नौनिहालों को कैसे देंगे खेल-खेल में शिक्षा, कई प्ले स्कूलों का अपना भवन तक नहीं, कहां बैठेंगे बच्चे
प्रदेश में 173 प्ले स्कूल चला रही है। जिनमें से 120 प्ले स्कूलों के पास बच्चों के बैठाने के लिए भवन है,लेकिन 35 प्ले स्कूल ऐसे है। जिनमें पहुंच रहे बच्चों को बैठने के लिए भवन ही नहीं है। फिलहाल शिक्षा विभाग ने उक्त स्कूलों के बच्चों को नजदीकी सरकारी स्कूलों में कक्षाएं लगाने के निर्देश दिए है।;
हरिभूमि न्यूज,भिवानी
भले ही सरकार ने आंगनबाड़ी को प्ले स्कूलों में कन्वर्ट कर दिया और बिना व्यवस्था जांचे इसी सत्र से प्ले स्कूल चलाए जाने के फरमान सुना दिया। प्रदेश के 35 प्ले ऐसे है। जिनके बच्चों के बैठने के लिए कमरें तक नहीं है। हालांकि शिक्षा विभाग इन स्कूलों को नजदीकी सरकारी स्कूलों में शिफ्ट करने जा रहा है,लेकिन जिन स्कूलों में शिफ्ट किया जाना है। उनमें से अधिकांश प्राइमरी स्कूल ऐसे है। जिनमें वहां पंजीकृत बच्चों के बैठने के लिए पर्याप्त भवन ही नहीं है। उन स्कूलों के बच्चे पेड़ तले या धूप छांव में बैठने पर मजबूर है।
प्रदेश में 173 प्ले स्कूल चला रही है। जिनमें से 120 प्ले स्कूलों के पास बच्चों के बैठाने के लिए भवन है,लेकिन 35 प्ले स्कूल ऐसे है। जिनमें पहुंच रहे बच्चों को बैठने के लिए भवन ही नहीं है। फिलहाल शिक्षा विभाग ने उक्त स्कूलों के बच्चों को नजदीकी सरकारी स्कूलों में कक्षाएं लगाने के निर्देश दिए है। फिलहाल शिक्षा विभाग के अधिकारियों के समक्ष प्ले स्कूल के बच्चों को भवन उपलब्ध करवाने की समस्या बनी है। फिलहाल जिन केंद्रों में प्ले स्कूल चलाए जा रहे है। उनमें से अधिकांश भवन तो निजी है या फिर सरकारी भवन है तो उनमें बच्चों के बैठने की सुविधा नहीं है। ऐसे में किस तरह से प्ले स्कूल में बच्चों की कक्षाएं लगाई जा सकती है।
जिन स्कूलों में शिफ्ट की योजना,उनमें पहले ही भवन की तंगी
बताते है कि शिक्षा विभाग ने 35 प्ले स्कूलों को सरकारी स्कूलों में शिफ्ट करने के निर्देश दिए है,लेकिन जिन स्कूलों में शिफ्ट किया जाएगा। उन स्कूलों में पहले से ही भवन की कमी है। कई स्कूल तो ऐसे है। जिनमें बच्चों की पहले से ही संख्या ज्यादा है। उन बच्चों को बैठने के लिए कमरे ही नहीं है। ऐसे में अगर प्ले स्कूल के बच्चे भी वहां पर पहुंच गए तो उन बच्चों को कहा बैठाया जाएगा। सवाल यह उठता है कि अब प्ले स्कूलों के बच्चों को कहां पर बैठाया जाए। फिलहाल इसी समस्या को लेकर शिक्षा विभाग के अधिकारी मंथन में जुटे है। अगर प्ले स्कूल के बच्चों के लिए भवन उपलब्ध नहीं हो पाता तो उनको या तो धूप में या फिर पेड़ों तले पढ़ाया जाएगा। झुलसाने वाली गर्मी में बच्चों के लिए परेशानी बन जाएगी।
उल्लेखनीय है कि भिवानी ग्रामीण के करीब 15 प्ले स्कूलों के पास अपना भवन नहीं है। यह आंकड़ा जिले में सबसे ज्यादा है। इसी तरह बहल के चार प्ले स्कूल बिना भवन के चल रहे है। बवानीखेड़ा का एक तथा सिवानी खंड के दो प्ले स्कूलों के पास अपना भवन नहीं है। अगर यही स्थिति रही तो भवन न मिलने की वजह से इन स्कूलों का संचालन करना बड़ा मुश्किल हो जाएगा।
क्या कहते है जिला शिक्षा अधिकारी
जिला शिक्षा अधिकारी रामअवतार शर्मा ने बताया कि आंगनबाड़ी विभाग ने प्ले स्कूलों के लिए जहां.जहां भवन की मांग की थी। हमने वहां पर उपलब्ध करवा दिया। जहां पर हमारे बच्चों के लिए कमरे कम है तो वहां पर व्यवस्था किस तरह करवाई जा सकती है। फिर भी वे प्रयासरत है कि सभी प्ले स्कूल के बच्चों को बैठने के लिए भवन मिल पाए।