Supreme Court पहुंचा गुरुग्राम में नमाज का मामला, हरियाणा के DGP और मुख्य सचिव के खिलाफ याचिका दायर
राज्यसभा के पूर्व सांसद मोहम्मद अदीब ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करके कहा कि हरियाणा सरकार के अफसर सांप्रदायिक और हिंसक प्रवृत्तियों को रोकने में असफल रहे हैं, जिससे अपराध बढ़ते हैं।;
गुरुग्राम (Gurugram) में खुले में नमाज पढ़ने (Namaz) का मामला अब सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है। कोर्ट में दायर याचिका में हरियाणा के डीजीपी और मुख्य सचिव (Chief secretary) के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही करने की मांग की गई है।
राज्यसभा के पूर्व सांसद मोहम्मद अदीब ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करके कहा कि हरियाणा सरकार के अफसर सांप्रदायिक और हिंसक प्रवृत्तियों को रोकने में असफल रहे हैं, जिससे अपराध बढ़ते हैं। इस कारण हरियाणा के मुख्य सचिव संजीव कौशल और पुलिस महानिदेशक प्रशांत कुमार अग्रवाल के खिलाफ कार्रवाई की जाए।
याचिका में यह मांग की गई
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया कि गुरुग्राम में खुले में नमाज के समय कुछ शरारती तत्व नमाज में बाधा डालते हैं और भड़काऊ भाषण दिया जाता है। इसकी शिकायत कई बार पुलिस प्रशासन से भी की गई थी पर पुलिस ने काेई कार्रवाई नहीं की। याचिका में यह भी कहा गया कि अभी के कुछ महीनों में, कुछ तत्वों के इशारे पर जुमे की नमाज के दौरान लोगों के इकट्ठा होने की घटनाएं बढ़ रही हैं। ये लोग मुस्लिमों को धर्म के नाम पर शहर में एक समुदाय के खिलाफ नफरत और पूर्वाग्रह का माहौल बनाना चाहते हैं।
डीसी से मिलने पहुंचा था मुस्लिम समुदाय का प्रतिनिधिमंडल
समुदाय का प्रतिनिधिमंडल गत दिवस उपायुक्त कार्यालय में इस मामले में उनसे भेंट करने के लिए गया था, लेकिन उपायुक्त से भेंट नहीं हो सकी। समुदाय के लोगों का कहना था कि जिला प्रशासन वक्फ बोर्ड की जमीनें खाली कराने में समुदाय की मदद करे और जब तक यह व्यवस्था नहीं होती है, तब तक जुम्मे की नमाज पढ़ने के लिए जगह उपलब्ध कराई जाए। समुदाय के लोग जिला प्रशासन से संपर्क करने में जुटे हैं। समुदाय का कहना है कि गुडग़ांव में करीब 4 लाख स्थानीय व प्रवासी मुस्लिम समुदाय के लोग हर जुम्मे पर नमाज अता करते हैं। पहले प्रशासन ने 37 स्थानों पर नमाज अता करने की अनुमति दी हुई थी, लेकिन अब वहां पर विरोध किया जा रहा है। जिससे उन्हें नमाज पढऩे में बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। समुदाय का कहना था कि यदि प्रशासन इसमें कोई समुचित कार्रवाई नहीं करता है तो उन्हें न्यायालय का दरवाजा खटखटाने पर मजबूर होना पड़ेगा।