चिंता में महिला : तीन दिन में दो कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव, एक नेगेटिव, विश्वास किस पर
महिला एमपीएचडब्ल्यू कोरोना रिपोर्ट को लेकर मानसिक दबाव से उभरी नहीं थी कि विभागीय अधिकारियों ने फरमान जारी कर उसे बच्चों के टीकाकरण व देखरेख पर लगा दिया। दो दिन में नेगेटिव रिपोर्ट आने पर विभाग ने जांच के आदेश दिए हैं।;
हरिभूमि न्यूज. जींद
कोरोना रिपोर्ट स्वास्थ्य विभाग की महिला एमपीएचडब्ल्यू के लिए गले का फांस बन गई है। 26 मई को उसकी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव तो 28 मई को लिए सैंपलों की रिपोर्ट नेगेटिव आई।जबकि उसी दिन प्राइवेट लैब में करवाए टेस्ट की रिपोर्ट पॉजिटिव आई। महिला एमपीएचडब्ल्यू कोरोना रिपोर्ट को लेकर मानसिक दबाव से उभरी नहीं थी कि विभागीय अधिकारियों ने फरमान जारी कर उसे बच्चों के टीकाकरण व देखरेख पर लगा दिया।
अब एमपीएचडब्ल्यू को समझ में नहीं आ रहा की ऐसे हालातों में वे खुद को सुरक्षित रखे या फिर उन मासूमों की जान को, जिनके स्वास्थ्य का जिम्मा विभागीय अधिकारियों ने उन्हें सौंपा है। तनावपूर्ण हालातों से गुजर रही महिला कर्मी ने डीसी डा. आदित्य दहिया से मिलकर इंसाफ की गुहार लगाई है। गांव रूपगढ निवासी एमपीएचडब्ल्यू राज रानी ने डीसी को दी शिकायत में बताया कि उसकी डयूटी पीएचसी पटियाला चौक पर है। जहां पिछले एक वर्ष से डा. प्रीति मोर एमओ नियुक्त है। जो अक्सर गैर हाजिर रहती है, जिसके खिलाफ उसने आवाज उठाई थी। जिसके बाद उसने उसे मानसिक रूप से परेशान करना शुरू कर दिया।
शारीरिक दिक्कत होने के चलते गत 26 मई दोपहर बाद उसने सामान्य अस्पताल में कोरोना का टेस्ट करवाया था। जिसकी 28 मई को रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। उसी दिन सीएमओ कार्यालय से फोन आया और दोबारा टेस्ट करवाने के लिए कहा। जिस पर 29 मई को उसने सामान्य अस्पताल के साथ-साथ निजी लैब में भी सैंपल करवाया। सामान्य अस्पताल में जो रिपोर्ट आई उसमें उसे नेगेटिव बताया गया। जबकि निजी लैब की रिपोर्ट में उसे पॉजिटिव बताया गया। अब यह उसकी समझ से परे है कि कौन सी रिपोर्ट को सही माना जाए। जिसके बाद उसे शिशूओं के टीकाकरण की फिल्ड में जिम्मेवारी सौंप दी गई। शारीरिक कमजोरी के बीच उसे समझ में नहीं आ रही कि वह खुद को सुरक्षित रखे या फिर उन शिशूओं को जिनके स्वास्थ्य का जिम्मा उसे सौंपा गया है। मंगलवार को राज रानी डीसी डा. आदित्य दहिया से मिली और उन्हें शिकायत सौंपी।
वहीं डिप्टी सीएमओ डा. रघबीर पूनिया ने बताया कि एमपीएचडब्ल्यू की रिपोर्ट में संदेह था। जिसके चलते दोबारा सैंपल करवाया गया तो उसकी रिपोर्ट नेगेटिव आई। जब सरकारी लैब ने नेगेटिव दिया है तो प्राइवेट लैब का कोई औचत्य नहीं। मामले की गंभीरता से जांच की जा रही है, यहां तक की इस मामले में डीएनए टेस्ट तक हो सकता है।