International Gita Mahotsav : लोक कलाकारों के वाद्य यंत्रों की धुनों ने बदली ब्रह्मसरोवर की फिजा
- ब्रह्मसरोवर के पावन तट पर कहीं जंगम जोगी, कहीं नगाड़ा-बीन और कहीं सारंगी की धुन कानों में घोल रही रस
- हरियाणा की छपाई कला देख हैरान हो रहे हरियाणा पैवेलियन में दर्शक
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Kurukshetra : ब्रह्मसरोवर के पावन तट पर प्रदेश के कोने-कोने से लुप्त होने के कगार पर पंहुचे वाद्य यंत्रों की धुनों को सहजता से सुना जा सकता है। इस बार अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव 2023 में लोक कलाकारों ने अपने वाद्य यंत्रों की धुनों से ब्रह्मसरोवर की फिजा को बदलने का काम किया है। इस सरोवर के पावन तट पर कहीं जंगम जोगी, कहीं नगाड़ा-बीन और कहीं सारंगी की धुनों को सुनकर पर्यटक मस्ती से झूम रहे है, तो कहीं रंग-बिरंगे, चमकते परिधानों में सजे कलाकारों संग फोटो लेने का क्रेज भी पर्यटकों के सिर चढ़कर बोल रहा है।
अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव 2023 में जहां प्रदेश के लोक कलाकार पर्यटकों को आनंदित कर रहे हैं, वहीं इस प्रकार के महोत्सव लुप्त हो रही कलाओं का संगम भी बना है। इन्हीं तमाम पहलुओं को लेकर ही सरकार के कला एवं सांस्कृतिक कार्य विभाग की तरफ से जंगम जोगी के ग्रुप, डेरू पार्टी के ग्रुप, नगाड़ा पार्टी के ग्रुप, बीन पार्टी के ग्रुप बुलाए गये हैं। इन सभी ग्रुपों के करीब 250 लोक कलाकार महोत्सव में पहुंचे हैं। ये सभी कलाकार सरोवर के चारों तटों पर घूम-घूम कर पर्यटकों का मनोरंजन करने का काम कर रहे हैं। इसके साथ-साथ ब्रह्मसरोवर पर नगाड़ा व बीन की पार्टियां घूम-घूम कर लोगों का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित कर रही है। एनजेडसीसी के अधिकारी राजेंद्र बस्सी ने कहा कि इन पार्टियों के कलाकारों ने हरियाणा की लोक कला के परंपरागत वाद्य यंत्रों की धुनों से पूरे ब्रह्मसरोवर की फिजाओं का बदलने का काम किया है। इस महोत्सव में सारंगी पार्टी भी अपनी कला से पर्यटकों को भाव-विभोर कर रही है और अपनी सारंगी से पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करने का काम कर रही है। महोत्सव में आने वाले पर्यटकों में प्रस्तुतियों उपरांत कलाकारों के साथ फोटो खिंचवाने की भी एक होड़ से मच जाती है।
हरियाणा की छपाई कला देख हैरान हो रहे हरियाणा पैवेलियन में दर्शक
अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के युवा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम विभाग द्वारा आयोजित हरियाणा पैवेलियन हरियाणा में हरियाणा की छपाई कला को एक बार फिर पुर्नजीवित कर दर्शकों तक पहुंचाया जा रहा है। यहां पर रेज्जे एवं सूती कपड़ों पर लकड़ी के ब्लॉकों के साथ प्रत्यक्ष रूप से छपाई देखी जा सकती है। लाखन माजरा रोहतक से आई लोक कलाकार ममता हरियाणा की छपाई कला को दर्शकों से रूबरू कर रही है। हरियाणा पवेलियन के संयोजक डॉ. महासिंह पूनिया ने बताया कि लोकजीवन में वस्त्रों को रंगने वाले कारीगर को प्राय रंगरेज, रंगारा, लीलगर, नीलगर, छिप्पी, छिम्मी आदि की संज्ञा प्रदान की गई है। लोक में वस्त्रों को रंगने के प्रमाण ऋग्वेद तथा अथर्ववेद में भी मिलते हैं। इतना ही नहीं, वेदों में ऋषि-मुनियों द्वारा श्वेत, काषाय, गेरुए आदि वस्त्रों के धारण करने के संदर्भ मिलते हैं। देहात में वस्त्रों को रंगने के व्यवसाय में लगे सिद्धहस्त कारीगरों को ही लीलगर, छिप्पी (छापने वाला) कहा जाता है। यह शब्द संस्कृत के रंजकार और फारसी के रंगरेज, दोनों को रंजक बनाए हुए हैं।
जुलाहा की बुनाई कला को जीवित कर रहा हरियाणा पवेलियन
