Lumpy : एक दशक में दूसरी बार बेजुबानों पर आफत, मुंहखुर और गलघोंटू की बीमारी भी बनी थी पशुओं का काल
वर्ष 2013-14 में महेंद्रगढ़ जिले के साथ सटे गांवों में मुंहखुर और गलघोंटू रोग ने सैकड़ों पशुओं को अपना शिकार बनाया था। उस समय इन बीमारियों से गायों की बजाय भैंसों की मौतें ज्यादा हुई थीं।;
नरेन्द्र वत्स : रेवाड़ी
गुजरात के बाद राजस्थान और पंजाब में पशुओं को शिकार बनाने वाला लंपी वायरस पशुपालकों के लिए चिंता का विषय बन चुका है। इस वायरस का रेवाड़ी जिले में कोई भी केस सामने नहीं आया है, परंतु इसकी प्रदेश के दूसरे जिलों में दस्तक पशुपालकों की चिंता बढ़ रही है। जिले के पशुपालक करीब 1 दशक पूर्व मुंहखुर और गलघोंटू बीमारी से बड़ी संख्या में अपने पशुओं को काल का ग्रास बनते हुए देख चुके हैं।
वर्ष 2013-14 में महेंद्रगढ़ जिले के साथ सटे गांवों में मुंहखुर और गलघोंटू रोग ने सैकड़ों पशुओं को अपना शिकार बनाया था। उस समय इन बीमारियों से गायों की बजाय भैंसों की मौतें ज्यादा हुई थीं।भैंस पालकों को भारी आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ा था। कई पशुपालकों की दो से तीन भैंस इन बीमरियों की चेपट में आकर मर गई थीं। दोनों ही बीमारियों से डेयरी व्यवसाय को बड़ा झटका लगा था। इसके बाद पशुपालन विभाग की ओर पशुओं को इन दोनों बीमारियों से बचाने के लिए एचएस और एफएमडी के संयुक्त टीकों को अपनाया, जिससे पशुपालकों को इस समय राहत मिल रही है। यह दोनों ही टीके गलघोंटू ओर मुंहखुर रोग पर काबू पाने में कारगर साबित हो चुके हैं।
राजस्थान की सीमा के साथ सटे महेंद्रगढ़ में लिंपी वायरस ने पशुओं को अपना शिकार बनाना शुरू कर दिया है। इसके बाद जिला पशुपालन विभाग पूरी तरह से अलर्ट हो चुका है। मुंहखुर और गलघोंटू बीमारियों ने उस समय भैंस वंशीय पशुओं को अधिक शिकार बनाया था, जबकि लिंपी वायरस का कहर गायों पर मौत बनकर टूट रहा है। पशु चिकित्सकों के अनुसार इस रोग के एक बार फैलने के बाद काबू पाना मुश्किल हो जाता है। हवा में उड़ने वाला वायरस होने के कारण एक पशु से दूसरे पशु में इसका संक्रमण होने की पूरी संभावनाएं होती है। पशुपालन विभाग इस रोग को फैलने से रोकने की दिशा में तेजी से कार्य कर रहा है।
तत्काल नहीं होता गोटपोक्स का असर
पशु चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार लिंपी वायरस से निपटने के लिए पशुओं की दी जा रही गोटपॉक्स वेक्सीन का असर होने में 20 दिन तक का समय लगता है। अगर इस अवधि में जिले में यह बीमारी फैलने से बच जाती है, तो इसके बाद टीकाकृत पशु इस बीमारी से लगभग सुरक्षित हो जाएंगे। यही कारण है कि विभाग यह प्रयास कर रहा है कि जल्द से जल्द जिले में सभी पशुओं का टीकाकरण कर दिया जाए। इसी कड़ी में विभाग की ओर से सभी गोशालों में गायों को टीके लगाने का कार्य सिरे चढ़ा दिया है।
चिकित्सकों के अवकाश भी रद
विभाग ने पशुओं के टीकाकरण में तेजी लाने के लिए पशु चिकित्सकों के अवकाश रद कर दिए हैं। रविवार को जिले के सभी इलाकों में पशु चिकित्सकों ने पशुओं का टीकाकरण किया। एक ही दिन में करीब रविवार शाम तक करीब 5 हजार पशुओं को वैक्सीन लगाने का कार्य किया गया। विभाग अभी गायों के टीकाकरण पर ज्यादा जोर दे रहा है। यह वायरस अभी तक गायों को ही शिकार बना रहा है। डीसी अशोक कुमार गर्ग बारह से पशुओं को लाने पर रोक लगाने के लिए धारा-144 लगा दी है। पुलिस भी बाहर से लाए जाने वाले पशुओं पर नजरें लगाए हुए है।