प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए बनाया जाएगा प्राकृतिक कृषि बोर्ड

मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा, सरकार ने इस बजट में 32 करोड़ का प्रावधान किया है। इसके अलावा प्राकृतिक खेती के लिए उपकरणों और समान की दिक्कत नहीं आने दी जाएगी। सरकार ने 14 फसलों के एमएसपी को देने का फैसला लिया है और भावांतर भरपाई योजना के तहत भी किसानों को फसलों के भाव दिए जा रहे है। अभी हाल में ही बाजरे के लिए 600 रुपए प्रति क्विंटल की दर से 450 करोड़ रुपए की राशि दी है।;

Update: 2022-03-09 04:39 GMT

कुरुक्षेत्र : मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि प्रदेश की जनता को जहर युक्त उत्पादों से निजात दिलाने, भूमि की सेहत को बचाने, भूजल का सरंक्षण करने तथा लोगों के स्वास्थ्य को तंदरुस्त रखने के लिए प्रदेश सरकार किसानों को प्राकृतिक खेती अपनाने पर बल दे रही है। इस प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने और किसानों को इस खेती के लिए सुविधाएं उपलब्ध करवाने के उदेश्य से प्राकृतिक कृषि बोर्ड का गठन करने का निर्णय लिया गया है। इसके लिए बकायदा एक अतिरिक्त निदेशक की भी नियुक्ति की जाएगी। इतना ही नहीं प्रदेश सरकार द्वारा 32 करोड़ रुपए का प्रावधान बजट में किया है और प्रदेश में प्राकृतिक खेती के लिए 3 साल उत्पादन आधारित योजना तैयार की है। इस योजना के तहत प्रदेश में प्राकृतिक खेती के लिए 100 कलस्टर बनाए जाएंगे और प्रत्येक कलस्टर में 25 एकड़ भूमि को शामिल किया जाएगा।

मुख्यमंत्री मनोहर लाल मंगलवार को देर सायं कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के तरफ से कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के सभागार में प्राकृतिक खेती को लेकर आयोजित एक दिवसीय कृषि शाला में बतौर मुख्यातिथि के रुप में बोल रहे थे। इससे पहले मुख्यमंत्री मनोहर लाल, गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग मंत्री जेपी दलाल, हरियाणा के खेल मंत्री संदीप सिंह, सांसद नायब सिंह सैनी, विधायक सुभाष सुधा, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव डा. सुमिता मिश्रा, महानिदेशक डा. हरदीप सिंह, बागवानी विभाग के महानिदेशक डा. अर्जुन सिंह सैनी ने कृषि कार्यशाला में विभिन्न विभागों और प्रगतिशील किसानों द्वारा लगाए गए स्टॉलों का अवलोकन किया और किसानों से प्राकृतिक खेती को लेकर अपने मन की बात को भी साझा किया। इसके उपरांत मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने दीपशिखा प्रज्जवलित करकेे विधिवत रुप से प्राकृतिक कृषि कार्यशाला का शुभारंभ किया।

मुख्यमंत्री ने गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत का विशेष रुप से आभार व्यक्त करते हुए कहा कि गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने प्रदेश भर से आए किसानों को प्राकृतिक खेती को उदाहरण सहित समझाकर प्रेरित करने का काम किया है।

उन्होंने कहा कि धर्म-क्षेत्र कुरुक्षेत्र में हजारों साल पहले राजा कुरु ने सोने का हल चलाकर खेती की प्राचीन परम्परा को शुरु करने का काम किया था। आज एक बार फिर से इस धरा से प्राकृतिक खेती को एक नया जीवन देने की शुरुआत कर दी गई है। प्रदेश सरकार द्वारा प्रदेश में प्राकृतिक खेती को लेकर कार्यक्रम चलाए जाएंगे और किसानों को प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके लिए राज्य सरकार की तरफ से प्राकृतिक कृषि बोर्ड बनाने का निर्णय लिया है। इसके लिए अलग से अतिरिक्त निदेशक की नियुक्ति की जाएगी। सरकार ने इस बजट में 32 करोड़ का प्रावधान किया है। इसके अलावा प्राकृतिक खेती के लिए उपकरणों और समान की दिक्कत नहीं आने दी जाएगी। सरकार ने 14 फसलों के एमएसपी को देने का फैसला लिया है और भावांतर भरपाई योजना के तहत भी किसानों को फसलों के भाव दिए जा रहे है। अभी हाल में ही बाजरे के लिए 600 रुपए प्रति क्विंटल की दर से 450 करोड़ रुपए की राशि दी है।

गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने  प्राकृतिक खेती से जुड़े अपने तमाम अनुभवों को सांझा 

गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने गुरूकुल कुरूक्षेत्र को प्राकृतिक खेती को बढावा देने के लिए सरकार द्वारा की गई पहल पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल का आभार व्यक्त करने और प्राकृतिक खेती से जुड़े अपने तमाम अनुभवों को सांझा करते हुए कहा कि किसानों को जैविक खेती और प्राकृतिक खेती के अंतर को समझना होगा। जैविक खेती से किसानों को फायदा होने वाला नहीं है। इसलिए सभी को प्राकृतिक खेती को अपनाना चाहिए और इसका निर्णय हरियाणा सरकार द्वारा भी लिया गया है। सरकार ने किसानों को देशी गायों पालकों को प्रोत्साहित करने का भी निर्णय लिया है। देशी गायों के गोबर से प्राकृतिक खेती की जाएगी इसमें अन्य खाद का प्रयोग नही किया जाता। देशी गायों के गोबर से जीवाणु पैदा होंगे और इन जीवाणुओं से प्राकृतिक खेती को बल मिलेगा इससे उत्पादन कम नहीं होगा और इस से किसानों की लागत कम होगी। पानी की बचत होगी। देशी गाय का संवर्धन होगा, मनुष्य के स्वास्थ्य को भी ठीक रखा जा सकेगा।



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