Narnaul : पेमेंट नहीं होने से रुका पड़ा है नागरिक अस्पताल के 200 बैड के हॉस्पिटल का निर्माण
- स्वास्थ्य विभाग के लिए लोक निर्माण विभाग गर्ग एंड कंपनी के जरिए बनवा रहा है नागरिक अस्पताल में सात मंजिला भवन
- 24.48 करोड़ की लागत से अगस्त 2024 तक दो साल में तैयार करना था अस्पताल, लेकिन पेमेंट नहीं होने से उपजा विवाद बना बाधा
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Narnaul News : मुख्यमंत्री मनोहर लाल (CM Manohar Lal) ने जब जिला मुख्यालय पर 200 बैड के नए अस्पताल भवन निर्माण की घोषणा की थी तो इलाके में स्वास्थ्य सेवाओं (Health Services) के बेहतर बनने एवं रेफर सिस्टम पर अंकुश लगने की उम्मीद जगी थी, लेकिन कमाल की बात है कि निर्माण की वर्ष 2021 में नींव रखने के बावजूद भवन कार्य अब तक एक मंजिल भी पूरा नहीं हो पाया है। कंपनी ने एग्रीमेंट के अनुसार पेमेंट नहीं होने पर यह काम रोक दिया था और हाईकोर्ट में चली गई थी। अब हाईकोर्ट के आदेश पर कंपनी ने पुन: निर्माण शुरू कर दिया है, लेकिन आदेशों को दस दिन बीतने के बावजूद कोई फाइल आगे नहीं बढ़ी है। यदि एक महीने में कंपनी को पेमेंट नहीं हुई तो इसके निर्माण पर फिर से खतरे की तलवार लटक जाएगी।
उल्लेखनीय है कि नारनौल का नागरिक अस्पताल पुराने भवन में चल रहा है तथा लोक निर्माण विभाग ने इस भवन को उपयोग के लिए खतरनाक मानते हुए अपनी रिपोर्ट दर्ज की हुई है। इसी के मद्देनजर नारनौल में अस्पताल के नए भवन की जरूरत महसूस की गई और प्रदेश के सीएम मनोहरलाल ने इस पर मुहर लगाते हुए 200 बैड का न केवल अस्पताल स्वीकृत किया, बल्कि सात मंजिला भवन आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित होने को भी मंजूरी दी। नागरिक अस्पताल परिसर में ही पुराने नर्सिंग स्टाफ क्वार्टरों को तोड़कर नया भवन तैयार किया जा रहा है। यह भवन ग्राउंड बेसमेंट के अलावा सात मंजिला भवन होगा। बेसमेंट को वाहन पार्किंग के रूप में उपयोग में लिया जाएगा। इसका निर्माण मार्च 2021 में शुरू किया गया। इस भवन के लिए सरकार ने 24.48 करोड़ रुपये स्वीकृत किए हुए हैं तथा यह करीब 1.61 लाख वर्ग फुट में कवर्ड किया जाना है। जब इसका निर्माण शुरू किया गया, तब जींद की गर्ग एंड कंपनी को निर्माण कार्य का लक्ष्य दो साल निर्धारित करके कार्य अलॉट किया गया था। कंपनी ने बेसमेंट से कार्य शुरू करते हुए करीब एक भवन की पहली व दूसरी मंजिल का काम शुरू किया, लेकिन कंपनी ने बाद में काम रोक दिया। कंपनी को पेमेंट नहीं हुई और कार्य में बाधा आई गई। काम बंद करने के बाद हुई बरसात के चलते पिछले साल बेसमेंट में भारी मात्रा में पानी भर गया था और मच्छरों की भरमार होने से यह एरिया खुद बीमार हो गया था। बाद में काम लगातार लगभग एक साल तक बंद रहा और कंपनी पेमेंट नहीं होने पर हाईकोर्ट में चली गई। जिसकी सुनवाई करते हुए एचसी ने करीब दस दिन पहले ही फैसला सुनाया कि सरकार कंपनी को एक माह में पेमेंट करे तथा कंपनी को भी हिदायत दी कि वह भवन निर्माण शुरू करे। उन आदेशों की पालना में कंपनी ने फिर से भवन निर्माण कार्य शुरू कर दिया, लेकिन दस दिन बीतने के बावजूद कंपनी को अब तक कोई पेमेंट नहीं हुई है। जिस कारण मामला फिर से खट्टाई में पड़ता दिखाई दे रहा है।
यह होंगी सुविधाएं
नागरिक अस्पताल में 200 बैड के अस्पताल का नया भवन बनना है, जिसमें सिटी स्कैन, एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड, लेबर रूम, आपातकालीन वार्ड, ऑपरेशन थियेटर, डेंटल एवं ब्लड बैंक आदि का निर्माण किया जाना है। इन सुविधाओं के होने से यहां से मरीजों को रेफर करने की परेशानी से छुटकारा मिलना था, लेकिन भवन निर्माण में आ रही देरी के कारण यह सुविधाएं मरीजों को नहीं मिल पा रही हैं और अस्पताल आज भी रेफर अस्पताल बना हुआ है।
कंपनी का पेमेंट को लेकर विवाद
सिविल सर्जन डा. रमेश चंद आर्य एवं उप सिविल सर्जन डा. दिनेश कुमार ने बताया कि 200 बैड का नया अस्पताल भवन बनना है। फाउंडेशन तैयार किया जा रहा है। यह भवन मार्च 2022 से शुरू होकर अगस्त 2024 में हैंडओवर होना था, लेकिन करीब छह माह काम चलने के बाद बंद है। कंपनी का पेमेंट को लेकर कोई विवाद है। अब दो दिन फिर से काम चला है, लेकिन आज दोपहर को फिर से काम बंद था। यह कार्य स्वास्थ्य विभाग न करवाकर सरकार द्वारा लोक निर्माण विभाग के जरिए एजेंसी से करवाया जा रहा है।
पैसा नहीं मिलने के कारण आगे काम नहीं बढ़ाया जा सका
गर्ग एंड कंपनी के मालिक शशांक गर्ग ने बताया कि हमने अस्पताल के नए भवन का निर्माण शुरू किया था तथा जहां तक काम किया है, उसकी पेमेंट नहीं की गई। पैसा नहीं मिलने के कारण आगे काम नहीं बढ़ाया जा सका। जिस कारण हमें हाईकोर्ट जाना पड़ा। अब हाईकोर्ट ने सरकार को पेमेंट करने तथा हमें काम शुरू करने का आदेश दिया है। हमने पुन: काम शुरू कर दिया है, लेकिन अब दस दिन बीत गए, कोई फाइल आगे नहीं बढ़ाई जा रही। ऐसा लगता है कि इस एक माह में कोई पेमेंट नहीं मिल पाएगी। यदि ऐसा हुआ तो एक माह बाद फिर से काम रोक दिया जाएगा। इतना ही नहीं, हम छुट्टियों के बाद हाईकोर्ट जाकर कोर्ट ऑफ कंटेम्पट डालने को मजबूर होंगे। बिना पैसे के काम आगे नहीं बढ़ सकता। जितना काम हो चुका, उसकी पेमेंट करनी चाहिए।