Farmers Protest : 19 साल पहले भी रण बना था कंडेला, यह सरकार आ गई थी बैकफूट पर
2002 में आंदोलन कर रहे किसानों पर फायरिंग के बाद कंडेला खाप ने चौटाला परिवार की एंट्री बंद कर दी थी। इनेलो सरकार के कार्यकाल में भारतीय किसान यूनियन ने कंडेला गांव को आंदोलन का मुख्य केंद्र बनाया था।;
हरिभूमि न्यूज. जींद
भाकियू के गढ के नाम से विख्यात गांव कंडेला में बुधवार को हुई किसान महापंचायत में किसानों ने तीन कृषि कानून को रद्द करने और किसान आंदोलन को तेज करने को लेकर हुंकार भरी है। किसानों व सामाजिक मुद्दों को लेकर गांव कंडेला का इतिहास गौरवमय रहा है। 19 साल पहले भी भाकियू ने गांव कंडेला से ही बिजली बिलों को लेकर हुंकार भरी थी और तत्कालीन चौटाला सरकार को बैकफूट पर भेज दिया था। उस समय प्रदेश में ओमप्रकाश चौटाला मुख्यमंत्री थे।
बुधवार को भी किसान मुद्दों को लेकर गांव कंडेला में किसान महापंचायत का आयोजन किया गया। अच्छी खासी उमड़ी भीड़ ने किसानों के निशाने पर भाजपा की केंद्र सरकार रही तो वहीं किसानों ने पांच प्रस्ताव भी सर्वसम्मति से पारित कर दिए। यह प्रस्ताव तीन केंद्रीय कृषि कानून रद्द किए जाएं। एमएसपी पर कानूनी जामा पहनाया जाए। स्वामीनाथन रिपोर्ट को लागू किया जाए। किसानों का कर्जा माफ किया जाए तथा 26 जनवरी को पकड़े गए किसानों को और उनके जब्त किए गए ट्रैक्टरों, वाहनों को छोड़ा जाए तथा सभी के दर्ज किए गए केस वापस किए जाएं। पांचों प्रस्तावों को कंडेला खाप एवं सर्वजात सर्वखाप के राष्ट्रीय संयोजक टेकराम कंडेला ने पढ़ कर सुनाया और उपस्थित भीड़ को हाथ उठा कर पारित करवाया। कंडेला ने बताया कि इस महापंचायत में 100 से अधिक खापें, तपे, बारह के प्रतिनिधि शामिल हुए हैं।
यह था कंडेला कांड
2002 में आंदोलन कर रहे किसानों पर फायरिंग के बाद कंडेला खाप ने चौटाला परिवार की एंट्री बंद कर दी थी। दरअसल किसान बिजली बिल सहित विभिन्न मुद्दों पर आंदोलन कर रहे थे अर उन्होंने इस दौरान अधिकारियों को बंधक बना लिया था। इसके बाद पुलिस और किसानों में टकराव हो गया। इस पर पुलिस ने फायरिंग की। इसमें नौ किसानों की मौत और करीब 80 लोग घायल हो गए थे। उस समय ओमप्रकाश चौटाला हरियाणा के मुख्यमंत्री थे। ओमप्रकाश चौटाला के नेतृत्व वाली इनेलो सरकार के कार्यकाल में भारतीय किसान यूनियन ने कंडेला गांव को अपने आंदोलन का मुख्य केंद्र बनाया था। किसान आंदोलन को खत्म कराने के लिए चौटाला सरकार ने तमाम प्रयास किए, लेकिन बात नहीं बनी. ऐसे में पुलिस को फायरिंग करनी पड़ी और नौ किसानों की मौत हो गई।
मंच टूटने पर बोले टिकैत, भाग्यवानों के टूटते हैं मंच
जींद में बुधवार को किसान आंदोलन के समर्थन में महापंचायत का आयोजन किया गया था। इस दौरान मंच पर जैसे ही भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत पहुंचे तो भीड़ अधिक होने के कारण मंच टूट गया। मंच टूटते ही उस पर खड़े गुरनाम सिंह चढूनी और राकेश टिकैत नीचे आ गिरे। हालांकि उसी समय सभी नेता उठ गए और टिकैत ने अपना संबोधन शुरू किया। महापंचायत में उम्मीद से भी अधिक भीड़ भीड़ थी। राकेश टिकैत जब मंच पर बोलने वाले थे तो उससे चंद मिनट पहले ही मंच टूट गया।
उस दौरान गुरनाम सिंह चढूनी और राकेश टिकैत मंच पर थे। मंच के टूटते ही वहां हड़कंप मच गया लेकिन कुछ ही देर बाद टिकैत दोबारा मंच पर आए। इसके बाद उन्होंने कहा कि मंच भाग्यवानों के टूटते हैं। पहले महापंचायत गांव के बीच स्थित कंडेला खाप के ऐतिहासिक चबूतरे पर की जानी थी लेकिन भीड़ अधिक होने की संभावना के चलते सात एकड़ में बने खेल स्टेडियम को चुना गया है। मंच पर पहुंचने के बाद सबसे पहले राकेश टिकैत को हल देकर सम्मानित किया गया। उनके पहुंचने के बाद वहां लोग अपनी-अपनी जगहों से खड़े हो गए उन्होंने मंच से ही हाथ जोड़कर लोगों को बैठने की अपील की।