नप की नंदीशाला : रोजाना मर रहे 5 से 7 गोवंश, 2 सप्ताह का बचा चारा, दिवाली के बाद नहीं मिला कर्मियों को वेतन

हरियाणा के नारनौल नगर परिषद की ओर से बनाई गई नंदीशाला की हालत बहुत ही खराब स्थिति में पहुंच गई है। कर्मचारियों को कई माह से वेतन भी नहीं मिला है।;

Update: 2023-01-24 00:30 GMT

नितेश कुमार. नारनौल: नगर परिषद की ओर से बनाई गई नंदीशाला की हालत बहुत ही खराब स्थिति में पहुंच गई है। हालत यह हो गए है किए यहां काम करने वाले कर्मचारियों को कई माह से वेतन नहीं मिला है। इसके चलते कई कर्मचारी वेतन नहीं मिलने पर मजबूर हो काम छोड़ कर जा चुके है। वहीं नंदीशाला में असुविधाओं के चलते रोजाना पांच से सात गोवंश की मौत हो रही हैं, लेकिन इसके बाद भी न तो नगर परिषद ध्यान दे रही है और ना ही प्रशासन के अधिकारी नंदीशाला की हालत सुधारने में कोई कदम उठा रहे है। आर्थिक तंगहाली से गुजर रही नंदीशाला में कई बार गोवंश का चारा भी खत्म हो जाता है। अभी भी नंदीशाला में मात्र दो सप्ताह का ही चारा बचा है।

बता दें कि प्रदेश सरकार की ओर से शुरू किए गए आवारा पशु मुक्त अभियान के तहत नगर परिषद की ओर से गांव रघुनाथपुरा में पहाड़ियों के बीच नप की जमीन पर नंदीशाला का निर्माण करवाया गया था। शुरुआत में तो नंदीशाला में गोवंश व कर्मचारियों की संख्या ठीक-ठाक थी, लेकिन धीरे-धीरे बजट नहीं मिलने पर नंदीशाला की हालत खराब होती चली गई। वहीं समय के साथ नप व प्रशासन ने भी इस ओर ध्यान देना छोड़ दिया। जिसक चलते अब हालत यह हो गए है कि कभी इस नंदीशाला में 600 से 500 गोवंश व आठ से दस कर्मचारी होते थे, वहीं अब करीब 400 से 450 गोवंश है और मात्र चार कर्मचारी ही कार्यरत है। इन कर्मियों को भी करीब सात माह से वेतन नहीं मिला है।

सुविधाओं का अभाव

नंदीशाला में समय के साथ असुविधाएं बढ़ती जा रही है। आज नंदीशाला में न तो गोवंश के लिए पर्याप्त टीनशेड बचे है और ना हीं चारा पानी डालने के लिए खोर बची है। यहां बनाई गए ज्यादातर खोर टूट चुकी है। वहीं सर्दी से बचाव के लिए भी पर्याप्त सुविधा नहीं है। ऐसे में इन असुविधाओं के चलते नंदीशाला में रोजाना पांच से सात गोवंश की मौत हो रही हैं। इसके बाद भी नप व प्रशासन इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है।

सात महीने से नहीं मिला वेतन

नंदीशाला में काम करने वाले कर्मचारियों से बताया कि पहले यहां कुल सात कर्मचारी थे, लेकिन मासिक वेतन नहीं मिलने पर धीरे-धीरे एक-एक करके काम छोड़कर चले गए। अब यहां पर केवल चार कर्मचारी बचे है। जिनमें से एक कर्मचारियों को कौशल योजना के तहत लगाया गया है। इसके अलावा तीन कर्मचारी बाहर से है। जिनको करीब सात महीने से वेतन नहीं मिला है। भोजन के लिए भी इधर-उधर से उधार रुपये मांगने पड़ रहे है। कर्मचारियों ने बताया कि दिवाली पर उन्हें कुछ रुपये दिए गए थे, उसके बाद आज तक एक भी रुपया नहीं दिया है। ऐसे में उनको अपने खाने की व्यवस्था करने में भी भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

एकांत में होने से नहीं पहुंचे पाते है लोग

वैसे तो जिले में बनाई गई गोशालाओं में पहुंचकर लोग आर्थिक सहायता करते रहते हैं। जिससे शहर की गोशालाओं में हरा चारा, पशु आहार व रुपये आदि की आर्थिक सहायता मिल जाती हैं, लेकिन नप की ओर से बनाई गई नंदीशाला एकांत में पहाड़ों के बीच में होने के चलते लोग यहां तक नहीं पहुंच पाते है, इस वजह से नंदीशाला को श्रद्धालुओं की ओर से सहायता नहीं मिल पाती है। जिसके चलते गोवंश का चारा खत्म हो जाता है।


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