अनीता कुंडू ने नेपाल की खतरनाक चोटी माउंट लोबुचे पर फहराया तिरंगा, अब इस चोटी को फतह करने निकलेंगी

अनीता ने बताया की मौसम बहुत खराब था, स्नोफॉल बहुत हो रहा था, लेकिन हमारी पूरी टीम सुरक्षित है। अब अनीता बेस कैंप की ओर जाएंगी और वहां से माउंट ल्होत्से के अभियान पर निकलेंगी। ल्होत्से की ऊंचाई 8516 मीटर है।;

Update: 2021-04-23 06:55 GMT

हिसार। 

विख्यात पर्वतारोही अनिता ने नेपाल की दुर्गम चोटी लोबूचे को फतह कर लिया है। इसकी ऊंचाई 6119. मीटर है। यह नेपाल में स्थित एक दुर्गम चोटी है। अनीता ने 12 अप्रैल से लुकला एयरपोर्ट से चढाई शुरू की थी। वो उन्नीस अप्रैल को लोबुचे गांव पहुंची, वहां से बीस को सुबह इस शिखर को छूने निकलीं। लगातार 24 घंटे सफर में रही और छू लिया शिखर। अनीता को सीएम मनोहर लाल ने भी बधाई दी है।

अनीता ने बताया की मौसम बहुत खराब था, स्नोफॉल बहुत हो रहा था, लेकिन हमारी पूरी टीम सुरक्षित है। अब अनीता बेस कैंप की ओर जाएगी वहां से माउंट ल्होत्से के अभियान पर निकलेंगी। ल्होत्से की ऊंचाई 8516 मीटर है, जो कि माउंट एवरेस्ट के लगभग समान ही है। अनीता 12 साल से पर्वतारोहण के साहसिक खेल को खेल रही हैं। उन्होंने हिंदुस्तान की अनेकों चोटियों को फतेह करते हुए दुनियां की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट को तीन बार फतेह किया है। वे नेपाल और चीन दोनों ही रास्तों से माउंट एवरेस्ट को फतेह करने वाली हिंदुस्तान की प्रथम बेटी हैं। उन्होंने सभी महाद्वीपों के ऊंचे शिखरों को भी फतेह किया है। अंटार्कटिका की सबसे ऊंची चोटी विनसन मासिफ, अफ्रीका की सबसे ऊंची चोटी किलिमंजारो, यूरोप के सबसे ऊंचे शिखर एल्बर्स, दक्षिण अमेरिका की एकोनकागुआ, ऑस्ट्रेलिया की कार्सटेंस पिरामिड शिखर को भी फतेह किया। उतरी अमेरिका की देनाली पर भी उन्होंने संघर्ष किया। माउंट एवरेस्ट के समान ही माउंट मनास्लू को भी अनीता ने फतेह किया है।

अनीता बताती हैं कि वे साहसिक खेल के माध्यम से अपने देश के यूथ को एक ही संदेश देना चाहती है कि असंभव कुछ भी नहीं होता। अनीता ने कहा की कोरोना वायरस से डरे नहीं बल्कि सावधानी बरते, और खुद को मजबूत रखे। इसमें आपके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता ही आपकी सबसे बड़ी मित्र है, इसके लिए शारीरिक मेहनत के साथ साथ खान पान का भी ध्यान रखें अनीता ने आगे कहा कि हम युवाओं को अपने सपने के लिए कड़ा संघर्ष करना चाहिए। हो सकता है आज परिस्थितियां विपरीत हो पर आपकी मेहनत उन्हे अनुकूल बना लेगी।

अनीता कहती है की पर्यावरण से बढ़कर कुछ भी नहीं है, हमें ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने चाहिए, ताकि ऑक्सीजन की कमी ना हो। सिर्फ सरकार के भरोसे ही नहीं रहना चाहिए, हम सबको भी अपने वातावरण की शुद्धि के लिए काम करना चाहिए। ऑक्सीजन का अपने जीवन में कितना बड़ा महत्व है ये एक पर्वतारोही ही अच्छे से जानता है। जब हम शिखर की तरफ बढ़ते हैं तो हमें ऑक्सीजन की कीमत का पता चलता है। अपने जीवन में साहस का होना अतिआवश्यक है। साहस के बिना हम किसी भी मिशन को कामयाब नहीं बना सकते। अनीता अभी लोबुचे से वापिस आकर के बेस कैंप की तरफ बढ़ेगी। यहां से फिर माउंट लहोत्से को फतेह करने के लिए निकलेंगी। ल्होत्से की ऊंचाई 8516 मीटर है, ये एवरेस्ट के ही समान है। उनको अपने इस मिशन में कामयाब होने के लिए अगले 25 से 35 दिन और संघर्ष करना पड़ेगा।



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