भाजपा के लिए इतिहास बना चुका कोसली : रोहतक लोकसभा सीट पर पहली बार भाजपा को चखाया था जीत का स्वाद, कोसली हलके ने छीन ली थी हुड्डा परिवार से जीत
भाजपा के लिए लोकसभा और विधानसभा दोनों चुनावों में मजबूत किला साबित हो चुके कोसली हलके को मनोहर सरकार के दूसरे कार्यकाल के शुरू में ही पर्याप्त भागीदारी की अपेक्षा थी, लेकिन राजनीतिक हालात ने हलके के लोगों की अपेक्षा पर भाजपा को खरा नहीं उतरने दिया।;
नरेन्द्र वत्स. रेवाड़ी
प्रदेश में कोसली विधानसभा क्षेत्र ऐसा है, जिसने गत लोकसभा चुनावों में भाजपा को पहली बार जीत का स्वाद चखने का मौका दिया। रोहतक की जिस लोकसभा सीट को पूर्व सीएम चौ. भूपेंद्र सिंह हुड्डा की पारिवारिक सीट माना जाता था, उसे भाजपा की झोली में डालने को पूरा श्रेय कोसली हलके के मतदाताओं को जाता है। रोहतक लोकसभा क्षेत्र की महम और बादली सहित कई अन्य हलकों में कांग्रेस प्रत्याशी दीपेंद्र सिंह हुड्डा की जीत को अकेले कोसली हलके ने हार में बदल दिया था। महज 0.61 फीसदी के मार्जिन के साथ भाजपा को मिली इस सीट को सुरक्षित करने के लिए अभी तक पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने सार्थक प्रयास नहीं किए हैं।
वर्ष 2005 में तत्कालीन सीएम चौ. भूपेंद्र सिंह हुड्डा के कार्यकाल में हुए परिसीमन के बाद कोसली हलके का जन्म और इस अहीर बाहुल्य हलके का रोहतक लोकसभा क्षेत्र में शामिल होना हुड्डा परिवार के लिए घाटे का सौदा साबित हो गया। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनावों में रोहतक से चुनाव लड़ रहे दीपेंद्र सिंह हुड्डा को इस हलके में पहली बार करारी हार का सामना करना पड़ा था। कोसली हलके की जनता ने भाजपा प्रत्याशी ओमप्रकाश धनखड़ को 42528 मतों के अंतर से जिताकर हुड्डा परिवार के लिए खतरे की घंटी बजा दी थी। इसके बाद 2019 में कोसली हलके ने हुड्डा परिवार को ऐसा जख्म दिया, जिसे वह लंबे समय तक भुला नहीं पाएंगे। महम और बादली समेत कई विधानसभा क्षेत्रों में जीत और कई में मामूली हार के बाद जब दीपेंद्र की जीत सुनिश्चित नजर आ रही थी, तो कोसली हलके की जनता ने सारे समीकरण बदलने का काम कर दिया था।
राजनीतिक विश्लेषकों से लेकर कई सर्वे वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में यह संकेत दे चुके थे कि भाजपा रोहतक को छोड़कर प्रदेश की सभी 9 लोकसभा सीटों पर चुनाव जीत सकती है। कोसली की जनता ने सभी आंकलन फेल करने का कारनामा कर दिखाया था। रोहतक लोकसभा सीट से पहली बार चुनाव लड़ने वाले डा. अरविंद शर्मा को महज 7503 वोटों से जीत हासिल हुई थी। उनकी जीत सुनिश्चित करने के लिए कोसली के मतदाताओं ने उन्हें दीपेंद्र के मुकाबले 74980 वोट ज्यादा दिए थे। महज 3752 मतों का फेर अरविंद और भाजपा की लुटिया डुबोने के लिए काफी था। भाजपा को पहली बार आशा के विपरीत इस सीट पर चुनाव जीतने का रिकॉर्ड बनाने का मौका मिला। इसके बाद विधानसभा चुनावों में भाजपा जब दूसरी बार सरकार बनाने के लिए एक-एक सीट पर जीत के लिए कठिन चुनौती का सामना कर रही थी, तो कोसली की जनता ने एक बार फिर उसमें विश्वास जताते हुए पार्टी प्रत्याशी लक्ष्मण सिंह यादव को 52.42 फीसदी मतों के साथ विधानसभा में भेजने का काम किया था। रोहतक लोकसभा क्षेत्र की अकेली कोसली विस सीट पर भाजपा को जीत मिली थी, जबकि अन्य सभी पर उसके प्रत्याशियों को हार का सामना करना पड़ा था।
सरकार में नहीं मिली भागीदारी
भाजपा के लिए लोकसभा और विधानसभा दोनों चुनावों में मजबूत किला साबित हो चुके कोसली हलके को मनोहर सरकार के दूसरे कार्यकाल के शुरू में ही पर्याप्त भागीदारी की अपेक्षा थी, लेकिन राजनीतिक हालात ने हलके के लोगों की अपेक्षा पर भाजपा को खरा नहीं उतरने दिया। जेजेपी के साथ गठबंधन के चलते भाजपा अहीरवाल को सत्ता में उतनी भागीदारी नहीं दे पाई, जितनी मनोहरलाल सरकार के पहले कार्यकाल में मिली थी। सत्ता में भागीदारी के रूप में इस क्षेत्र को एक कैबिनेट और एक राज्य मंत्री ही मिल पाया, जबकि भाजपा के पहले कार्यकाल में दक्षिणी हरियाणा को दो कैबिनेट मंत्री, दो राज्य मंत्री और एक डिप्टी स्पीकर का पद मिला था।
गठबंधन ने रोक दिया था रास्ता
पूर्ण बहुमत नहीं मिलने के कारण भाजपा के लिए जेजेपी के साथ गठबंधन करना मजबूरी हो गया। गठबंधन की शर्तों को पूरा करने के लिए भाजपा पहले कार्यकाल की तरह अपने ही विधायकों को मनमाफिक तरीके से मंत्री पद देने की स्थिति में नहीं थी। लोकसभा और विधानसभा दोनों चुनावों में भाजपा को अपार समर्थन देने वाले कोसली को सरकार में प्रतिनिधित्व मिलने की पूरी संभावनाएं नजर आ रही थीं, लेकिन पार्टी ने इस क्षेत्र के मतदाताओं की उम्मीदों पर पहले ही झटके में पानी फेरने का काम कर दिया था। इसके बाद पहली मंत्रिमंडल विस्तार में भी कोसली को स्थान नहीं मिल सका। वर्ष 2024 के चुनावों से पहले अगर इस क्षेत्र को सत्ता में भागीदारी नहीं मिलती है, तो इससे भाजपा को बड़े नुकसान का सामना करना पड़ सकता है।
दशकों से हुड्डा परिवार रहा काबिज
रोहतक लोकसभा सीट पर दशकों से हुड्डा परिवार ही काबिज रहा है। इस सीट पर 2 बार चौ. रणबीर सिंह हुड्डा सांसद रहे, तो चार बार उनके बेटे व पूर्व सीएम चौ. भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने जीत दर्ज की। हुड्डा के बेटे दीपेंद्र ने पिता की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाते हुए इस सीट पर तीन बार कब्जा जमाया। विपक्ष के रूप में एक इनेलो को इस सीट पर जीत हासिल हुई थी, जबकि इस समय यह सीट भाजपा के कब्जे में है। अगर सीट को सुरक्षित बनाना है, तो भाजपा को कोसली विधानसभा क्षेत्र पर खासतौर पर ध्यान देना होगा।