Lumpy Virus : लंपी वायरस के कहर से हरियाणा का यह जिला डेंजरजोन में, 5490 पशु चपेट में, 1276 हुए ठीक
लंपी रोग का असर ग्रामीण इलाकों के अलावा गऊशालाओं में भी देखा जा रहा है। पशुपालक अपने गौवंश को तड़फता हुआ देखकर चिंतित हो रहे हैं। वहीं, पशुपालक विभाग युद्धस्तर पर प्रयास करने का दावा जता रहा है।;
हरिभूमि न्यूज. यमुनानगर
हरियाणा के यमुनानगर जिले में लंपी वायरस ( गांठदार त्वचा रोग ) ने गौवंश को अपनी चपेट में बूरी तरह जकड़ लिया है। मंगलवार तक जिले में 5490 गौवंश लंपी वायरस की जकड़ में पहुंच गए हैं। राहत की बात यह है कि जिले में इस बीमारी से पीडि़त चल रहे 1276 गौवंश स्वस्थ हो चुके हैं। दुख की बात यह है कि इस बीमारी से दो गायों की मौत हो गई है। लंपी रोग का असर ग्रामीण इलाकों के अलावा गऊशालाओं में भी देखा जा रहा है। पशुपालक अपने गौवंशजो को तड़फता हुआ देखकर चिंतित हो रहे हैं। वहीं, पशुपालक विभाग गौंवजो को इस रोग से निजात दिलाने के लिए युद्धस्तर पर प्रयास करने का दावा जता रहा है।
लंपी वायरस की चपेट में आते ही गौवंशजो के शरीर की त्वचा पर बन जाती हैं गांठे
पशु चिकित्सकों की मानें तो लंपी वायरस के संपर्क में आने पर गौवंशजों के शरीर की त्वचा पर गांठे बन जाती हैं। जिससे गौवंशज का पूरा शरीर जकड़ जाता है। शरीर की जकड़न होने पर गौवंशज खाना पीना बंद कर देता है। खास बात तो यह है कि लंपी वायरस के संपर्क में आने पर कई गायों में तुरंत लक्षण दिखने लगते हैं तो कई गायों में वायरस के संपर्क में आने पर भी लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। पशु चिकित्सकों के मुताबिक लंपी वायरस से पीड़ित गौवंश को अन्य स्वस्थ गायों से अलग रखना चाहिए। वहीं, उन्हें मक्खी व मच्छर आदि से बचाना चाहिए।
चिकित्सकों को दिए दिशा निर्देश
हरियाणा में गौवंशजो में सबसे अधिक मामले यमुनानगर जिला में दिखाई दिए हैं। जिसे गंभीरता से लेते हुए पशुपालन विभाग के महानिदेशक डॉ. बिरेंद्र सिंह लौरा गत रविवार को जिला में पहुंचकर स्थिति का जायजा ले चुके हैं। उन्होंने चिकित्सकों को इस वायरस से बचाव के लिए दिशा-निर्देश दिए हैं।
युद्धस्तर पर किए जा रहे हैं प्रयास
पशु पालन विभाग के जिला उप निदेशक डॉ. प्रेम सिंह ने बताया कि जिले में मंगलवार तक लंपी वायरस से पीड़ित गौवंश का आंकड़ा 5490 तक पहुंच गया है। मगर पशु पालन विभाग के प्रयासों से अब तक इस बीमारी से पीडि़त 1276 गौवंश ठीक हो चुके हैं। उन्होंने बताया कि इस वायरस की रोकथाम के लिए विभाग की ओर से जिले में 25 टीमें बनाई गई हैं। जो मौके पर पहुंचकर इस बीमारी से पीडि़त गौवंश का उपचार कर रही हैं। उन्होंने कहा कि पशुपालकों को गौवंश में आ रही इस बीमारी से अधिक घबराने की जरूरत नहीं है। उपचार करने से गौवंश ठीक हो रहे हैं। उन्होंने पशुपालकों को गायों को मक्खी व मच्छरों से बचाए जाने और बीमार गाय को अन्य पशुओं से अलग रखने की सलाह दी है।