सोनीपत शुगर मिल में गोदाम बनाएगा HSWC, 99 साल के लिए 15 एकड़ जमीप सौंपी, पढ़ें पूरी खबर
चीनी उत्पादन प्रक्रिया में लागत अधिक होने व बिक्री सीमित दायरे में होने के कारण मिल की आदमनी पर प्रतिकूल असर पड़ता है जिस कारण हर साल मिल को पेराई सत्र के दौरान घाटा झेलना पड़ता है।;
हरिभूमि न्यूज. सोनीपत
सोनीपत सहकारिता शुगर मिली को घाटे से उभारने के लिए व आमदनी को बढ़ाने के लिए मिल प्रबंधन की तरफ से हरियाणा स्टेट हाउसिंग कॉरपोरेशन को 15 एकड़ जमीन सौंपी है। जिसको लेकर एचएसडब्ल्यूसी व सोनीपत शुगर मिल के बीच 99 सालों का एग्रीमेंट हुआ है। जिसके अंतर्गत उक्त जमीन पर गोदामों का निर्माण किया जाएगा। इसके लिए एचएसडब्ल्यूसी की तरफ से टेंडर प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और जल्द ही अब गोदाम निर्माण का काम शुरू हो जाएगा।
बता दें कि शहर के कामी सड़क मार्ग स्थित सहकारिता शुगर मिल मुख्य आय का साधन चीनी की बिक्री ही है। चीनी उत्पादन प्रक्रिया में लागत अधिक होने व बिक्री सीमित दायरे में होने के कारण मिल की आदमनी पर प्रतिकूल असर पड़ता है। जिस कारण हर साल मिल को पेराई सत्र के दौरान घाटा झेलना पड़ता है। ऐसे में सोनीपत शुगर मिल ने अपने संसाधनों का व्यापक स्तर पर इस्तेमाल करने की रूपरेखा तैयार की है। जिसके अंतर्गत खाली पड़ी जमीन पर गोदाम तैयार करने के लिए मिल प्रशासन पिछले लम्बे समय से एचएसडब्ल्यूसी के साथ एग्रीमेंट को लेकर बातचीत कर रहा था।
गोदाम निर्माण में शुगर मिल को नहीं करना पड़ेगा खर्च
99 साल के लिए हुए एग्रीमेंट के अनुसार सोनीपत शुगर मिल को गोदाम के निर्माण के लिए किसी प्रकार का कोई खर्च नही करना पड़ेगा। गोदाम का निर्माण कार्य पूरा करने और संचालन की जिम्मेवारी एचएसडब्ल्यूसी के कंधों पर ही होगी। गोदाम का निर्माण कार्य पूरा होने के बाद सोनीपत शुगर मिल को इनकम का एक निर्धारित प्रतिशत आय के रूप में प्राप्त होता रहेगा। इससे सोनीपत शुगर मिल की आय में बढ़ोतरी होगी। वहीं दूसरी तरफ क्षेत्र में गेहूं सहित अन्य खाद्य वस्तुओं को भी छत मिलेगी और खुले में गेहूं आदि स्टोर करने से होने वाली समस्याओं से निजात मिलेगी।
मिल की आय बढ़ने से गन्ना उत्पादक किसानों को भी मिलेगी राहत
सोनीपत शुगर मिल की आय बढ़ने का सीधा फायदा मिल से जुड़े गन्ना उत्पादक किसानों को भी होगा। मौजूदा समय में चीनी बिक्री से होने वाली आय से ही समय-समय पर मिल प्रशासन किसानों को गन्ने की पेमेंट करती है। इसके अतिरिक्त मिल सरकार से मिलने वाली आर्थिक मदद पर भी निर्भर रहती है। सरकार से प्राप्त आर्थिक मदद के बाद ही मिल प्रशासन सभी गन्ना उत्पादक किसानों को गन्ने की पेमेंट कर पाता है। अगर मिल के खुद के संसाधनों में बढ़ोतरी होती है तो मिल प्रशासन को गन्ने की पेमेंट के लिए सरकार से मिलने वाली आर्थिक मदद का इंतजार नही करना पड़ेगा। हाल ही में सम्पन्न हुए पिराई सत्र के दौरान भी सोनीपत शुगर मिल ने किसानों से करीब 32 लाख 25 हजार क्विंटल गन्ना खरीदा था। जिसकी कुल कीमत 11256.25 लाख रुपए बनती है। इसमें से अब भी किसानों को करीब 3464.36 लाख रुपए मिल को भुगतान करने है। जिसके लिए सरकार की तरफ से मिलने वाली मदद का इंतजार किया जा रहा है।