नारनौल : रघुनाथपुरा पहाड़ की तलहटी में बसी अवैध कॉलोनी पर बुल्डोजर चलाकर ढहाया, गरीब तबके के लोग रहते थे
यहां रह रहे लोग मूलत गरीब तबके से हैं और छोटे-छोटे कुटिया जैसे मकान बनाकर गुजर-बसर कर रहे थे, जिनमें से अनेक राजस्थानी मजदूर एवं लुहार समुदाय से बताए गए हैं। मगर अब इनका आसियाना उजाड़ दिया गया है। नगर परिषद का अमला दोपहर बाद पुलिस के भारी बल के साथ कब्जा कार्रवाई करने पहुंचा था।;
हरिभूमि न्यूज : नारनौल
रघुनाथपुरा की पहाड़ियों में नंदीशाला की तरफ नगर परिषद की जमीन पर अवैध रूप से बसाई गई बस्ती को नप ने दस्ते ने जमींदोज कर दिया। यहां पर नगर परिषद की करीब सौ बीघा जमीन है, जिसके तलहटी वाले काफी हिस्से पर अवैध रूप से कब्जा कर लिया गया था, जिसे अब गिरा दिया गया। यहां रह रहे लोग मूलत गरीब तबके से हैं और छोटे-छोटे कुटिया जैसे मकान बनाकर गुजर-बसर कर रहे थे, जिनमें से अनेक राजस्थानी मजदूर एवं लुहार समुदाय से बताए गए हैं। मगर अब इनका आसियाना उजाड़ दिया गया है। नगर परिषद का अमला दोपहर बाद पुलिस के भारी बल के साथ कब्जा कार्रवाई करने पहुंचा था।
रघुनाथपुरा गांव के साथ लगती पहाडि़यां एवं जमीन का काफी भू-भाग नगर परिषद के अधीन आता है। यहां नप की सौ बीघा से भी ज्यादा जमीन बताई जाती है। यहां पर नंदीशाला की तरफ खड़ी छोटी पहाड़ी पर करीब एक दशक से गरीब तबके के लोग छोटी-छोटी कुटिया एवं झोंपाड़ी आदि बनाकर रहते आए हैं। यहां रहने वाले लोगों के पास इस जमीन के न तो मालिकाना हक के कागजात हैं और न ही अन्य दस्तावेज हैं। इस प्रकार यह लोग महज रहन-बसेरा के तौर पर यहां रह रहे थे। करीब तीन दिन पहले नगर परिषद नारनौल द्वारा यहां रह रहे लोगों को यह बस्ती खाली कराने की मुनादी कराई गई थी।
इसके बाद रविवार को छुट्टी का दिन होने के बावजूद नगर परिषद के अधिकारी एवं कर्मचारी भारी पुलिस बल के साथ बस्ती में पहुंचे और सभी लोगों से जगह खाली कर जानो को कहा। तत्पश्चात नप द्वारा इस बस्ती पर बुल्डोजर चलवाना शुरू कर दिया गया। देखते ही देखते जेसीबी मशीन द्वारा यहां बने मकानों एवं झोंपड़या को तहस-नहस कर दिया गया और पक्के मकान व झोंपड़ियां मलबे में तब्दील हो गए। यह कब्जा कार्रवाई ड्यूटी मजिस्ट्रेट बीडीपीओ प्रमोद कुमार की देखरेख में की गई और इस दौरान नगर परिषद के कार्यकारी अधिकारी अभय सिंह यादव, कार्यकारी अभियंता अंकित वशिष्ठ, जेई विकास र्श्मा, पटवारी दर्शन सिंह सहित नगर परिषद के अधिकारी व कर्मचारी मौजूद थे।
रघुनाथपुरा की छोटी पहाड़ी की तलहटी पर रहने वाले लगभग सभी लोग गरीब परिवारों से संबंध रखते हैं और यहां पर छोटे-छोटे कुटियानुमा मकान बनाकर रहने लगे थे। शहर से बाहर करीब तीन किलोमीटर दूर इस जगह पर न तो बिजली-पानी की सुविधा थी और न ही अन्य प्रकार के ऐशोआराम। पर एनएच 11 से सटी होने के कारण शहर आना-जाना व रोजगार मिलना काफी आसान था। इसी कारण यहां रह रहे लोग दिनभर घर से दूर मेहनत-मजदूरी करने के बाद रात्रि को बिना किराया के मकान में सिर छुपा लेते थे, लेकिन अब यह सहारा छूट गया है।
खदेड़े गए लुहारों को नप ने बसाया था यहीं
डीसी कोठी के समीप हुडा कालोनी में गाडि़या लुहार परिवार के लोग रहते थे। इस पोश कॉलोनी के वीआईपी लोगों द्वारा लुहार समुदाय के लोगों पर गंदगी फैलाने एवं अन्य आरोप लगाने पर नगर परिषद ने इन्हें यहां से खदेड़ दिया था। तब नगर परिषद ने इन खदेड़े गए लुहार समुदाय के लोगों को इसी पहाड़ी पर लाकर बसाया था। हालांकि बाद में लुहार समुदाय ने यहां खाने-पीने का सामान व रोजगार नहीं मिलने की आपत्ति भी जताई थी, लेकिन किसी ने नहीं सुनी। इसी प्रकार यहां राजस्थान मजदूर भी रहते हैं, जो भेड़-बकरियां रखकर अपना जीवनपार्जन करते थे।
प्लाटिंग करने के भी चलते रहे हैं चर्चे
उक्त तलहटी में कुछ लोगों द्वारा प्लाटिंग किए जाने के भी चर्चे चलते रहे हैं। प्लाटिंग करने वाले लोग ऐसे जरूरतमंदों से अपने गुर्गों के जरिए संपर्क साधते थे और 50-60 गज साइज के हिसाब से प्लाटिंग का नाजायज कब्जा दिलाने की वसूली करते थे। यह पैसा नगर परिषद में जमा कराने की बजाए उनकी खुद की जेब में जाता था। यह पैसा 30 हजार से लेकर 50 हजार रुपये तक होता था। मतलब जैसा ग्राहक मिल जाए, उससे वही ही दाम वसूली की जाती थी।