गर्भवती महिलाओं का कैसे होगा इलाज : नागरिक अस्पताल महेंद्रगढ़ में नहीं है कोई स्थाई स्त्री रोग विशेषज्ञ
महेंद्रगढ़ के नागरिक अस्पताल के नीचे पूरा शहर तथा 65 गांव आते हैं। करीब डेढ़ की आबादी पर केवल दो गायनोलॉजिस्ट थी। एनएचएम डॉ. नेहा व डॉ. अनू को अप्रैल माह के पहले सप्ताह में डेपूटेशन पर दूसरी जगह भेज दिया गया है।;
महेश कुमार/महेंद्रगढ़। शहर के नागरिक अस्पताल (Civil Hospital) में गर्भवती महिलाओं (pregnant women) के लिए मातृत्व सुरक्षा जैसी योजनाएं मजाक बनकर रह गई हैं। नागरिक अस्पताल में इलाज लेने के लिए आने वाली अधिकतर महिलाओं को स्त्री रोग विशेषज्ञ नहीं होने की बात कहकर रेफर कर दिया जाता है। स्त्री रोग विशेषज्ञ के अभाव में महिलाएं महंगा ईलाज लेने को मजबूर हैं।
बता दें कि वर्ष 2019 में क्षेत्र के लोगों की मांग को ध्यान में रखते हुए सरकार द्वारा उप नागरिक अस्पताल में दर्जा बढ़ाकर महेंद्रगढ़ नागरिक अस्पताल का दर्जा दिया था, लेकिन चार साल बीत जाने के बाद भी अस्पताल में चिकित्सकों की भारी कमी है। चिकित्सक न होने के कारण महेंद्रगढ़ का नागरिक अस्पताल केवल रेफरल सेंटर बनकर रहा गया है। चिकित्सकों के कमी से जूझ रहे नागरिक अपस्ताल में कार्यरत दो स्त्री रोग चिकित्सकों को डेपूटेशन पर दूसरी जगह भेज दिया गया है। ऐसे अस्पताल में आने वाली महिला मरीजों को बिना इलाज के वापस लौटना पड़ रहा है। चिकित्सकों के अभाव में महिला महंगा इलाज लेने को मजबूर हैं।
महेंद्रगढ़ के नागरिक अस्पताल के नीचे पूरा शहर तथा 65 गांव आते हैं। करीब डेढ़ की आबादी पर केवल दो गायनोलॉजिस्ट थी। एनएचएम डॉ. नेहा व डॉ. अनू को अप्रैल माह के पहले सप्ताह में डेपूटेशन पर दूसरी जगह भेज दिया गया है। डॉ. नेहा अब सप्ताह में केवल तीन दिन नागरिक अस्पताल में बैठती हैं। दोनों चिकित्सक नागरिक अस्पताल में कार्यरत थी, तब प्रतिदिन की ओपीड़ी 60 थी। वहीं प्रति माह करीब 30 महिलाओं की सर्जरी भी की जाती थी, लेकिन अब महिलाओं को काफी परेशानी उठानी पड़ रही है।
महंगा इलाज लेने को हैं मजबूर
नागरिक अस्पताल में नियमित गायनोलॉजिस्ट नहीं बैठने होने के कारण महिलाओं को काफी परेशानी उठानी पड़ रही है। महिलाएं निजी अस्पताल में महंगा इलाज लेने को मजबूर हैं। जबकि नागरिक अस्पताल में फ्री में इलाज मिलता हैं। इसके अलावा गर्भवती महिलाओं के डिलीवरी के समय परिजनों को मोटी राशि खर्च करनी पड़ रही है। निजी अस्पताल में सामान्य डिलीवरी केस में करीब 15 हजार का खर्च आता है। वहीं आपरेशन के समय करीब 30 हजार रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं।
रेफर केस में महिलाओं को उठानी पड़ती है अधिक परेशानी
सस्ता इलाज होने के कारण परिजन महिला मरीज को नागरिक अस्पताल में भर्ती कराते हैं, लेकिन महिला रोग चिकित्सक नहीं होने के कारण मरीजों को नारनौल रेफर कर दिया जाता है। वहीं स्टेट हाईवे की खस्ता हालात होने के कारण 25 किलोमीटर की दूरी तय करने पर करीब एक घंटे का समय लग जाता है। डिलीवरी केस में रेफर करने पर महिला मरीजों को ज्यादा परेशानी होती है। बीते रविवार को चिरायु अस्पताल में लापरवाही के कारण गांव पाली निवासी गर्भवती महिला की मौत हो गई थी। परिजनों ने पहले महिला को नागरिक अस्पताल में भर्ती कराया था, लेकिन नागरिक अस्पताल में गायनोलॉजिस्ट नहीं होने के कारण महिला को प्राइवेट अस्पताल में भर्ती करना पड़ा था।