विद्यार्थियों को जीरो बैलेंस खाता खुलवाना है तो पहले माता-पिता को 1500 का खाता खुलवाना होगा
बैंक वालों ने बनाए खुद के नियम, सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को कटवाए जा रहे चक्कर।;
दीपक कुमार डुमड़ा : बवानीखेड़ा ( भिवानी )
पहले कोरोना महामारी की मार दूसरी तरफ बैंक स्टाफ परिजनों के 1500 रुपये का खाता खलवाने के तुगलगी फरमानों ने राजकीय स्कूलों में पढ़ने की चाह रखने वाले बच्चों व उनके परिजनों के सपनों पर पानी फेर दिया है। एक तरफ जहां शिक्षा विभाग भरसक प्रयास कर खंड व जिला स्तर पर मीटिंगे ले रहा है कि राजकीय विद्यालयों में विद्यार्थियों की संख्या में इजाफा हो और शिक्षक द्वारा भी डोर-टू-डोर जाकर सर्वे करके छात्र संख्या में बढ़ोतरी की जा रही है। वहीं दाखिला होने पश्चात विभाग के आदेशानुसार बच्चों का बैंक में खाता अनिवार्य है ताकि उनकी वर्दी व वजीफे की राशि बच्चों के खातों में डाली जा सके। जिसको लेकर बच्चे व परिजन बैंक में खाता खुलवाने के लिए जाते हैं लेकिन बैंक वाले पहले तो उनके चक्कर कटवाते हैं जिससे बच्चे व परिजन थक हारकर विद्यालय से होकर घर रवाना हो जाते हैं। हालांकि अभिभावक अपने बच्चों संग किसी भी बैंक में जीरो बैंक का खाता खुलवाकर सरकारी योजना का लाभ ले सकते हैं।
जीरो बैलेंस का खाता खुलवाना है तो परिजनों के 1500 रुपये का खुलवाना होगा खाता
परिजनों ने बताया कि तो उन्होंने अपने बच्चों के हर्षित, नैंसी, प्रिया, महक, सौरभ, खुशबू का दाखिला राजकीय विद्यालय में करवाया हुआ है। बैंक मुखिया द्वारा बैंक में खाता खुलवाने बारे बताया तो वे दी भिवानी सैंट्रल कॉपरेटिव बैंक ब्रांच बवानी खेड़ा में बैंक में खाता खुलवाने के लिए पहुंचे तो दी भिवानी सैंट्रल कॉ.बैंक स्टाफ ने जीरो बैंलेस खाता के साथ परिजनों के 1500 रुपए का खाता खुलवाना जरूरी बताया। लेकिन घर के हालात खराब होने के कारण उन्हें मना किया तो उन्होंने जीरो बैलेंस का खाता नहीं खोला।
स्वयं के बना रहे नियम
परिजनों की मानें तो विभाग द्वारा जीरो बैलेंस के खाते फ्री में खोलने के आदेश जारी किए हुए हैं लेकिन बैंक स्टाफ उन पर ये जबरदस्ती थोंपने का कार्य कर रहे हैं। स्वयं के बनाए नियमों का बोझ उनसे सहन नहीं होता जिसके लिए वे उच्चाधिकारियों से शिकायत का मन बना रहे हैं। क्योंकि पहले कोरोना की मार ने उन्हें जमीन पर पटक दिया है। दो वक्त की रोटी की दिक्कत है वे बैंक में 1500 रुपये देकर कैसे खाता खुलवाएं।
बैंक प्रबंधक ने व्यक्त की पीड़ा
बवानी खेड़ा में कॉपरेटिव बैंक प्रबधंक गजेन्द्र सिंह ने बताया कि जीरो बैलेंस में खाता फ्री खोलने के आदेश है कर्मचारियों ने किसी पर 1500 रुपये का कोई दबाव नहीं बनाया। यदि कोई परिजन 1500 में खाता खुलवाता है तो अनेक योजनाओं का लाभ मिल जाता है। अधिकतर स्कूलों के बच्चे उन्हीं के बैंक में खाता खुलवाते हैं जिससे अन्य कार्य प्रभावित होते हैं। यदि विभाग पेंशन की भांति वार्ड या विद्यालय भी बैंकों को बांट दे तो इसमें विद्यार्थियों, परिजनों व बैंक स्टाफ को दिक्कत नहीं आएगी। वरना इस बैंक में जीरो खाते ही खुलेंगें जबकि विभाग को भी संबंधित कार्य की जवाबदेही देनी पड़ती है।