विदेशी मेहमानों से गुलजार हुआ Jhajjar : सात संमदर पार से पहुंचे विदेशी पक्षियों ने डीघल में डाला डेरा
एशिया के सबसे बडे़ पक्षी विहारों में शुमार भिंडावास पक्षी विहार में जहां विदेशी मेहमानों का आना शुरू हो गया है वहीं कुछ पक्षी झीलनुमा माहौल के चलते आजकल डीघल गांव के खेतों में भरे पानी से भी अठखेलियां करते दिखाई देते हैं। वाहन चालक भी कई बार इस मनमोहक दृश्य को देखते हुए जहां अपने वाहन रोक लेते हैं वहीं राहगीरों द्वारा इस झीलनुमा दृश्य में पक्षियों की चहचहाट के बीच वीडियो बनाने व सेल्फी लेने का दौर शुरू हो गया है।;
हरिभूमि न्यूज. झज्जर
सर्दी की दस्तक के साथ विदेशी पक्षियों ने भी जिले की सरजमीं पर कदम रखना शुरू कर दिया है। शीतकालीन प्रवास के दौरान सात संमदर पार से आए विदेशी मेहमानों को नेशनल हाईवे स्थित जिले के गांव डीघल की जमीं रास आ रही है। यहां जल भराव की स्थिति के चलते प्रवासी पक्षियों ने अपना डेरा डाल लिया है। एशिया के सबसे बडे़ पक्षी विहारों में शुमार भिंडावास पक्षी विहार में जहां विदेशी मेहमानों का आना शुरू हो गया है वहीं कुछ पक्षी झीलनुमा माहौल के चलते आजकल डीघल गांव के खेतों में भरे पानी से भी अठखेलियां करते दिखाई देते हैं।
वाहन चालक भी कई बार इस मनमोहक दृश्य को देखते हुए जहां अपने वाहन रोक लेते हैं वहीं राहगीरों द्वारा इस झीलनुमा दृश्य में पक्षियों की चहचहाट के बीच वीडियो बनाने व सेल्फी लेने का दौर शुरू हो गया है। गौरतलब है कि सात समंदर पार कर प्रतिवर्ष शीतकालीन प्रवास पर आने वाले मेहमान पक्षियों की इग्रेट, पेंटेडस्टोर्क, सेऊलर, मलाड, पिनटेल, नकटा, पंडूबी, लार्ज कोर्मोरिंट व ओपन बिल स्टॉर्क जैसी प्रजातियां प्रतिवर्ष यहां आती है।
अबकी बार पक्षियों की कुछ नई प्रजातियां भी : बर्ड वॉचर जगत वर्मा ने बताया कि हालांकि प्रतिवर्ष विभिन्न प्रजातियों के पक्षी यह आते हैं लेकिन अबकी बार पक्षियों की कुछ नई प्रजातियां भी दिखाई दे रही है जिनमें गार्गनी, गैडवेल, विचलिंग डक, कोटनपिगमी गूज, ग्रेलेक गूज आदि शामिल हैं। बार हैडेड गूज अकेली ऐसी प्रजाती है जो हिमालय पर्वत के ऊपर से आती है। ये मुख्यत: एक सौ से डेढ़ सौ तक के समूह में उड़ते हैं। इनके अलावा इग्रेट, पेंटेडस्टोर्क, सेऊलर व अफगानिस्तान से आने वाले शिकारी पक्षी यूरेशियन हॉबी, टायनी ईगल, इंडियन र्स्पोटिड ईगल, पीसी ईगल समेत करीब बारह प्रजातियां शामिल हैं। प्रवास के दौरान आने वाले ये विदेशी मेहमान मार्च तक यहां रहेंगे फिर अपने-अपने वतन की ओर लौट जाएंगे। उन्होंने बताया कि बार हैडेड गूज झील की बजाय मुख्यत: खेतों व पौखरों में उतर रही है। खेतों में गेहूं की फसल की कोंपलें उनके पसंदीदा भोजन में शुमार है। उन्होंने बताया कि फलेमिंगो, रोजी पेल्किन आदि पक्षी अपने बच्चों के साथ समूह में आते हैं। लंबी उड़ान के चलते छोटे पक्षियों के पंख झड़ जाते हैं जिस कारण वे पोखर व तालाबों के समीप उतर जाते हैं। उनके पंख आने में करीब तीन माह का समय लगता है। रात के समय स्टोर्क पक्षियों के झुंड की आवाजें भी सुनाई देती हैं।
मुख्य रूप से इन देशों से आते हैं प्रवासी पक्षी : जगत वर्मा के अनुसार शीतकालीन प्रवास पर मुख्य रूप से साईबेरिया, रसिया, सेंट्रल एशिया, मंगोलिया, चाईना, अफगानिस्तान आदि देशों से पक्षी भिंडावास पक्षी विहार व गुरूग्राम जिले में स्थित सुलतापुर झील में आते हैं। अक्टूबर से लेकर दिसंबर माह तक इन प्रवासी पक्षियों का आना लगा रहता है। मार्च माह में ठंड कम होने के साथ ही इन प्रवासी पक्षियों का पलायन भी अपने-अपने देशों की ओर शुरू हो जाता है।
प्रवासी पक्षी