाएं हैं। जबकि तीन मेल चाइल्ड एवं दो फिमेल चाइल्ड भी इससे ग्रस्त हैं और उन्हें उपचार प्रदान किया जा रहा है।
फैलने के तरीके
असुरक्षित यौन संबंध यानि बिना कंडोम के एचआईवी/एड्स से ग्रस्त मरीज के साथ सैक्स करना सबसे बड़ा कारण माना गया है। इसके साथ ही एचआईवी/एड्स संक्रमित व्यक्ति से खून लेकर चढ़ाने, संक्रमित व्यक्ति का इंजेक्शन बिना उबाले दूसरे व्यक्ति को लगाने, संक्रमित गर्भवती महिला से उसके भ्रूण में पल रहे बच्चे को यह रोग लगने का खतरा रहता है।
पहले छुपाते थे लोग
पहले एचआईवी/एड्स रोगी अपनी बीमारी का इलाज लेने की बजाए उसे छुपाते थे और बताने में शर्म व झिझक महसूस करते थे, जिस कारण यह बीमारी अधिक लोगों में फैलने का कारण बनी। अब सरकार ने एड्स पॉजिटिव शब्द को बैन करते हुए रि-एक्टिव और नॉन रि-एक्टिव का नाम दे दिया है।
काउंसलर रखते हैं नजर
जब इस बीमारी से ग्रस्त रोगी पाया जाता है तो काउंसलर उसकी निगरानी करते हैं और सरकारी अस्पताल लाकर उसे उपचार प्रदान करवाते हैं। उपचार लेकर व्यक्ति दवाओं के सहारे सामान्य जीवन जीने लगता है।
सरकार का लक्ष्य है काबू पाना
विश्व स्वास्थ्य संगठन ही नहीं, सरकारें भी इस बीमारी को पूरी तरह से खत्म करने को प्रयासरत हैं। इसका लक्ष्य 2020 रखा गया था, लेकिन अब तक पूरी तरह सफलता नहीं मिल पाई है। जिस कारण अब भी यह रोग असुरक्षित कारणों के चलते अब भी फैल रहा है और एड्स रोगी पाए जा रहे हैं।
यह हैं लक्षण
एक माह से ज्यादा समय तक लगातार बुखार रहने लगता है। दस्त भी हो जाते हैं। एड्स रोगी का वजन कम होने लगता है। इसलिए इसकी समय पर जांच करवाकर उपचार लेना ही बेहतर उपाय है।
महेंद्रगढ जिले में चार जगह बने हैं आईसीडीसी
इस बीमारी के उपचार के लिए जिले में चार जगह पर आईसीडीसी सेंटर बनाए गए हैं, जिनमें नागरिक अस्पताल नारनौल, नागरिक अस्पताल महेंद्रगढ़, उप नागरिक अस्पताल कनीना तथा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अटेली शामिल हैं। इन सभी केंद्रों पर फ्री काउंसलिंग एवं उपचार की सुविधा उपलब्ध है।
बना है एचआईवी एक्ट
एड्स रोग साथ-साथ रहने, खाना-खाने, कपड़े पहनने या बातचीत करने से नहीं फैलता है, लेकिन अनेक लोग पता लगने के बाद एड्स रोगी से घृणा करने लगते हैं, जिसका एड्स रोगी पर बहुत बुरा असर पड़ता है तथा वह जल्दी से मरने की तरफ दौड़ने लगता है। इसी को रोकने के लिए सरकार ने एक्ट बनाया हुआ है और यह लोग नौकरी करने के भी हकदार हैं।
असुरक्षित कारणों से फैलता है यह रोग
डिप्टी सिविल सर्जन एवं एचआईवी/एड्स रोग के नोडल अधिकारी डा. हर्ष चौहान ने बताया कि एचआईवी/एड्स छूआछत का रोग नहीं है। यह असुरक्षित कारणों से फैलता है। जिले में इस समय लगभग 338 केस रि-एक्टिव हैं। हर साल 25-30 केसों की मौत भी हो जाती है। ऐसे में लोगों को सावधानियां बरतने की आवश्यकता है। सावधानी ही सबसे ज्यादा कारगर है। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग इस पूरे माह जागरूकता अभियान भी चला रहा है।