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के युवा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम विभाग द्वारा आयोजित हरियाणा पवेलियन हरियाणा की लोक संस्कृति के साथ-साथ हरियाणवी जुलाहा की बुनाई कला को दर्शकों से जोड़ रहा है। हरियाणा पैवेलियन में स्थापित जुलाहा जिसे करघा भी कहा जाता है, दर्शकों के लिए विशेष आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है। सैकड़ों वर्ष पुरानी लोक पारंपरिक विरासत को जुलाहे की खड्डी के माध्यम से ताणा बुनकर पवेलियन में खेस बुनते हुए प्रत्यक्ष रूप से देखा जा सकता है। हरियाणा पवेलियन के संयोजक डॉ. महासिंह पूनिया ने बताया कि लोकजीवन में ताण अथवा ताणे से वस्त्र बुनने वाले व्यक्ति को कोल़ी, बल़ाई व जुलाहा कहा जाता है। फारसी भाषा में जुलाहे को जोल कहा जाता है। वेदों में वस्त्र बुनने वाले व्यक्ति को वाय, वासोवास के नाम से सम्बोधित किया गया है। सामान्यत हरियाणवी लोकजीवन में ताणे से सूत बुनने तथा इससे बुने हुए खेस, चद्दर, दोतई, लिहाफ, चौसी, ड्योटी तथा रेज्जा आदि बनाने वाले व्यक्ति को जुलाहे की संज्ञा दी गई है।
मिठास के साथ रोजगार देने का काम करता मीठा गन्ना
अंतर्राष्ट्रीय गीता जयंती महोत्सव में पुरुषोत्तमपुरा बाग में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय व कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड द्वारा बनाए गए हरियाणा पैवेलियन में यूनिवर्सिटी सीनियर सैकेंडरी मॉडल स्कूल के छात्रों का शुगर मिल पर आधारित मीठा गन्ना का मॉडल सबके आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। रोजगार देने के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण का संदेश दे रहा है। यह मॉडल सबको अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। युवा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम विभाग के निर्देशक प्रो. महासिंह पूनिया ने बताया कि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा के दिशा निर्देश पर पहली बार स्कूल के बच्चों को इतने बड़े स्तर पर मंच प्रदान किया गया है ताकि स्कूल के बच्चे अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर सकें। स्कूल के 11वीं कक्षा के छात्र विशाल, लक्षित सैनी, वीन व कृष्णा ने स्कूल के प्रधानाचार्य डॉ. सुखविंद्र सिंह व शिक्षिका महिमा के मार्गदर्शन में मीठा गन्ना मॉडल तैयार किया है। इस मॉडल में बताया गया कि किसानों को अधिक से अधिक लाभ लेने के लिए गन्ने की खेती करनी चाहिए क्योंकि जब किसान गन्ने की खेती करेगा और सरकार के सहयोग से को-ओपरेटिव शुगर मिल लगाकर काम करेगा तो उसे दो गुना लाभ मिलेगा। क्योंकि कोऑपरेटिव शुगर मिल 50 प्रतिशत हिस्सेदारी किसानों की होती है।
हरियाणवी व्यंजनों के स्वाद के साथ हरियाणवी संस्कृति के दिखे रंग
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय व कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड द्वारा बनाए गए हरियाणा पैवेलियन में हरियाणवी रसाई में चूरमा व गुड़ का हलवा सबकी मन पसंद बना हुआ है। हरियाणवी व्यंजनों के स्वाद ने हरियाणवी संस्कृति के रंग को और रंगीन बना दिया है। पवेलियन में आने वाले लोग हरियाणा की लोक संस्कृति से ओत-प्रोत सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आनंद लेने के साथ-साथ हरियाणवी व्यंजनों का स्वाद भी चख रहे हैं। युवा एवं सांस्कृतिक विभाग के निदेशक डॉ. महासिंह पूनिया ने बताया कि हरियाणा पवेलियन में इस बार खास तौर पर हरियाणवी रसाई का निर्माण किया गया है, जिसमें खास तौर पर हरियाणा के परम्परागत लोकप्रिय व्यंजनों को रखा गया है ताकि यहां पर आने वाले लोग हरियाणा की लोक संस्कृति के बहुआयामी सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आनंद लेने के साथ-साथ हरियाणवी व्यंजनों का जायका भी ले सकें। हरियाणवी रसोई का काम देख रहे तिलक राज राठोर 1970 से इस काम में लगे हैं। उन्होंने देश के पूर्व प्रधानमंत्रियों सहित कई मुख्यमंत्रियों के स्वादिष्ट व्यंजनों को बनाया है। इस बार खास तौर पर हरियाणवी रसाई में गुड़ का हलवा, गुड़ की चाय, मीठी लस्सी, नमकीन लस्सी, चना बकाली, कचरी की चटनी, देसी घी की टिक्की, दही बल्ले, बाजरे की खिचड़ी, देशी घी का चुरमा, देशी घी की जलेबी, खीर, गोंद का लड्डू, ड्राई फ्रुट लड्डु, गुलाब जामुन, तिल्ला कुल्फी, हरियाणवी थाली, गुड़ के चावल, बाजरी की रोटी विशेष रूप से बनाई गई है।
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