Mahendragarh : पशुओं में लंपी रोग से निपटने के लिए विभाग हुआ सतर्क, मंगवाई वैक्सीन
- विभाग ने अभी तक 15 हजार 700 गोवंश का किया टीकाकरण
- मुख्यालय से मंगवाई थी करीब 21 हजार वैक्सीन की डोज
;
Mahendragarh : गोवंश में संक्रमण से होने वाले संक्रामक चर्म रोग लंपी से बचाने के लिए पशुपालन विभाग ने पशुओं का टीकाकरण शुरू कर दिया। विभाग की अलग-अलग टीम डोर-टू-डोर दौरा कर पशुओं का टीकाकरण कर रही हैं। क्षेत्र में करीब 21 हजार गोवंश का वैक्सीनेशन किया जाना है। विभाग की ओर से अभी तक 15 हजार 700 गोवंश का टीकाकरण कर चुकी है। पशुपालन विभाग की टीमें दौरा कर गोवंश का टीकाकरण कर रही हैं। लंपी वायरस की आशंका को देखते हुए विभाग के अधिकारियों ने क्षेत्र का दौरा कर जायजा लिया था।
बता दें कि गत वर्ष लंपी वायरस की वजह से काफी संख्या में गोवंश की मौत हो गई थी। पिछले साल भी इसी मौसम में इस वायरस का प्रकोप बना था। अब फिर से वायरस की आशंका को देखते हुए विभाग अभी से सतर्क हो गया है। इस बार पहले ही वैक्सीन मंगवा ली गई हैं। क्षेत्र में करीब 21 हजार वैक्सीन पहुंच चुकी है। विभाग की ओर से अभी तक 15 हजार 700 पशुओं का टीकाकरण किया जा चुका है। विभाग ने पशुओं को वैक्सीन लगाने का काम शुरू कर दिया है। इसके अलावा क्षेत्र में गोशालाओं का संचालन गोशाला समितियां कर रही हैं।
क्या है लंपी के लक्षण
पशुओं में इस रोग के कई सारे लक्षण पाए जाते हैं, जैसे बुखार, वजन का कम होना, लार निकलना, आंख और नाक का बहना, दूध का कम होना, शरीर पर अलग-अलग तरह के नोड्यूल दिखाई देते हैं, जिन्हें त्वचा का घाव कहा जाता है। अक्सर ये महीनों तक शरीर पर बने रहते हैं। इस रोग में शरीर पर गांठे बन जाती हैं। गर्दन और सिर के पास इस तरह के नोड्यूल ज्यादा दिखाई देते हैं। इस रोग के चलते मादा मवेशियों में बांझपन, गर्भपात, निमोनिया और लंगड़ापन झेलना पड़ जाता है। जानवरों में बुखार आना, आंखों एवं नाक से स्राव, मुंह से लार निकलना, पूरे शरीर में गांठों जैसे नरम छाले पड़ना, दूध उत्पादन में कमी आना और भोजन करने में कठिनाई इस बीमारी के लक्षण हैं।
वैक्सीनेशन के लिए विभिन्न टीमें बनाई
पशुपालन विभाग के एसडीओ बलजीत बंगालिया ने बताया कि विभाग रोग से निपटने के लिए सतर्क है। वैक्सीन लगाने का काम शुरू कर दिया गया है। क्षेत्र में करीब 20 हजार 900 वैक्सीन पहुंच चुकी हैं। अभी तक विभाग की विभिन्न टीमों ने 15 हजार 700 पशुओं का टीकाकरण कर चुकी है। वैक्सीन की कमी को देखते हुए एक हजार वैक्सीन की ओर डिमांड भेजी गई है। उन्होंने बताया कि पशु को यह रोग होने पर उसे अलग रखा जाए और विभाग को इसकी सूचना दें। इस रोग में शरीर पर हल्के धब्बे दिखाई देने लगते हैं। पशु खाना-पीना भी बंद कर देता है। शरीर का तापमान भी बढ़ जाता है। विभाग ने इसके लिए विभिन्न टीमें बनाई हैं। ये टीमें वैक्सीनेशन कर रही हैं। गांवों व गोशालाओं में जाकर जायजा भी लिया जा रहा है। गोशाला प्रबंधकों को भी आवश्यक हिदायतें दी गई हैं। गोपालक रोग के लक्षण पाए जाने पर विभाग को सूचित करें।
यह भी पढ़ें - Jind : घटिया सामान देकर 4 सरपंचों से ठगे लाखों