स्कूल खोलने का फैसला सरकार ने किसके दबाव में लिया : सैलजा
हरियाणा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि कोरोना की तीसरी लहर सिर पर है और एक बच्चे को भी वैक्सीन नहीं लगी, क्या सरकार दूसरी लहर से भी दर्दनाक नजारा देखना चाहती है;
चंडीगढ़। हरियाणा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सैलजा ने सवाल किया कि है राज्य में स्कूल खोलने का फैसला सरकार ने किसके दबाव में लिया? मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री बताएं क्या कोरोना की तीसरी लहर का खतरा सिर पर नहीं, क्या दूसरी लहर खत्म हो चुकी, क्या एक भी बच्चे को वैक्सीन लगी है? इतना सब होने पर भी स्कूल खोलने का फैसला क्या तर्कसंगत, न्यायसंगत है? क्या बच्चों के जीवन की सुरक्षा उसकी प्राथमिकता में नहीं?
कुमारी सैलजा ने कहा कि इससे साफ जाहिर हो रहा है कि सरकार में निर्णय लेने की क्षमता नहीं। कोई 'दबाव तंत्र' कोई लाबी उस पर हावी है जो उसके फैसलों को प्रभावित कर रही है। उन्होंने मांग की कि जब तक सभी बच्चों को वैक्सीन नहीं लगाई जाती तब तक स्कूल न खोले जाएं। लग तो यह भी रहा है कि सरकार की मंशा उसके ओहदेदारों की हिस्सेदारी में चल रहे प्राइवेट स्कूलों को लाभ पहुंचाने की है। प्रदेश सरकार ने 16 जुलाई से 9वीं से 12वीं कक्षा तक और 23 जुलाई से छठी से आठवीं कक्षा तक के स्कूल खोलने का फैसला लिया है।
कुमारी सैलजा ने कहा कि स्कूल खोलने का फैसला सर्वथा गलत है। इससे यदि एक भी बच्चे के जीवन पर खतरा आया तो मुख्यमंत्री और शक्षिा मंत्री सीधे तौर पर जिम्मेवार होंगे। उन्होंने कहा, विडम्बना देखिये कि कॉलेज व यूनिवर्सिटी तो अभी तक बंद हैं, लेकिन स्कूलों पर तुगलकी फरमान जारी कर दिया गया। कुमारी सैलजा ने कहा कि एम्स के निदेशक डा. रणदीप गुलेरिया और आईसीएमआर कोरोना की तीसरी लहर को लेकर लगातार सचेत कर रहे हैं। डा. गुलेरिया ने तीसरी लहर का सबसे अधिक असर 18 साल से कम छोटे बच्चों पर पड़ने की आशंका जताई है। अभी इन बच्चों के लिए कोई वैक्सीन सरकारी अस्पतालों या बाजार में उपलब्ध नहीं है। गंभीर खतरा सिर पर है परन्तु राज्य सरकार आंखे मूंद कर तुगलकी आदेश जारी कर रही है। लगता है वह कोरोना की दूसरी लहर से भी दर्दनाक नजारा देखना चाहती है।