मिसाल : सेवा में सुकून की तलाश, घर-घर जाकर दी सांसें, दवाएं राशन पहुंचा रहे, बच्चों की फीस भी भरने की तैयारी

लॉकडाउन में जब हर कोई घर में कैद था, घर से बाहर झांकने में भी डर लगता था, तब जोशिले युवा सहारा बनकर सड़क पर तने खड़े थे। ऐसे ही सेवा भाव की मिसाल आरएसडीबीएम ट्रस्ट ने कायम की है।;

Update: 2021-05-30 06:48 GMT

हरिभूमि न्यूज: रोहतक

कोरोना महामारी इतिहास में दर्ज होगी, लेकिन इसी के साथ उन युवाओं की कहानी भी लिखी जाएगी जो जान की परवाह किए बिना सेवा में लगे रहे। लोगों की जान बचाते रहे। लॉकडाउन में जब हर कोई घर में कैद था, घर से बाहर झांकने में भी डर लगता था, तब जोशिले युवा सहारा बनकर सड़क पर तने खड़े थे। ऐसे ही सेवा भाव की मिसाल आरएसडीबीएम ट्रस्ट ने कायम की है। सेवा में सुकून तलाशते सुमित भयाना ने घर-घर 50 से ज्यादा मरीजों तक ऑक्सीजन सिलेंडर पहुंचाए।

यही नहीं टीम के साथ जान जोखिम में डालकर बहुत से मरीजों को अस्पताल तक पहुंचाया। घर-घर गए और फोन भी किए, किसी के पास दवा के रुपये नहीं थे तो किसी की रसोई में अन्न का दाना तक नहीं था। करीब 45 से ज्यादा परिवारों को जरूरी दवाएं पहुंचाई। 75 से ज्यादा परिवारों की रसोई तक एक-एक महीने का राशन पहुंचाया। अब भी राशन पहुंचाने का काम चल रहा है। श्रीराम सरनदास भयाना (आरएसडीबीएम) ट्रस्ट के चेयरमैन सुमित भयाना का कहना है कि जो लोग काम करने की स्थिति में हैं उन्हें काम दिया जाएगा, ताकि राशन या दवा लेते समय उनके स्वाभिमान को चोट न पहुंचे। दिव्यांगों को घर पर ही वैक्सीन लगाई गई। अब तक कैंप में 2500 बुजुर्गों का टीकाकरण भी हो चुका है। ट्रस्ट 2019 से लगातार सेवा में लगा हुआ है।

टीम 24 घंटे तैयार

ट्रस्ट की टीम में सुमित के अलावा 16 सदस्य हैं। इनमें सुनील, रवि ऑपरेशन इंचार्ज, रियास, प्रमोद कुमार, नरेंद्र, सागर, जैमिल खान, रवि अटेंडेंट, प्रवीण, दिनेश, सतीश, आशिष, मनोज, विक्रम, अनूप और मुकेश शामिल हैं। टीम 24 घंटे तैयार रहती है।

सिविल अस्पताल को 7 ऑक्सीजन कन्संट्रेटर

महामारी के उस दौर में जब लोगों को ऑक्सीजन नहीं मिल रही तब 7 हैवी ड्यूटी ऑक्सीजन कन्संट्रेटर सिविल अस्पताल को दिए। इनसे 14 लोगों को ऑक्सीजन सप्लाई की जा सकती है।

गांवों तक भी पहुंचाए ऑक्सीजन के सिलेंडर

ट्रस्ट के स्वयंसेवकों ने शहर ही नहीं गांवोंे तक भी ऑक्सीजन सिलेंडर पहुंचाए हैं। ऐसे भी मरीज मिले, जिन्हें कही ऑक्सीजन नहीं मिल पा रही थी तो ऐेस दो बुुजुर्गों को होम ऑक्सीजन कन्संट्रेटर भी दिए।

डॉक्टर ने जो दवाएं पर्चे पर लिखी, वे खरीदकर देेते हैं

राशन बांटने जाते हैं तो जरूरतमंद परिवार से दवा के बारे में पूछा जाता है। इसके बाद उनका वो पर्चा तेले हैं जिस पर डॉक्टर ने दवा लिख रखी है। उसी के हिसाब से मरीज तक दवाएं पहुंचा दी जाती हैं।

वास्तव में जरूरतमंद बच्चों की फीस का खर्च ट्रस्ट देगा

राशन बांटते समय कई परिवार ऐसे मिले जिनकी आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं कि बच्चों को शिक्षा दिलवा सकें। निर्णय लिया है कि जो परिवार वास्तव में जरूरतमंद हैं उनके बच्चों की फीस का खर्च ट्रस्ट देगा।

टीम पर गर्व, मदद करने से पीछे नहीं हटेंगे

मुझे गर्व है ट्रस्ट की टीम पर जिन्होंने इस आपातकालीन समय में जान पर खेलकर लोगों की सेवा की। जब एंबुलेंस वाले कोविड के मरीजों को ले जाने के लिए 10 गुना ज्यादा पैसे ऐंठ रहे थे तो ट्रस्ट ने कोविड मरीजों को नि:शुल्क सेवा दी। जब लोग ऑक्सीजन सिलेंडर और कन्संट्रेटर की कालाबाज़ारी कर रहे थे ट्रस्ट ने घर घर जाकर नि:शुल्क सिलेंडर और कन्संट्रेटर दिए। जब अस्पताल में ऑक्सीजन की िकल्लत से मरीज भर्ती नहीं हो पा रहे थे ट्रस्ट ने सिविल अस्पताल को विदेश से हाई फ्लो मशीन खरीदकर दान की। एंबुलेंस और गाड़ी ट्रस्ट में हैं, जो 24 घंटे तैयार रहती हैं। स्वयंसेवक एक कॉल पर मरीज को अस्पताल लेकर जाते हैं।

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