आइकॉनिक साइट राखीगढ़ी में चौथे चरण में दो टीलों पर होगी खुदाई

शुरुआती दौर में टीले नंबर एक व तीन पर खुदाई का कार्य शुरू किया गया है। पिछले वर्ष इन टीलों पर खुदाई करके इन साइटों को बंद कर दिया गया था। अब दोबारा से फिर इन्हीं साइटों को खोला गया है। पहले इन्हीं साइटों पर खुदाई करके इनको आगे बढ़ाया जाएगा। पिछले वर्ष इन साइटों पर काफी अहम अवशेष मिले थे।;

Update: 2023-01-22 13:26 GMT

नारनौंद: हड़प्पा कालीन सभ्यता को लेकर प्रसिद्ध राखी गढ़ी में चौथे चरण की खुदाई शुरू हो चुकी है। शुरुआती दौर में टीले नंबर एक व तीन पर खुदाई का कार्य शुरू किया गया है। पिछले वर्ष इन टीलों पर खुदाई करके इन साइटों को बंद कर दिया गया था। अब दोबारा से फिर इन्हीं साइटों को खोला गया है। पहले इन्हीं साइटों पर खुदाई करके इनको आगे बढ़ाया जाएगा। पिछले वर्ष इन साइटों पर काफी अहम अवशेष मिले थे।

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग दिल्ली के डायरेक्टर जनरल डॉ. संजय मंजूल के नेतृत्व में विभाग के कर्मचारी और पंडित दीनदयाल उपाध्याय इंस्टीट्यूट नोएडा के छात्र इस खुदाई में हिस्सा ले रहे हैं। पिछले वर्ष भी इन्हीं की तरफ से खुदाई की गई थी। खुदाई के शुरुआती दौर में अभी तक कोई अहम अवशेष नहीं मिल पाई है, लेकिन जानकारों का मानना है कि पिछली बार खुदाई के दौरान जो कच्ची ईंटों की दीवार मिली थी और साथ में गली थी, उन्हें ही आगे बढ़ाया जाएगा और उसे यह पता लगाया जाएगा कि वे लोग किस तरह के मकान बनाते थे। कचरे प्रबंधन निवारण कैसे होता था। खुदाई के बाद ही यह सभी तथ्य सामने आ जाएंगे, इस पर सभी की निगाहें हैं।

सड़कें बिल्कुल सीधी बनाई जाती थी : डॉ. मंजूल

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग दिल्ली के डायरेक्टर जनरल डॉ. संजय मंजूल ने बताया कि उस समय जो सड़कें बनाई जाती थी, वे बिल्कुल सीधी होती थी और किनारे पर एक बड़ा पोट रखा होता था। उस पोट का प्रयोग कचरा डालने के लिए करते थे। दो पोट हमें मिल चुके हैं, अब आगे खुदाई की जाएगी। वे लोग जो सड़कें बनाते थे, उसमें वे इंडस्ट्रीज का वेस्ट मटीरियल डालते थे ताकि वह कठोर बन सके, क्योंकि उस समय तारकोल और बजरी की सड़कें नहीं बनाई जाती थी।

राखीगढ़ी के ग्रामीणों को साथ लेकर हो विकास : शिंदे

डेक्कन यूनिवर्सिटी के पूर्व वाइस चांसलर प्रोफेसर वसंत शिंदे ने बताया कि सरकार को राखी गढ़ी का विकास ग्रामीणों को साथ लेकर करना चाहिए, तभी राखीगढ़ी का विकास हो सकेगा। प्रदेश सरकार, केंद्र सरकार व जिन्होंने राखीगढ़ी में खुदाई की है, उन लोगों का भी सहयोग लेकर राखीगढ़ी को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने का काम किया जाए ताकि ग्रामीणों के लिए रोजगार के अवसर प्राप्त हो सके।

सरकार धीमी गति से करवा रही विकास : श्योराण

अस्तित्व हेरिटेज के फाउंडर दिनेश श्योराण व बलराम ने बताया कि सरकार धीमी गति से राखी गढ़ी का विकास कर रही है। इतनी बड़ी साइट होने के बाद भी अभी तक यहां की सड़कें भी नहीं बन पाई। पीने के पानी की सुविधा भी नहीं है। सरकार को बड़े पैमाने पर खुदाई कार्य करके इस गांव को बड़ा पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करें ताकि गांव के युवाओं को रोजगार मिल सके। अस्तित्व फाउंडेशन की तरफ से खुदाई में निकली हुए अवशेषों की एक प्रदर्शनी भी लगाई गई।

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