लंबी लड़ाई लड़ने के बाद मोबाइल कंपनी का टॉवर सील करवाया
हनुमान पाराशर द्वारा दर्जनों आरटीआई के माध्यम से जानकारी हासिल की गई की ये टॉवर किसी अनुमति से लगाया गया। जिसमें पाया गया कि कंपनी द्वारा बिना किसी अनुमति के इस टॉवर को लगाकर इसे शुरू किया गया। जिसके बाद उन्होंने इसकी शुरुआत की और इसे सील करवाया।;
दीपक कुमार डूमड़ा : बवानीखेड़ा
कहते हैं अपने हक की लड़ाई लड़ना कोई बुरी बात नहीं। कुछ इसी प्रकार से बवानी खेड़ा के वार्ड 2 में लगे निजी मोबाइल कंपनी (Mobile company) के टॉवर को सील करवाकर जंग जीत चुके हैं हनुमान पारशर। जिन्होंने इस टॉवर को सील करवाने व हटवाने के लिए दिन देखी न रात लंबी जद्दोजहद के बाद अधिकारियों के साथ मिलकर इस टॉवर को सील करवाया।
विभाग की ढिलाई के बाद अभी ये सीलनुमा टॉवर अपने स्थान पर खड़ा हुआ सभी को आंखें दिखा रहा है। इस टॉवर के स्थान पर खास फूस सहित कांटेदार झाड़ियां है जिसमें जहरीले जानवर होने के कारण बस्तीवालों में भय व्याप्त है वहीं इसके गिरने के भय से वार्डवासी परेशान है जिसको लेकर हनुमान पाराशर फिर से लंबी जंग लड़ने की तैयारी कर रह हैं।
हनुमान पाराशर द्वारा दर्जनों आरटीआई के माध्यम से जानकारी हासिल की गई की ये टॉवर किसी अनुमति से लगाया गया। जिसमें पाया गया कि कंपनी द्वारा बिना किसी अनुमति के इस टॉवर को लगाकर इसे शुरू किया गया। जिसके बाद उन्होंने इसकी शुरुआत की और इसे सील करवाया।
रिहायशी बस्ती में चल रहा था टॉवर
वार्डवासियों में निरंजन, जनार्धन, दिनेश, रमेश, अमन, ममता, कृष्णा, मोहित, ललित, नरेश ने बताया कि रिहायशी बस्ती में इस टॉवर को लगाकर चालू किया गया था जबकि रिहायशी बस्ती में टॉवर को नहीं लगाया जा सकता जिससे इसकी किरणों से नुकसान होने का भय बना रहता है।
मकानों में आई दरारें व शारीरिक नुकसान : वार्डवासियों ने बताया कि इस टॉवर के कारण उनके मकानें में दरारें आने से उनको नुकसान हुआ तो वहीं कुछ लोगों को भी शारीरिक नुकसान हुआ जिसकी भरपाई करना बहुत मुश्किल हो गया। शारीरिक नुकसान वाले लोगों का अब तक इलाज जारी है।
आसान नहीं था टॉवर को सील लगवाना
हनुमान पाराशर ने बताया कि उन्होंने इस टॉवर को हटवाने के लिए 12 अक्टूबर 2012 को शुरुआत की और लगातार लगभग 6 साल की लंबी लड़ाई लड़ी। इस दौरान उन्होंने सचिव नगर पालिका, एसडीएम, उपायुक्त, तहसीलदार, मुख्यमंत्री, शहरी निकाय हरियाणा, राष्ट्रपति, तहसीलदार, निदेशक, शहरी निकाय, प्रधानमंत्री, सहायक नगर योजनाकर, सीएम ग्रीवेंसिस सहित अन्य उच्चाधिकारियों को पत्र लिखकर इसे हटवाने की शिकायत की और 29 जून 2018 को तत्कालीन तहसीलदार कुलदीप सिंह ''डयूटी मजिस्ट्रेट'' व तत्कालीन नपा सचिव राजेश वर्मा की उपस्थिति में इस टॉवर को सील किया गया।
हटवाने की जद्दोजहद जारी
वार्डवासियों ने बताया कि हनुमान पाराशर ने पूरी कोशिश की जिसमें उन्हें सफलता हासिल मिली लेकिन अभी भी सील लगने पश्चात ये टॉवर अपने स्थान पर स्थापित है। इसलिए इसके लिए दोबारा जद्दोहजद करते हुए इसे हटवाने के लिए कार्रवाई की जाएगी ताकि इसके गिरने से लोगों को होने वाले नुकसान से बचाया जा सके।