अब खाप चलाएंगी मैं भी हूं आंदोलनवादी अभियान

र्व जातीय खेड़ा खाप के प्रधान सतबीर पहलवान बरसोला ने कहा कि देश को आजाद करवाने के लिए महात्मा गांधी, भगत सिंह ने भी आंदोलन चलाए थे। देश को आजाद करवाने वाले आंदोलनवादी थे तो हम भी आंदोलनवादी है।;

Update: 2021-02-11 06:21 GMT

हरिभूमि न्यूज. जींद (उचाना)

पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा कृषि कानूनों को लेकर धरने देने वालों को आंदोलनवादी की संज्ञा देने पर सर्व जातीय खेड़ा खाप के प्रधान सतबीर पहलवान बरसोला ने कहा कि देश को आजाद करवाने के लिए महात्मा गांधी, भगत सिंह ने भी आंदोलन चलाए थे। देश को आजाद करवाने वाले आंदोलनवादी थे तो हम भी आंदोलनवादी है। आंदोलनवादी कहने में हम गर्व है क्योंकि हम किसान ही नहीं बल्कि हर वर्ग के लिए आंदोलन कर रहे है। तीनों कृषि कानून से किसानों पर मार तो पड़ेगी ही बल्कि गरीब आदमी पर सबसे अधिक मार होगी। महंगाई बढ़ेगी, जमाखोर अपनी मर्जी से दाम तय करेंगे। खाप भी अब गांवों में मैं भी आंदोलनवादी हूं अभियान की शुरुआत करेंगी।

बरसोला ने कहा कि केंद्र, प्रदेश में सत्ता में आने से पहले हर भाजपा नेता ने आंदोलन किया। भाजपा के कई बड़े नेताओं ने कुर्ता उतार कर आंदोलन किया। भाजपा वाले करें तो ठीक अगर कोई ओर अपने हम के लिए करें तो वो आंदोलनवादी हो गए। पीएम की आंखों में अगर  राज्यसभा में आंसू आए तो वो मर्यादा, किसान नेता की आंखों में आंसू आए तो वो ड्रामा दिखाता है। इस तरह की भाजपा की दोहरी राजनीति को देश की जनता समझ चुकी है। पीएम नरेंद्र मोदी कहते है कि मैं एसएसपी था, एसएसपी है, एसएसपी रहेगा। एमएसपी अगर रहेगा तो इस पर कानून बनाने में केंद्र सरकार को क्या हर्ज है। आज गैस सिलेंडर पर नामात्र सब्सीडी रह गई है, एक साल में दो करोड़ युवाओं को रोजगार देने था, भाजपा के सत्ता में आते ही स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू होगी सहित ऐसे अनेकों बातें कहीं गई जो चुनाव के बाद भाजपा भूल गई। इन सब बातों का आज देश की जनता जबाव चाहती है।

उन्होंने कहा कि आज अगर एमएसपी की सबसे 'यादा जरूरत है तो वो छोटे किसान को है। आज जमीन कम हो रही है। बड़े जमींनदार की संख्या कम हो रही है। ऐसे में छोटे जमींदार गांव में 'यादा है। एमएसपी अगर फसलों का किसानों को मिलेगा तो उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। केंद्र सरकार किसान हितैषी है तो किसानों की मांगों को मानते हुए तीनों कानूनों को रद्द करने के साथ-साथ एमएसपी पर कानून बनाने का काम करें। खटकड़ टोल पर किसानों का धरना निरंतर जारी है।

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