हुड्डा बोले -कृषि क़ानून ख़ारिज करने के लिए विधानसभा में प्रस्ताव लाएगी कांग्रेस
नेता प्रतिपक्ष ने बताया कि कांग्रेस लगातार राज्यपाल से विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की मांग कर रही है। उनसे मिलने के लिए लगातार वक्त मांगा जा रहा है।;
चंडीगढ़। तीनों कृषि क़ानूनों को ख़ारिज करने के लिए कांग्रेस विधानसभा में प्रस्ताव लाएगी। एपीएमसी एक्ट में संशोधन का बिल लाया जाएगा ताकि किसानों को एमएसपी की गारंटी मिल सके और अगर कोई एमएसपी से कम पर किसान की फसल ख़रीदें तो उसपर क़ानूनी कार्रवाई हो सके।
बुधवार को चंडीगढ़ में कांग्रेस विधायक दल की बैठक पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र हुड्डा की अध्यक्षता में ये बैठक हुई। नेता विपक्ष भूपेंद्र हुड्डा ने कहा कि आंदोलन पूरी तरह गैर राजनीतिक है और किसान संगठन इसकी अगवानी कर रहे हैं। लेकिन कांग्रेस किसानों की मांगों और उनके शांतिपूर्ण आंदोलन के साथ मजबूती से खड़ी है। हुड्डा ने कहा कि सरकार आंदोलन को दबाने के लिए जिस तरह के हथकंडे अपना रही है, उसकी सभी विधायकों ने एक सुर में निंदा की। अपनी मांगों के लिए आंदोलन करना किसानों का लोकतांत्रिक अधिकार है। ऐसे में आंदोलनकारियों को परेशान करने के लिए उनका इंटरनेट, बिजली, पानी कनेक्शन और साफ-सफाई की सुविधाएं बंद करना अमानवीय कार्य है। सरकार को तुरंत तमाम सुविधाएं फिर से शुरू करनी चाहिए। नेता प्रतिपक्ष ने बताया कि कांग्रेस लगातार राज्यपाल से विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की मांग कर रही है। उनसे मिलने के लिए लगातार वक्त मांगा जा रहा है। कल भी इसके लिए महामहिम राज्यपाल से अनुरोध किया जाएगा।कांग्रेस विधायक सुबह 11 बजे तक राज्यपाल के बुलावे का इंतज़ार करेंगे। लेकिन अगर उन्होंने वक्त नहीं दिया तो एमएलए हॉस्टल से सभी विधायक राजभवन की तरफ शांति मार्च करेंगे।
नेता प्रतिपक्ष ने दोहराया कि बीजेपी-जेजेपी गठबंधन सरकार जनता का विश्वास खो चुकी है। इसलिए कांग्रेस आने वाले सत्र में सरकार के ख़िलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव लाने जा रही है। लगातार सरकार को समर्थन दे रहे विधायकों में भी असंतोष के स्वर सुनाई दे रहे हैं। हुड्डा ने कहा कि ये सिर्फ किसानों का नहीं, बल्कि जन-जन का आंदोलन बन चुका है। क्योंकि 3 कृषि क़ानून ना सिर्फ किसान विरोधी हैं बल्कि आम उपभोक्ताओं को भी इससे भारी नुकसान होगा, चाहे वो बाज़ार से राशन ख़रीद रहा हो या राशन कार्ड से। इसलिए सभी वर्ग एक सुर में इन क़ानूनों का विरोध कर रहे हैं।