खनन कंपनी ने बिना अनुमति यमुना में बना दिया पुल, बहाव के साथ छेड़छाड़, आंखें मूंद कर बैठे अधिकारी

यह कार्रवाई आनंद सिंह एंड कंपनी ने की है। जिसे पिछले दिनों शर्तों के अनुसार किस्तें जमा नहीं करवाने के कारण सस्पेंड कर दिया गया था। अब कंपनी की तरफ से खनन फिर से शुरू किया जा रहा है।;

Update: 2022-04-14 14:17 GMT

हरिभूमि न्यूज : सोनीपत

यमुना का सीना चीर कर रेत का खनन करने वाली माइनिंग कंपनियां निरंकुश होती जा रही हैं। लाखों-करोड़ों रुपये की किस्त जमा ना करवाना और खनन करते रहना तो आम बात है। अब विभागीय नियमों की अनदेखी करते हुए बिना अनुमति के ही यमुना पर पुल भी बनाया जा रहा है। पुल बनाने के लिये यमुना के बहाव के साथ भी छेड़छाड़ की गई है। हैरत की बात ये है कि इस बारे में ना तो खनन विभाग और ना ही सिंचाई विभाग कोई कार्रवाई कर रहा है। अधिकारी मौन हैं, आंखें मूंद कर बैठे इस रेत के खेल को देख रहे हैं। कई दिनों से बना हुआ यह पुल, सुबह-शाम गश्त का दाव करने वाले सिंचाई विभाग के अधिकारियों को दिखाई ही नहीं दिया।

बता दें कि यह कार्रवाई आनंद सिंह एंड कंपनी ने की है। जिसे पिछले दिनों शर्तों के अनुसार किस्तें जमा नहीं करवाने के कारण सस्पेंड कर दिया गया था। अब कंपनी की तरफ से खनन फिर से शुरू किया जा रहा है। बताया गया है कि खनन कंपनी को बकाया राशि को निर्धारित समय पर चुकता करने की शर्त पर खनन शुरू करने की इजाजत मिली है। नियम यह है कि खनन कंपनी को इजाजत मिलने के बाद अस्थाई पथ बनाने के लिए पूरा प्लान खनन विभाग को भेजा जाना होता है। इसके बाद खनन विभाग इस प्लान को मंजूरी देकर सिंचाई विभाग के पास भेजता है, लेकिन खनन कंपनी ने अस्थाई पुल बनाने से पहले कोई अनुमति नहीं ली।

शिकायत में बताया गया है कि टिकोला में आनंद सिंह एंड कंपनी 2016 से खनन कर रही है। पट्टे पर खनन की मंजूरी देते हुए सरकार ने इसकी किस्त एक करोड़ रुपए सालाना निर्धारित की थी, लेकिन बाद में अदालत ने यह किस्त घटाकर 45 लाख रुपए प्रतिमाह कर दी थी। 6 फरवरी 2020 को किस्तें जमा नहीं करवाने के आरोप में इस खान को सस्पैंड कर दिया गया था। इसके बाद करीब एक साल तक बंद रहने के बाद 28 जनवरी 2021 को खनन विभाग के डी.जी. ने इस खान को सशर्त चलाने की अनुमति दे दी थी। ठेकेदार ने कुछ रकम जमा करवाकर बाकी रकम 9 माह के भीतर जमा करवाने की बात कही थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। 7 मार्च 2021 से 17 सितम्बर 2021 तक बिना किस्त भरे ही खनन चालू रखा गया। अब कंपनी ने फिर से खनन शुरू करने की इजाजत ली है, लेकिन उसके लिए शर्त रखी गई है कि वह बकाया करीब 9 करोड़ राशी में से 2 करोड़ पहले जमा करवाएगी जबकि बाकी रकम 18 किस्तों में चुकाई जाएगी। इन शर्तों पर खनन की अनुमति तो मिल गई लेकिन कंपनी ने फिर से पुराना खेल शुरू कर दिया।

अधिकारियों की मिलीभगत से बनाया अस्थाई पुल

खनन प्वाइंट टिकोला-2 पर अस्थाई पुल (कच्चा रास्ता) बना डाला, जिसके लिए कोई अनुमति नहीं ली गई और न ही शर्तों के अनुसार रकम जमा करवाई गई। माना जा रहा है कि कंपनी कुछ अधिकारियों से मिलीभगत करके ऐसा कर रही है। जिला खनन अधिकारी अशोक कुमार ने बताया कि टिकोला में खनन के लिए पुल बनाने संबंधी कोई फाइल उनके पास नहीं आई है। अगर कंपनी पुल बना रही है तो यह नियमों के विरूद्ध है। कंपनी को यह इजाजत नहीं है। सिंचाई विभाग के अधिकारियों को कार्रवाई के लिए लिखा जाएगा। उधर, इस संबंध में सिंचाई विभाग के अधिकारी कुछ भी बोलने से बच रहे हैं।

अवैध खनन किसानों ने किया हंगामा, 16 को होगी पैमाइश

यमुना खादर में अवैध रेत खनन को लेकर एक बार फिर किसानों ने हंगामा कर दिया। इसके बाद बड़ौत और सोनीपत (हरियाणा) के पुलिस-प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचे। किसान और पुलिस को देखकर ठेकेदार पोकलेन मशीनों को हरियाणा की सीमा में ले गया। अब दोनों राज्यों के बीच 16 अप्रैल को अधिकारियों की देखरेख में सीमांकन के लिए पैमाइश की जाएगी। यमुना खादर के खेड़ा इस्लामपुर गांव के किसानों ने गुरुवार को खादर में ठेकेदार पर अवैध खनन का आरोप लगाते हुए हंगामा कर दिया। मौके पर ग्रामण्ीा इकट्ठा हुए तो यूपी प्रशासन ने सोनीपत प्रशासन को सूचित किया मौके पर पहुंचें अधिकारियों को देखकर ठेकेदार अपनी पोर्कलेन मशीनों को यमुना नदी पर बने अवैध पुल के रास्ते से हरियाणा की सीमा में ले गया। किसानों का कहना है कि शिकायत के बावजूद भी ठेकेदार के खिलाफ कार्रवाई नहीं हो रही।

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