बंदरबांट का विरोध करने की बजाय जनप्रतिनिधि भी बन गए अधिकारियों और ठेकेदार की मिलीभगत का हिस्सा

जी हां, शहर में विकास के नाम पर जनता की गाढ़ी खून पसीने की कमाई को दोनों हाथों से लुटाया जा रहा है। योजनाएं बनाते समय ना तो मौके का निरीक्षण किया जाता और ना ही लोगों की जरूरत या सुविधा का आंकलन किया जाता।;

Update: 2020-10-16 06:19 GMT

हरिभूमि न्यूज. बहादुरगढ़

विकास करने के नाम पर सरकारी पैसा(Government money) पानी की तरह बहाया जा रहा, लेकिन उसका पूरा फायदा आम लोगों को नहीं मिल पा रहा। अधिकारियों (Officers) की ठेकेदार से मिलीभगत और जवाबदेही की कमी के कारण लोगों को सुविधा तो नहीं मिलती, बल्कि नई समस्या (Problem) खड़ी हो जाती है। बादली रोड पर अंबेडकर स्टेडियम के सामने सड़क किनारे एक साथ तीन-तीन तरह के खंभे लगे हैं और उन पर स्ट्रीट लाइटें (Street lights) लगी हैं। पहले से लगे खंभों पर लाइटें लगाने की बजाय नए खंभे क्यों लगाए गए? यह बड़ा सवाल है। हालांकि अधिकारियों द्वारा इस मामले पर कोई भी जवाब नहीं दिया जा रहा है।

जी हां, शहर में विकास के नाम पर जनता की गाढ़ी खून पसीने की कमाई को दोनों हाथों से लुटाया जा रहा है। योजनाएं बनाते समय ना तो मौके का निरीक्षण किया जाता और ना ही लोगों की जरूरत या सुविधा का आंकलन किया जाता। केवल ठेकेदार को अनुचित लाभ पहुंचाने के नाम पर एक के बाद एक योजनाएं बनाकर उन्हें क्रियान्वित किया जा रहा है। लोगों द्वारा चुने गए प्रतिनिधि भी इस बंदरबांट का विरोध करने की बजाय अधिकारियों और ठेकेदार की मिलीभगत का हिस्सा बन गए हैं।

एक ही जगह तीन-तीन खंभे लगा दिए गए हैं

शहर के बादली रोड पर अंबेडकर स्टेडियम के सामने हर गली के नुक्कड़ पर एक ही जगह तीन-तीन खंभे लगा दिए गए हैं। इनकी आड़ में हर रोज नए अस्थाई अतिक्रमण किए जा रहे हैं। एक तरह के खंभे बिजली की लाइन के हैं। जबकि दूसरी तरह के खंभे नगर परिषद ने ही कथित हाईमास्ट अथवा एलईडी स्ट्रीट लाइटें लगवाने के लिए हाल ही में लगवाए थे। फिर इनके ठीक साथ सटकर नगर परिषद ने उन्हीं स्थानों पर नए खंभे लगाकर सोलर स्ट्रीट लाइटें इंस्टॉल कर दी हैं। एक ही जगह पर तीन-तीन खंभे लगे होने के कारण हर रोज लोग परेशानियों का सामना करते हैं। अनियमित तरीके से लगाए गए ये खंभे जहां गली के मुहाने पर ट्रैफिक बाधित कर रहे हैं। दूसरी तरफ अतिक्रमण को बढ़ावा दे रहे हैं। नए खंभे पुरानों से सटकर लगा दिए गए हैं, लेकिन ऐसा क्यों किया गया? इसका जवाब किसी के पास नहीं है।

कई जगह ऐसी बर्बादी

लोग भी इस मामले में फिजूलखर्च होने या भ्रष्टाचार होने की बात कर रहे हैं। यहां पहले से खंभे लगे थे। उन पर ही लाइटें लगाने की बजाय नए खंभे लगा दिए गए और उन पर करीब आधा किलोग्राम वजन की लाइटें टांग दी गई। पहले से खंभे लगे होने के बावजूद नए खंभे लगाने का मामला सिर्फ बादली रोड का ही नहीं है। इससे पहले नाहरा-नाहरी रोड पर भी ऐसा ही नजारा देखा गया था। लोगों के अनुसार इस तरह से कई सड़कों पर सरकारी धन को पानी की तरह बहाया जा रहा है।

जांच करवाई जाएगी

यह मामला मेरे संज्ञान में नहीं है। संबंधित अधिकारी को मौके पर भेजकर जांच करवाई जाएगी। हालांकि आमतौर पर कोशिश की जाती है कि जहां खंभा ना हो, वहीं खंभा लगाकर लाइटें लगाई जाए। वहीं सोलर लाइटें लगाने का टेंडर अलग था और जरूरत अनुसार इनके खंभे लगाकर इंस्टॉल करवाया गया था। - नवीन धनखड़, कार्यकारी अभियंता, नगर परिषद 


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